महिला व स्वयं सहायता समूहों की कार्यशाला

बांदा। महिला एवं स्वयं सहायता समूहों की आपदा जोखिम न्यूनीकरण मे भूमिका के बारे मे शहर के राजादेवी कालेज मे मंडल स्तरीय कार्यशाला हुई। लेफ्टीनेंट जनरल उपाध्यक्ष राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण योगेन्द्र डिमरी ने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण दैवीय आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं। अनेक दैवीय आपदाओं सर्प दंश, सूखा, अतिवृष्टि, आग लगने, नदी मे डूबने, बाढ़ आदि से जनहानि एवं धनहानि होती है। इन आपदाओं मे सबसे अधिक महिलाएं, बच्चे व अधिक उम्र के लोग प्रभावित होते हैं। उन्होने कहा कि इन आपदाओं मे होने वाली हानि को कम करने व उनके प्रति सतर्क रहने के लिए महिलाओं एवं स्वयं सहायता समूहों को जागरूक किए जाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होने कहा कि आपदा प्रबंधन से बचाव के लिए 1800 स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। सभी आपदाओं मे आपातकालीन स्थिति मे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए महिलाएं एक-दूसरे को संगठित कर बेहतर सहायता प्रदान करती हैं। कहा कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों मे आपदा जोखिम प्रबंधन मे महिलाओं की सहभागिता की जाए। इसके लिए उन्हे जागरूक किया जा रहा है। आयुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि दैवीय आपदाओं मे महिलाएं, बच्चे, बीमार व उम्र दराज लोग अधिक प्रभावित होते हैं। कहा कि सर्प दंश, आकाशीय विद्युत गिरने, बाढ़ आदि आपदाओं से अधिक जनहानि होती है इसलिए आपदाओं से बचने व उनसे होने वाली जनहानि को कम करने के उपायों को जानना आवश्यक है। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण मे महिला एवं स्वयं सहायता समूह की भूमिका महत्वपूर्ण है। महिलाएं आपदा से बचाव की जानकारी लेकर लोगों को जागरूक करें। उन्होने कहा कि इस बारे मे विस्तार से कार्यशाला मे जानकारी दी जा रही है। इसे समझकर आपदा जोखिम को कम करने मे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करें। कार्यशाला मे मण्डल के जनपदों से आईं महिलाओं से आपदा प्रबंधन के बारे मे प्रश्न पूंछकर सर्वश्रेष्ठ पांच महिलाओं को सही उत्तर देने पर सम्मानित किया गया। कार्यशाला मे परियोजना प्रबंधक, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डॉ कनीज फातिमा, एडीएम, नगर मजिस्ट्रेट, अधिकारी, विद्यालय के प्राचार्य एवं बड़ी संख्या मे समूह की महिलाएं मौजूद रहीं।