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देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

🌤️ *दिनांक – 24 सितम्बर 2025*

🌤️ *दिन – बुधवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*

🌤️ *शक संवत – 1947*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शरद ऋतु*

🌤️ *मास – आश्विन*

🌤️ *पक्ष – शुक्ल*

🌤️ *तिथि – तृतीया पूर्ण रात्रि तक*

🌤️ *नक्षत्र – चित्रा शाम 04:16 तक तत्पश्चात स्वाती*

🌤️ *योग – इन्द्र रात्रि 09:03 तक तत्पश्चात वैधृति*

🌤️ *राहुकाल – दोपहर 12:30 से दोपहर 02:01 तक*

🌤️ *सूर्योदय – 06:29*

🌤️ *सूर्यास्त – 06:31*

👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*

🚩 *व्रत पर्व विवरण – तृतीया वृद्धि तिथि*

💥 *विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🕉️~*वैदिक पंचांग* ~🕉️

🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷

🙏🏻 *कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं मां चंद्रघंटा*

*नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।*

🌷 *रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा* 🌷

*नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।*

🙏🏻 *मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।*

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

 

🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷

*तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं । इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।*

🙏🏻 *नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।*

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

 

🌷 *नवरात्रि के दिनों में जप करने का मंत्र* 🌷

👉🏻 *नवरात्रि के दिनों में ‘ ॐ श्रीं ॐ ‘ का जप करें ।*

🙏🏻

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

 

🌷 *विद्यार्थी के लिए* 🌷

🔥 *नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।*

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️

🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🌷🙏🏻

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

आपका जन्मदिन: 24 सितंबर

 

दिनांक 24 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा। आपमें गजब का आत्मविश्वास है। इसी आत्मविश्वास के कारण आप किसी भी परिस्थिति में डगमगाते नहीं है। आपको सुगंध का शौक होगा। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति आकर्षक, विनोदी, कलाप्रेमी होते हैं। आप अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति गंभीर होते हैं। अगर आप स्त्री हैं तो पुरुषों के प्रति आपकी दिलचस्पी होगी। लेकिन आप दिल के बुरे नहीं है। 6 मूलांक शुक्र ग्रह द्वारा संचालित होता है। अत: शुक्र से प्रभावित बुराई भी आपमें पाई जा सकती है। जैसे स्त्री जाति के प्रति आपमें सहज झुकाव होगा।

 

आपके लिए खास

 

शुभ दिनांक : 6, 15, 24

 

शुभ अंक : 6, 15, 24, 33, 42, 51, 69, 78

 

 

शुभ वर्ष : 2026

 

ईष्टदेव : मां सरस्वती, महालक्ष्मी

 

शुभ रंग : क्रीम, सफेद, लाल, बैंगनी

 

 

आपकी जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल

करियर: नौकरीपेशा व्यक्ति अपने परिश्रम के बल पर उन्नति के हकदार होंगे। बैक परीक्षाओं में भी सफलता अर्जित करेंगे। लेखन संबंधी मामलों के लिए उत्तम होती है। जो विद्यार्थी सीए की परीक्षा देंगे उनके लिए शुभ रहेगा।

 

 

परिवार: दाम्पत्य जीवन में मिली जुली स्थिति रहेगी। विवाह के योग भी बनेंगे। स्त्री पक्ष का सहयोग मिलने से प्रसन्नता रहेगी।

 

कारोबार: आर्थिक मामलों में सभंलकर चलना होगा। व्यापार-व्यवसाय में भी सफलता रहेगी।

 

 

 

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज भी दिन आपके लिए अनुकूल बना हुआ है। आप जिस भी कार्य को आरम्भ करेंगे परिस्थितियां पहले से ही उसके योग्य बन जाएंगी। आस-पास का वातावरण भी हास्य-प्रमोद वाला मिलने से कठिन कार्य भी आसानी से पूर्ण कर लेंगे। व्यवसाय में निवेश आज न करें केवल योजना बना कर रखें भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। आज किये गए शुभकर्म अति लाभदायक सिद्ध होंगे।

सेहत में मामूली गिरावट अनुभव करेंगे। कार्य क्षेत्र पर थोडी माथापच्ची करनी पड़ सकती है परंतु धन लाभ के प्रयास अवश्य सफल होंगे। पैतृक संबंधो से आकस्मिक लाभ होगा। सरकारी कार्य कल के लिए छोड़ना बेहतर रहेगा। स्त्री से सुख मिलेगा।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज आप जिस भी वस्तु की कामना करेंगे उसके लिए दोपहर तक परेशान रहेंगे माथापच्ची भी करनी पड़ेगी लेकिन दोपहर के बाद अधिकांश कामनाओ के पूर्ण होने की आशा जागेगी फिर भी कुछ एक कि ही प्राप्ती हो सकेगी। आज मेहनत करने से पीछे ना हटे जल्द ही स्थिति आपके पक्ष में बनने से धन धान्य की वृद्धि होगी। कार्य क्षेत्र पर जिस भी कार्य को करेंगे उसका लाभ पाने के लिये उतावले रहेंगे परन्तु आशाजनक परिणाम कल ही मिल सकेंगे। आपकी वाणी की सौम्यता नए सम्बंध स्थापित करने में सहायता करेगी। घर के किसी बुजुर्ग से शुभकार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। खर्च भी अधिक रहेगा। लंबी यात्रा से बचे सेहत ख़राब हो सकती है।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन का पूर्वाध धन लाभ की संभावनाएं जगायेगा लेकिन स्वभाव में लापरवाही रहने से प्राप्ति में संशय रहेगा। आज स्वयं के बल पर किये गए कार्य ज्यादा फायदेमंद रहेंगे लेकिन आवश्यकता पड़ने पर किसी नापसन्द व्यक्ति की मदद लेनी पड़ेगी जो कि हानिकारक ही रहेगी। मध्यान बाद आर्थिक विषयो को लेकर भागदौड़ करनी पड़ेगी इसके परिणाम संध्या तक संतोषजनक रहेंगे। नौकरी वाले लोग आलसी व्यवहार के कारण कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था फैलाएंगे। परिजनों का सहयोग सानिध्य कार्यो को सरल बनाएगा। खान पान संयमित रखें पेट खराब हो सकता है।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन व्यर्थ की भागदौड़ वाला रहेगा। दिन का आरंभिक भाग आज भी पुरानी बातें ताजा होने पर गरमा गर्मी में खराब होगा। मध्यान बाद कार्य व्यवसाय में थोड़ी स्थिरता आने से संतोष होगा आज आप जो भी सोचेंगे उसका उल्टा परिणाम मिलेगा इसलिए धन संबंधित अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को फिलहाल स्थगित रखें। स्वयं को ज्यादा बुद्धिमान दिखाने का प्रयास हास्य का पात्र बना सकता है विवेक से व्यवहार करें। नौकरी वालो को मेहनत का परिश्रम आज नही मिल सकेगा। सेहत को लेकर थोड़े चिंतित रहेंगे। परिजनों से संभलकर बात करें।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आप आर्थिक मामलों को लेकर ज्यादा गंभीर रहेंगे मध्यान तक का समय इस विषय मे निराशाजनक रहेगा लेकिन इसके बाद मेहनत का फल मिलने लगेगा। किसी पुराने संबंध से अचानक धन लाभ होने से कार्यो में उत्साह बढेगा लेकिन लाभ आज एकबार ही होकर रह जायेगा फिर भी मेहनत करते रहे आने वाला समय अवश्य ही अधिक लाभदायक रहेगा। सहकर्मियों का कारण थोड़ी बहुत परेशानी होगी फिर भी तालमेल बिठा लेंगे। दूर के संबंधियों से दोपहर बाद प्रसन्नता दायक समाचार मिलेंगे। छोटी मोटी नोकझोंक को छोड़ पारिवारिक वातावरण शांत रहेगा। सेहत भी सामान्य रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज दिन का पहला भाग सुख शांति से बीतेगा दैनिक कार्यो में सुस्ती दिखाएंगे घर में कोई अप्रिय घटना के कारण बाहर का वातावरण ज्यादा पसंद आएगा। मध्यान के बाद परिस्थिति बदलने लगेगी इसलिए धन संबंधित व्यवहार पहले ही कर लें इसके बाद का समय कलह क्लेश की भेंट चढेगा। महिलाये छोटी बातो को बड़ा चढ़ा कर घर का माहौल खराब करेंगी। नौकरी वाले लोगो को भी मध्यान बाद अधिकारियों की नाराजगी का शिकार बनना पड़ेगा। धन की आमद के लिए ज्यादा प्रयास करना पड़ेगा मध्यान बाद रुकने की संभावना है। मानसिक तनाव अधिक रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज भी दिन का आरंभिक भाग हानि वाला रहेगा आवश्यक कार्यो को आज मध्यान तक टालना ही बेहतर रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में मन में किसी अरिष्ट की आशंका से भय रहेगा। व्यवहार तो करेंगे लेकिन खुल कर अपनी बात किसी को बताने से हिचकिचाएंगे। मध्यान के बाद परिस्थिति सामान्य बनने लगेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन भविष्य की योजनाओं के लिए महत्त्वपूर्ण रहेगा। बुजुर्गो की बातों की अनदेखी ना करें। धन लाभ आज कम ही होगा लेकिन भविष्य में होने की संभावनाएं मजबूत होंगी। परिवार में किसी से गलती होने पर धर्य से कम लें अन्यथा अशांति लंबे समय के लिए बनेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायक रहेगा। दिन के पूर्वार्ध में कार्य क्षेत्र पर बेहतर वातावरण मिलने से धन लाभ होगा। इसके बाद का समय गलत निर्णय लेने से हानिकर रहेगा लेकिन धन लाभ के कोई भी अवसर आज नहीं चूकेंगे। आकस्मिक खर्च रहने से आर्थिक समस्या बन सकती है। परिजनों का सहयोग बराबर मिलते रहने से मानसिक रूप से शान्ति रहेगी। मित्रो का भी साथ मिलेगा। स्वास्थ्य आज सर्दी जुखाम के कारण नरम रह सकता है फिर भी आपकी दिनचर्या पर इसका विशेष असर नहीं पड़ेगा। नौकरी व्यवसाय में आज आपके कार्य की प्रशंसा होगी। दाम्पत्य जीवन में सरसता बनी रहेगी। पत्नी संतान के साथ आज अच्छी पटेगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज दिन के पूर्वार्ध में कुछ सोची हुई योजनाए पूर्ण होने से उत्साह में रहेंगे लेकिन अतिआत्मविश्वास की भावना निकट भविष्य में अवश्य ही कुछ ना कुछ हानि करायेगी। स्वभाव में भावुकता अधिक रहेगी किसी की भी बातो में जल्दी आ जाएंगे मध्यान बाद इसके कारण आर्थिक हानि होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर मध्यान तक अधूरे कार्य समेटने पर ध्यान दें इसके बाद प्रत्येक कार्य मे जोखिम बढेगा इससे बचते बचते भी थोड़ा बहुत नुकसान होगा ही। आज आपको प्रतिस्पर्धियों की जगह स्वयं के निर्णयों को लेकर ज्यादा सन्देह रहेगा। धन की आमद खर्च के अनुपात में बराबर रहेगी। सेहत संध्या बाद प्रतिकूल बनेगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज दिन के आरंभ में कार्य व्यवसाय अथवा सरकारी क्षेत्र से राहत वाले समाचार मिलेंगे। सरकारी कार्यो को आज प्राथमिकता दें थोड़े से परिश्रम से संतोषजनक परिणाम मिल सकते है। सार्वजनिक क्षेत्र पर योगदान देने से सम्मान में वृद्धि होगी। आज आप किसी की भी सहायता के लिये तैयार रहेंगे स्वभाव में मृदुता बिगड़े कामो को बनाने में मददगार रहेगी। धन की आमद पहले से ही निश्चित रहेगी संध्या बाद नए काम से भी अकस्मात मिलने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर विरोधी आज कम ही रहेंगे लेकिन परिवार में पैतृक संबंधित मामलों को लेकर स्वयंजन ही वैर भाव रखेंगे। शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन थोड़ा राहत प्रदान करेगा। सेहत में सुधार आएगा लेकिन कार्यो के प्रति चिता रहते हुए भी ज्यादा गंभीरता नही दिखाएंगे। धर्म कर्म के प्रति विशेष लगाव रहेगा। गूढ़ विषयो को जानने में अधिक रुचि लेंगे। नास्तिक लोग भी आज चमत्कारिक रूप से धर्म का पालन करते दिखेंगे। विद्यार्थी वर्ग पढाई के प्रति चंचल रहेंगे। कार्य व्यवसाय के लिए आज का दिन सामान्य ही रहेगा सहयोगी वातावरण रहने के बाद भी लाभ खर्च बराबर रहेंगे। परिवार में थोड़ी नोक-झोंक हो सकती है। व्यवहार में मधुरता रखे अटके काम बन जाएंगे। बड़े लोगो की दया दृष्टि रहने से अपनी बात मनवा लेंगे। परिजनों के साथ मित्र की तरह व्यवहार करने से आनंद की प्राप्ति होगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज दिन के पहले भाग को छोड़ शेष भाग में कुछ ना कुछ शारीरिक एवं मानसिक विषमताएं जन्म लेंगी सेहत की जांच समय रहते करा लें अन्यथा बाद में परेशानी बढ़ेगी। दिन भर सतर्क रहने की आवश्यकता है। सेहत नरम रहने से स्वभाव मे चिढ़चिढ़ापन आएगा फलस्वरूप किसी प्रियजन से मन मुटाव के प्रसंग बनेंगे। आर्थिक कारणों से चिंता बैचेनी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर मन कम लगेगा। कानूनी उलझनों में फंसने की संभावना है। विरोधी आपको नीचा दिखाने का हर संभव प्रयास करेंगे व्यर्थ के विवाद से दूरी बना कर रहें। आज आपके पुण्य उदय होने से धर्म-कर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी आध्यात्म से जुड़े रहें।

नवरात्रि के तृतीय दिवस माँ चंद्रघंटा की उपासना विधि एवं फल

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन माँ के चंद्रघंटा विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है।

माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।

माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।

मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ विनष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना सद्यः फलदायी है। माँ भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है।

माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं।

माँ के आराधक के शरीर से दिव्य प्रकाशयुक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता रहता है। यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखाई नहीं देती, किन्तु साधक और उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव भली-भाँति करते रहते हैं।

माता चंद्रघंटा की कथा
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देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला. असुरों का स्‍वामी महिषासुर था और देवाताओं के इंद्र. महिषासुर ने देवाताओं पर विजय प्राप्‍त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्‍वर्गलोक पर राज करने लगा।
इसे देखकर सभी देवतागण परेशान हो गए और इस समस्‍या से निकलने का उपाय जानने के लिए त्र‍िदेव ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के पास गए।
देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, चंद्र, सूर्य, वायु और अन्‍य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और उन्‍हें बंधक बनाकर स्‍वयं स्‍वर्गलोक का राजा बन गया है।
देवाताओं ने बताया कि महिषासुर के अत्‍याचार के कारण अब देवता पृथ्‍वी पर विचरण कर रहे हैं और स्‍वर्ग में उनके लिए स्‍थान नहीं है।
यह सुनकर ब्रह्मा, विष्‍णु और भगवान शंकर को अत्‍यधिक क्रोध आया. क्रोध के कारण तीनों के मुख से ऊर्जा उत्‍पन्‍न हुई. देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा से जाकर मिल गई. यह दसों दिशाओं में व्‍याप्‍त होने लगी।
तभी वहां एक देवी का अवतरण हुआ. भगवान शंकर ने देवी को त्र‍िशूल और भगवान विष्‍णु ने चक्र प्रदान किया. इसी प्रकार अन्‍य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अस्‍त्र शस्‍त्र सजा दिए.
इंद्र ने भी अपना वज्र और ऐरावत हाथी से उतरकर एक घंटा दिया. सूर्य ने अपना तेज और तलवार दिया और सवारी के लिए शेर दिया।
देवी अब महिषासुर से युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार थीं. उनका विशालकाय रूप देखकर महिषासुर यह समझ गया कि अब उसका काल आ गया है. महिषासुर ने अपनी सेना को देवी पर हमला करने को कहा. अन्‍य देत्‍य और दानवों के दल भी युद्ध में कूद पड़े।
देवी ने एक ही झटके में ही दानवों का संहार कर दिया. इस युद्ध में महिषासुर तो मारा ही गया, साथ में अन्‍य बड़े दानवों और राक्षसों का संहार मां ने कर दिया. इस तरह मां ने सभी देवताओं को असुरों से अभयदान दिलाया।

उपासना मन्त्र एवं विधि
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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

हमें चाहिए कि अपने मन, वचन, कर्म एवं काया को विहित विधि-विधान के अनुसार पूर्णतः परिशुद्ध एवं पवित्र करके माँ चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना में तत्पर हों। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं। हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।
प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में तृतीय दिन इसका जाप करना चाहिए।

इस दिन सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला जिसके चेहरे पर तेज हो, को बुलाकर उनका पूजन करना चाहिए। भोजन में दही और हलवा खिलाएँ। भेंट में कलश और मंदिर की घंटी भेंट करना चाहिए।

माँ चंद्रघंटा ध्यान मन्त्र
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वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

माँ चंद्रघंटा स्तोत्र पाठ
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आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

माँ चंद्रघंटा कवच
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रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

कर्ज से मुक्ति के उपाय
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कर्जें से मुक्ति के लिए क्या उपाय करें।
संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी ऋण से पीछा नहीं छुट रहा हो तो 108 गुलाब के पुष्प ॐ
ऐं ह्रीं श्रीं चं फट् स्वाहा मंत्र बोलते हुए भगवती चंद्रघंटा के श्री चरणों में अर्पित करें। सवा किलो साबुत मसूर लाल कपड़ें में बांधकर अपने सामने रख दें। घी का दीपक जलाकर ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चंद्रघण्टे हुं फट् स्वाहा। इस मंत्र का जाप 108 बार करें। मसूर को अपने ऊपर से 7 बार उसार कर सफाई कर्मचारी को दान में दे दें। कर्जें से छुटकारा मिलने की संभावना बढ़ेगी।

माँ चंद्रघंटा की आरती
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जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।

माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…

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