लखनऊ
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मेरे जीवन के लिए यह सबसे गोरव क्षण था कि जिस नारे को मेरे द्वारा वह निषाद पार्टी द्वारा देशभर में बताया गया बढ़ाया गया – डॉ संजय कुमार निषाद

लखनऊ:- राष्ट्रीय अध्यक्ष निषाद पार्टी एवं कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने लखनऊ स्तिथ अपने सरकारी आवास 01 विक्रमादित्य मार्ग पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज प्रदेश में मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र व प्रदेश की डबल इंजन की सरकार विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को संचालन कर रही है जिसका प्रदेश में मछुआ समाज को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है, जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, प्रधानमंत्री मछुआ दुर्घटना बिमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए), मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्य पालक कल्याण कोष, निषाद राज बोट योजना समेत अन्य योजनाएं प्रदेश में संचालित हैं।

राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने पर –

 नेता प्रतिपक्ष का पद बहुत जिम्मेदार पद होता है, अगर कांग्रेस पार्टी ने उनको यह पद दिया है तो राहुल गांधी को इस पद का सम्मान करना चाहिए किंतु मैं समझता हूं कि राहुल गांधी अपनी बचकानी हरकतों से इस पद को भी हास्यास्पद बना देंगे।

देश की संसद में जय निषाद राज गूंजने पर –

मेरे जीवन के लिए यह सबसे गोरव क्षण था कि जिस नारे को मेरे द्वारा वह निषाद पार्टी द्वारा देशभर में बताया गया बढ़ाया गया आज वह नारा विपक्ष के सांसद और संपक्ष के सांसद सदन में लगा रहे हैं

*मछुआ आरक्षण के विषय पर*

 मैं पक्ष और विपक्ष के सभी निषाद सांसदों से एक आह्वान करना चाहता हूं कि उनको सदन में आरक्षण के विषय पर अपनी आवाज उठानी चाहिए खासकर के समाजवादी पार्टी के जीते हुए निषाद सांसदों से कि वह सदन में निषाद समाज की आवाज़ उठाएं और आरक्षण के विषय पर केंद्र सरकार से अपनी मांग रखें अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो समाज के बीच में जाकर मछुआ SC आरक्षण के मुद्दे पर घड़ियाल आंसू ना रोये।

*लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर*

श्री निषाद जी ने मा० लोकसभा अध्यक्ष के पद पर NDA प्रत्याशी की विजयी होने पर उनको बधाई देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में पिछले 05 साल सदन सुचारू रूप से चला है और फिर से वो इतिहास रचने जा रहे हैं, उनके सफल कार्यकाल की हम कामना करते हैं। उन्होंने कहा कि जब NDA के पक्ष में संख्याबल है तब ही मा० प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार बनी है, विपक्ष संविधान की किताब लेकर सदन में आया है, विपक्ष कहता है कि संविधान बचाओ किंतु मुझे तो यह लगता है कि वह संविधान का मजाक बनाने पर तुले हैं जब देश में आज तक स्पीकर के चयन को लेकर चुनाव नहीं हुए हैं तो विपक्ष को भी स्पीकर के मामले पर सत्ता पक्ष का साथ देना चाहिए था क्योंकि स्पीकर किसी पक्ष और विपक्ष का नहीं होता है वह सदन का होता है वह निष्पक्ष होता है किंतु विपक्ष को संविधान की मूल भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना है और वह नित्य नए काम करता रहता है। 

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