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लोकतंत्र के भरोसे कब तक हिन्दू लड़कियां जिहाद की भेंट चढ़ेंगी 

लोकतंत्र के भरोसे कब तक हिन्दू लड़कियां जिहाद की भेंट चढ़ेंगी 

                     दिव्य अग्रवाल                                                   लेखक व विचारक

नवी मुंबई की बिटिया यशश्री शिंदे की क्रूरतम तरीके से निर्मम हत्या दाऊद शेख द्वारा कर दी गयी । दाऊद शेख पर २०१९ में यशश्री के घरवालों ने पास्को एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था । यशश्री तब नाबालिग थी और दाऊद शेख उसके साथ गलत हरकत करता था , मुकदमा होने के पश्चात दाऊद शेख जेल गया और जमानत पर बाहर आने के पश्चात पुन्हा जयश्री के संपर्क में आया परन्तु अबकी बार दाऊद शेख और भी ज्यादा क्रूर था । २५ जुलाई को लापता जयश्री का मृत शरीर जब पुलिस को प्राप्त हुआ तो जयश्री का कोई अंग ऐसा नहीं था जिस पर प्रहार न किया गया हो । कमर से लेकर गुप्तांग तक पर अमानवीय तरीके से प्रहार कर बाल तक काट लिए गए, जब मृत देह की सूचना मिली तो उस समय उस देह को कुत्ते नोच कर खा रहे थे । प्रश्न यह है की जिहादियों की इस अमानवीयता को लोकतांत्रिक तरीके से समाप्त किया जा सकता है क्या या जब पहली बार यह घटना हुई थी तभी आरोपी का संहार हो जाना चाहिए था। इस्लामिक जिहादियों को जेल जाने में कोई समस्या नहीं क्यूंकि अदालत से लेकर पुलिस विभाग तक उनकी पैरवी करने के लिए मजबूत इस्लामिक तंत्र तैयार रहता है जबकि पीड़ित हिन्दू परिवार पुलिस प्रकिर्या और अदालती खर्चे में ही टूट जाता है । परिवार का सम्मान खोने और अपने बच्चे जिहाद की भेंट चढ़ने के पश्चात भी हिन्दू समाज कुछ नहीं कर पाता, लगता है हिन्दू समाज को महाभारत की तरह स्त्री का अपमान करने वालो के समूचे वंश को दण्डित करके ही मानवता को बचाना होगा।

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