आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 15 जुलाई तक:देवी सती की दस महाविद्याओं की साधना का पर्व, साल में 4 बार ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि –

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (6 जुलाई) से गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई है। 15 जुलाई को भड़ली नवमी पर गुप्त नवरात्रि खत्म होगी। इन दिनों में देवी सती की दस महाविद्याओं के लिए विशेष साधना की जाती है। ये साधनाएं तंत्र-मंत्र से जुड़े साधक करते हैं। सामान्य लोगों के देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए।
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वाराणसी के ज्योतिषाचार्य आनंद शास्त्री के मुताबिक, हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त रहती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहते हैं।
*ये हैं देवी सती की दस महाविद्याएं*
देवी सती की महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।
*दो ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि*
नवरात्रि का संबंध ऋतुओं से है। जब दो ऋतुओं का संधिकाल रहता है, उस समय देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। संधिकाल यानी एक ऋतु के खत्म होने का और दूसरी ऋतु के शुरू होने का समय। एक साल में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में नवरात्रि आती है।
आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है।
आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है।
माघ मास की नवरात्रि के समय शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु शुरू होती है।
चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है।
*गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ के साथ व्रत करने के लाभ*
आयुर्वेद के अनुसार व्रत-उपवास करने से हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। खान-पान में संयम रखने से हम बीमारियों से बचे रहते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
जब हम खान-पान में संयम रखते हैं तो आलस नहीं आता है और मन पूजा-पाठ में लगा रहता है। पूजा-पाठ के बाद एकाग्र मन के साथ किए गए अन्य कामों में भी सफलता मिलती है।
नवरात्रि के दिनों में देवी मां के भक्त अन्न का त्याग करते हैं और शरीर को ऊर्जा मिलती रहे, इसके लिए फलाहार करते हैं। पूजा-पाठ जप, तप और साधनाओं से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं।