न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ईमानदारी से काम किया, उन्हें रिटायरमेंट पर सम्मान तक नहीं मिला –

दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट की परंपरा है कि रिटायर हो रहे हर जज को बार एसोसिएशन सम्मान देती है। लेकिन इस बार कपिल सिब्बल के नेतृत्व वाली SCBA ने वो भी नहीं किया।
वजह तो कई हैं…
पहला, बेला त्रिवेदी ने उन लोगों को सीबीआई के हवाले कर दिया जो सुप्रीम कोर्ट में फर्जी मुकदमे दायर कर रहे थे।
दरअसल, 2024 में कुछ वकीलों और AOR ने मिलकर एक शख्स के नाम पर झूठा केस डाला था। जब उस व्यक्ति ने खुद कोर्ट को पत्र भेजकर बताया कि मैंने ऐसा कोई केस दायर नहीं किया, तो त्रिवेदी जी की बेंच ने सीधा CBI जांच का आदेश दे दिया।
इससे वो पूरा गिरोह बौखला गया,जो झूठी याचिकाओं से व्यवस्था को गुमराह करता है।
कपिल सिब्बल समेत कुछ लोग चाहते थे कि इन फर्जीवाड़े करने वालों को माफ कर दिया जाए। लेकिन त्रिवेदी जी ने कहा – “कानून सबके लिए बराबर है”।
बस तभी से उनके खिलाफ निजी खुन्नस शुरू हो गई और यही वजह है कि उमर खालिद को भी बेल नहीं दी। ये भी तकलीफ़ दे गया ‘गिरोह’ को। Bela Trivedi वही जज हैं जो गुजरात सरकार में विधि सचिव भी रह चुकी हैं।
मोदी जी से जुड़ाव?
तो बस ‘नफरत’ का बहाना मिल गया।
उन्होंने EWS आरक्षण के पक्ष में फैसला दिया, जिससे सामान्य वर्ग के गरीबों को भी बराबरी का मौका मिले –
इस पर भी कुछ लोगों का खून खौल गया। DK शिवकुमार पर CBI जांच का आदेश और सत्येंद्र जैन की बेल ना होना – सबने इस गिरोह को और आग बबूला कर दिया।
साफ है –
जो भी नियम से चलता है, जो भी सिस्टम की सफाई करता है, वो इन्हें रास नहीं आता। उन्हें चाहिए बिकाऊ फैसले, ढुलमुल रवैया और अपनी मर्ज़ी का न्याय।
बेला त्रिवेदी को सम्मान नहीं देकर इन लोगों ने खुद को बेनकाब कर दिया है। पर सच तो ये है कि एक ईमानदार जज को सम्मान न देकर इन्होंने खुद अपना चेहरा काला किया है –
न कि न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी का…
अब फैसला जनता को करना है – कि वो किसके साथ है। न्याय के साथ या उसके दुश्मनों के साथ।
सुप्रीम कोर्ट को वामपंथ के जंजीरों में ज्यादा दिन नहीं जकड़ कर रखा जा सकता है। जैसे देश वामपंथ मुक्त बना वैसे सुप्रीम कोर्ट भी एक दिन साफ सुथरा होगा।