रावण के गांव पहुंचे थे पूर्व पीएम,मंदिर तो बन गया,लेकिन आज तक नहीं लगी मूर्ति,दशहरे पर मनाया जाता है शोक –

ग्रेटर नोएडा:– प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि रामनगरी अयोध्या को सभी जानते हैं।क्या आपको पता है कि लंकापति रावण कहां का रहने वाला था और आज उस जगह की हालत क्या है।हम आपको बताते हैं उस गांव के बारे में जहां न केवल रावण का जन्म हुआ था बल्कि रावण के पिता विश्वश्रवा ऋषि भी यहीं पैदा हुए थे।यहीं रहकर रावण ने अष्टकोणीय शिवलिंग के सामने बैठकर देवाधिदेव महादेव की आराधना की थी वरदान प्राप्त किया था।इसके बाद युवावस्था में रावण कुबैर से सोने की लंका लेने के लिए यहां से रवाना हो गया था और फिर यहां वापस लौटकर नहीं आया।
रावण का यह गांव कहीं दूर नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश के चमक दमक वाले शहर ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-1 के पास है।बिसरख को रावण का गांव कहा जाता है।सैकड़ों घरों वाले इस गांव के लोगों का रहन-सहन जरूर सामान्य है,लेकिन वे काफी समृद्ध हैं।रावण को पूरी दुनिया बुराई और अत्याचार का प्रतीक मानती है,लेकिन रावण की इस गांव में पूजा होती है और उसके जैसा विद्वान बालक पाने की कामना भी की जाती है।
दशहरे के दिन पूरे देश में रावण,कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं तो वहीं बिसरख में कहीं भी रावण दहन नहीं होता है।बिसरख में दशहरे पर रावण को बेटा मानकर याद किया जाता है।महिलाएं इस दिन रावण की जन्मस्थली पर बने अष्टकोणीय शिवलिंग की पूजा करती हैं।बताया जाता है कि यह वही शिवलिंग है जिसकी आराधना कर रावण ने देवाधिदेव महादेव से वरदान प्राप्त किया था।
बिसरख गांव की बुजुर्ग महिला कल्लोदेवी ने बताया कि रावण बहुत विद्वान और भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था।हम राम को भी अच्छा मानते हैं और रावण को बेटा मानते हैं।वह यहां पैदा हुआ था,यहीं बड़ा हुआ।दशहरे के दिन यहां कोई रावण का पुतला नहीं जलाता।बहुत साल पहले किसी ने पुतला जलाया,लेकिन जिन्होंने किया था वहां कई अकाल मौतें हो गईं।उस दिन के बाद से यहां इस दिन शोक मनाते हैं और मंदिर में पूजा आराधना करते हैं।घरों में राम सीता की भी आराधना की जाती है।
बिसरख गांव के लोग बताते हैं कि यहां रामलीला या रामायण का कभी भी पाठ नहीं कराया जाता और न ही रावण विरोधी कोई कार्य कराया जाता है।इस डर के पीछे मान्यता है कि यहां अगर कोई रामायण का पाठ कराता है तो हादसे होने लगते हैं। लोगों की मौतें होती हैं।बिसरख में कोई ये भी नहीं कहता कि रावण में कोई दोष था।
मंदिर में पुजारी रहे रामदास बताते हैं कि काफी साल पहले तक बिसरख में बस खुले में एक शिवलिंग था।जब इसकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंची कि यह रावण का गांव है तो यहां एक बार दर्शन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी आए। उनके दौरे के बाद से यहां चारदीवारी बनाई गई और शिवलिंग के ऊपर मंदिर की चोटी बनाई गई।कई सालों से लोग रावण की विशाल प्रतिमा बनाने की मांग कर रहे हैं,लेकिन कोई आर्थिक मदद न मिलने की वजह से अभी तक मंदिर में रावण की मूर्ति नहीं लगी है।यहां मंदिर में शनिदेव, शिवलिंग सहित सामने मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश और हनुमान की मूर्तियां लगाई गई हैं.,लेकिन रावण के सिर्फ दीवारों पर छोटे छोटे चित्र उकेरे गए हैं।
ऐसा माना जाता है कि बिसरख रावण के पिता विश्वश्रवा ऋषि का गांव हुआ करता था। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बिसरख पड़ा था।विश्वश्रवा ऋषि यहां रोज पूजा करने के लिए आया करते थे।पूरे विश्व में बिसरख एक ऐसी जगह है, जहां अष्टभुजीय शिवलिंग है। यही रावण ने अपनी शिक्षा भी प्राप्त की थी।