अयोध्या
Trending

रावण की ससुराल में उतरे राम,जनता की सेवा करके लाएंगे रामराज,घर-घर में भगवान राम की तरह पूजे गए अरुण गोविल –

मेरठ:- नब्बे के दशक में भगवान राम का नाम लेते ही लोगों के मन में अरुण गोविल की छवि आ आती थी।लोगों ने अरुण गोविल को भगवान राम मानकर अपने मन में पहली जगह दी।टीवी के सामने बैठे लोग अरुण गोविल के पर्दे पर आते ही आरती उतारने लगते थे। 2024 में जब रामनगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं, तब भाजपा ने अरुण गोविल को मेरठ से चुनावी मैदान में उतारा है। 

मेरठ लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल इस समय चर्चा के केंद्र में हैं। अरुण गोविल मेरठ में जहां भी जाते हैं, हर उम्र के पुरुष, महिलाएं और बच्चे उनके पैर छूने के लिए उमड़ पड़ते हैं।इन लोगों का कहना है कि रावण के ससुराल राम आए हैं।मेरठ में रावण की ससुराल है।रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की रहने वाली थीं।घर-घर में भगवान राम की तरह पूजे गए अरुण गोविल अब मेरठ से जनता से वोटों का प्रसाद लेकर लोकतंत्र के मंदिर में रामराज की पुनर्स्थापना का संकल्प लेंगे।अक्सर लोग अरुण गोविल को भगवान राम मानकर पैर छूने लगते थे।कई मौकों पर अरुण गोविल के हाथ में सिगरेट होती थी।लोगों की आस्था और भक्ति आहत न हो इसका मान रखते हुए अरुण गोविल सिगरेट पीना ही छोड़ दिया।

72 वर्षीय अरुण गोविल के सामने भगवान राम के प्रति आस्था को साकार रूप देने का एक बार फिर मौका मिला है। रामायण धारावाहिक के लिए जब अरुण गोविल ने ऑडिशन दिया तो उनकी दावेदारी खारिज कर दी गई।परिवार के लोग भगवान राम के किरदार को चुनने के उनके फैसले के पक्ष में नहीं थे। परिवार वालों का मानना था कि इससे अरुण गोविल को कॉमर्शियल सिनेमा में नुकसान होगा। रामानंद सागर ने अरुण गोविल को भरत-लक्ष्मण के किरदारों की पेशकश की, लेकिन अरुण गोविल ने ठान लिया था कि वे राम ही बनेंगे।अब अरुण गोविल अपने गृहजनपद मेरठ से भाजपा से प्रत्याशी हैं।अरुण गोविल को मेरठ के लोगों का प्यार रामराज की पुनर्स्थापना का मौका दे सकता है।

बता दें कि अरुण गोविल ने थिएटर और बॉलीवुड में भी कई किरदारों को किया। अरुण गोविल ने स्कूली दिनों से ही अदाकारी की यात्रा शुरू कर दी थी।मेरठ के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज की ड्रामेटिक सोसायटी के भी सदस्य रहे। 70 के दशक में जब अरुण गोविल मुंबई पहुंचे तो राजश्री प्रोडक्शन ने उन्हें 1977 में अपनी फिल्म पहेली में सहायक अभिनेता का मौका दिया। कुछ ही साल बाद राजश्री प्रोडक्शन ने तीन फिल्मों में अरुण गोविल को मुख्य भूमिका में लिया। सावन को आने दो, सांच को आंच नहीं अरुण गोविल की चर्चित फिल्में रहीं। अरुण गोविल ने विक्रम बेताल में शानदार किरदार से अलग पहचान बनाई।रामायण धारावाहिक के लगभग 30 साल बाद अरुण गोविल ने 2019 में अतुल सत्य कौशिक के लिए द लीजेंड ऑफ राम: एक शब्द, एक बाण, एक नारी नाटक में भी मंच पर भगवान राम का अभिनय किया। नाटक के आखिरी में अरुण गोविल एक संवाद में कहते हैं प्रजा के हित के आगे राजा शून्य हो जाता है।मंच पर अरुण गोविल का यह संवाद सियासत में एक नेता के लिए कड़ा संदेश है।अब देखना होगा कि सियासी पारी में अरुण गोविल इस संवाद को कितना जी पाते हैं।

विज्ञापन के लिए संपर्क करे –

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page