
लखनऊ :- नवयुग कन्या महाविद्यालय में पुण्यश्लोक लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के त्रिशताब्दी जयंती वर्ष 2024-25 के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यवक्ता राष्ट्रधर्म प्रकाशन के निदेशक मनोज कान्त तथाअतिथि वक्ता इतिहासविद् प्रो० रंजना मिश्र रहीं मनोजकान्त ने लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन के अनछुये पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा की लोकमाता के योगदान को समग्रता के साथ समझने के लिए उनके अन्तर्बोध तथा जीवन मूल्यों को समझना आवश्यक है। उन्होने उदाहरण देते हुये बताया कि किस प्रकार देवी अहिल्याबाई ने राजशासन में कुटनीति और संवेदनसीलता का अद्भुत संतुलन स्थापित किया।
उन्होने बताया कि उनकी राजशाही में लोकतान्त्रिक परम्पराओं की झलक मिलती है। उन्होने बताया की अहिल्याबाई होल्कर ने 300 वर्ष पूर्व महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत किया। राजकिशोर,प्रान्त प्रमुख अवध प्रान्त ने लोक माता द्वारा महिलाओं तथा संस्कृति के संरक्षण के लिए किये गये कार्यों पर प्रकाश डाला। प्रशांत भाटिया ने लोक माता अहिल्या बाई को एक आदर्श महिला चरित्र बताया तथा छात्राओं को उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। अतिथिवक्ता प्रो० रंजना मिश्रा ने लोक माता देवी अहिल्याबाई के विषय में इतिहास लेखन का एक विषद् तथा तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया उन्होंने भारतीय तथा विदेशी इतिहास लेखको द्वारा अहिल्या बाई पर लिखी गई पुस्तकों की अलोचनात्मक समीक्षा की। उन्होने तथ्यों तथा ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर सिद्ध किया की लोकमाता अहिल्याबाई एक कर्तव्यनिष्ठ, न्यायप्रिय, धर्मपरायण महिला थी। परन्तु उन्होने राजधर्म को व्यतिगत धर्म से सदैव प्रथम वरीयता दी। अनन्य शिवभक्ति होने पर भी धर्मनिर्पेक्ष राजनीति अपनायी।
प्राचार्या प्रो० मंजुला उपाध्याय ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई भारतीय नारी के अदम्य साहस और संघर्षशीलता की प्रतीक है जिन्होने 28 वर्ष तक मालवा पर शासन कर यह सिद्ध किया की भारतीय महिलाओं की क्षमता का न केवल सम्मान था बल्कि उन्हे समान अवसर भी प्राप्त हुए कार्यक्रम का सवालन प्रो० सुषमा त्रिवेदी ने किया। तथा आयोजन में प्रो० नीतू सिंह, ऑ० नेहा अग्रवाल, डॉ अरिमा पाण्डे, डॉ० सीमा पाण्डे, डॉ० मनीषा बडीनिया आदि ने सहयोग प्रदान किया। महाविद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं, छात्राओं तथा नवयुग इण्टर कॉलेज की शिक्षिकाओं, तथा छात्राओं ने कार्यक्रम में सहभागिता की।