लखनऊ
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बिजली के निजीकरण की वापसी की मांग लेकर;किसान संगठनों ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन –

 

लखनऊ:: उत्तर प्रदेश के 16 किसान संगठनों की साझा अपील पर बिजली के निजीकरण के फैसले की वापसी मांग को लेकर जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपे गए।

  लखनऊ कैंसर बाग स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पर सुबह 11 बजे से किसानों ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद जमकर नारेबाजी की।

 नारेबाजी करते हुए बिजली के निजीकरण की वापसी की मांग की। अपर सिटी मजिस्ट्रेट अष्टम शेर बहादुर सिंह को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया। मांग पत्र में बिजली के निजीकरण और बिजली दर वृद्धि के फैसले की वापसी के अलावा संविदा कर्मियों की स्थायी नियुक्ति, आंदोलनकारी कर्मचारियों के दमन को बंद करने की मांग शामिल रहीं। ज्ञापन देने पश्चात किसानों का जत्था शक्ति भवन के सामने कर्मचारियों के समर्थन में पहुंचा।

    लखनऊ के अलावा वाराणसी, चंदौली, उन्नाव, ताखा ( इटावा), एटा, हाथरस, अलीगढ़, आजमगढ़, कासगंज, बलिया, मुरादाबाद, बरेली, जौनपुर, मऊ, अयोध्या, लखीमपुर खीरी, कासगंज, शामली, देवरिया, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, बागपत, फर्रुखाबाद , शाहजहांपुर, सीतापुर, बाराबंकी, मेरठ, श्रावस्ती, प्रयागराज,कौशाम्बी, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर समेत कुल 40 से अधिक जिलों में ज्ञापन सौंपे गए।

 ज्ञापन के कार्यक्रम क्रांतिकारी किसान यूनियन, किसान संग्राम समिति, किसान मजदूर परिषद, आल इंडिया किसान फेडरेशन, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा, किसान एकता केन्द्र, किसान विकास मंच, क्रांतिकारी किसान मंच, किसान फ्रंट, भारतीय किसान संगठन, भाकियू श्रमिक जनशक्ति यूनियन, सोशलिस्ट किसान सभा, कृषि भूमि बचाओ मोर्चा, खेत मजदूर किसान संग्राम समिति, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, पूर्वांचल किसान यूनियन, भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन, अखिल भारतीय एकीकृत किसान सभा, किसान एकता संघ आदि किसान संगठनों ने अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में एकजुट होकर भागीदारी की। मऊ, अलीगढ़, अयोध्या, देवरिया, चंदौली सहित कई जिलों में भाकियू टिकैत, किसान सभा और किसान महासभा ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

    अलीगढ़ में किसानों ने रैली निकाल कर बिजली कर्मचारियों के साथ संयुक्त विरोध सभा का आयोजन किया। किसान नेताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि सस्ती बिजली और सस्ता पानी देना सरकार की जिम्मेदारी है और यह तब ही मुमकिन है जब बिजली विभाग को निजी हाथों में जाने से बचाया जाए, हम किसान -कर्मचारी और जनता के सभी वर्ग बिजली के निजीकरण का विरोध आने वाले दिनों में और भी व्यापक एकजुटता के साथ करेंगें। 

   सरकार घाटे का झूठ फैला रही है, जबकि यह घाटा सरकार की जनविरोधी भ्रष्टाचार से लिप्त नीतियों का परिणाम है। आगे की रणनीति के तहत किसान संगठन हर गांव, हर घर पर्चा वितरण अभियान चलाकर किसानों -मजदूरों को निजीकरण के विरोध में लामबंद करेंगें।

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