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उत्तर प्रदेश सरकार की करोड़ों की सौगात में, लगातार चपत लगाती LDA –

लखनऊ:- उत्तर प्रदेश की करोड़ों की सौगात ग्रीन कॉरिडोर जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन ने LDA को दी, अब अगर जिम्मेदारी LDA को दिया गया है तो कुछ अच्छा ही सोच कर दिया गया होगा, पर इस प्रोजेक्ट में अच्छा करने के बजाय करोड़ों की चपत लगाने में आगे बढ़ता दिखा LDA

    हम बताते हैं आपको कैसे, ग्रीन कॉरिडोर एक ऐसी सौगात है, जो उत्तर प्रदेश सरकार ने कुड़िया घाट से लेकर IIM रोड तक जोड़ने वाली सड़क को चौड़ा करके लोगों के आने जाने में हो रही असुविधा को समाप्त करने की एक शानदार पहल सामने रखने की कोशिश की। अच्छी है 40 फीट की रोड है बीच में डिवाइडर है, पर इस प्रोजेक्ट में अगर कहा जाए की सब कुछ सही है तो यह गलत होगा,l क्योंकि इसमें सब कुछ में सही के बजाय कई कमियों के कारण आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह प्रोजेक्ट अच्छा है या LDA ने धन उगाही का एक जरिया बना लिया है।

    40 फीट की रोड को, जो की कुड़िया घाट से IIM रोड तक जोड़ा गया है,सामान्य चौड़ाई हर जगह नहीं दिखाई देगी। कहीं-कहीं मोड़ों पर यह 40 फीट की रोड 36 भी हो रही है और 34 भी हो रही है। अगर इसका बारीकी से निरीक्षण किया जाए, तो ऐसा क्यों तो उसका एक मुख्य कारण यह सामने आता है कि रोड की चौड़ाई के दौरान एलडीए ने जिस कंपनी को यह जिम्मेदारी सौंपी थी, भारतीय इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने वही किया, जो LDA से इस प्रोजेक्ट में संबंधित अधिकारी चाहते थे। यह बंधे वाली रोड को नीचे से ऊपर तक के मिट्टी भरते हुए डांबर और आधुनिक सामग्री लगाते हुए एक ठोस सड़क बनाना था, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। शुरुआत में देखा जाए कुड़िया घाट से जैसे ही आप आगे बढ़ेंगे IIM तक, तो कई जगह आपको रोड की चौड़ाई कहीं-कहीं काम भी नजर आएगी। इसके अतिरिक्त इससे पहले जहां-जहां नीचे ढलान उतरी थी लोगों के आने जाने का रास्ता था उसे बंद कर दिया गया, सिर्फ कुछ ही रास्ते दिए गए हैं, इसमें एक रास्ता ऐसा है जो मैरिज लॉन के लिए उतरता है उसके लिए तो लगता है कि खासतौर पर सिफारिश की गई होगी LDA से, तभी तो LDA के निर्देशन पर कंपनी ने खोल दिया। 

    रोड की मरम्मत को देखा जाए, तो कुड़िया घाट से IIM रोड के बीच में कई जगह रोड के चौड़ाई में सामान्य ना होने के साथ-साथ कई जगह दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसके कारण रोड में गड्ढे भी हुए थे, जिसको बारीकी से देखा जाए तो उस गड्ढे से मिट्टी निकाल रही थी। यानी की अगर आप रोड के निर्माण पर सवाल उठाएं तो गलत नहीं होंगे। इस पर गौर फरमाए तो रोड में डाबर के नीचे बजरी /कच्चा ढांचा नहीं, मिट्टी है। ये कह सकते हैं मिट्टी के ऊपर लगी डांबर पर बनी हुई है रोड। रोड की मरम्मत के साथ-साथ, नगर निगम से संबंधित सर कटा नाला पंप हाउस की मरम्मत और उसके बगल से निकले रस्ते पर कई कमियां हैं। एलडीए ने जिस कंपनी को यह जिम्मेदारी दी थी उसने पैसा बचाने के चक्कर में सर कटा नाला पंप हाउस के फाउंडेशन को तो जैसे तैसे तैयार कर दिया लेकिन रोड को और कमजोर कर दिया। दिखावे के मुखौटे पर उद्घाटन करवा दिया। आपको याद होगा इस रोड का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया है इस प्रोजेक्ट को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा खास महत्व दिया गया है। साथ ही साथ इसमें एलडीए की खास नजर थी। पर क्यों थी, उसका एक सीधा-साधा उदाहरण है यह प्रोजेक्ट करोड़ की सौगात है और उसमें करोड़ की बचत भी की गई है।

    रोड की चौड़ाई को देखा जाए या रोड में लगी लाइटों को देखा जाए। सब में कमियों का एक बेहतरीन नज़ारा है। अगर आप रात्रि में यह रोड से निकलते हैं, तो कुड़िया घाट से गऊघाट चौकी तक रात में लाइटें जलते ही नहीं है। शायद लाइट रात में जलने के लिए ही बनाई गई है और रात में न जले तो इस पर क्या कहा जाए, क्या रोड पे लगीं हुई स्ट्रीट लाइटें शोपीस के लिए लगाई गई हैं।

    इसकी शिकायतें की गई, तो रोड पर 6:00 बजे से रात के 10/11 बजे तक तो चला दी गई, फिर उसके बाद में लाइटें बंद हो जाती है। अंधेरे में पड़ा रहता है आधा ग्रीन कॉरिडोर। 

    सर कटा नाला पंप हाउस के ऊपर से निकली हुई सड़क की नींव इतनी कमजोर है कि आने वाले कुछ सालों के बाद यह रोड ध्वस्त हो सकती है, जिससे कई लोगों की जान जा सकती है। रोड का फाउंडेशन इतना कमजोर बना हुआ है कि इसमें लगे हुए पिलर तक क्रैक होते हुए दिखाई दिए हैं। आप मिट्टी की ढेर के ऊपर में रोड बना रहे हैं तो रोड के मजबूती उसके निर्माण पर निर्भर करता है। पर LDA को कोई फर्क नहीं पड़ता और कंपनी ने खुद भी कमाया है और LDA को गार्डियन के तौर पर परोसा भी है। 

    रात्रि में आप इस रोड पर से गुजरेंगे, तो आपको लाइट नहीं मिलेंगे, रोड की चौड़ाई सामान्य ना होने के कारण यदि आपकी गति तेज होती है तो सड़क दुर्घटना होने के कई अवसर प्राप्त हो सकते हैं और आए दिन हो भी रहे हैं। ज्यादातर मोड़ों पर ऐसा कई बार देखा गया है। नीचे उतरने वाले लोगों के आवागमन को लेकर, जहां जरूरत है वहां रास्ते नीचे उतरे ही नहीं हैं। जिसके कारण कई बार यह भी देखा गया है कि रोड पर उल्टे दिशा से चालक चले आ रहे हैं जिसके कारण भी सड़क दुर्घटना कई बार हुए हैं। 

    आपको बता दें रोड के निर्माण के दौरान खनन भी होते हुए देखा गया, नगर निगम का सर कटा नाला पंप हाउस बगैर फाउंडेशन के तोड़ दिया गया, जब ज्यादा शिकायतें पहुंचने लगी, तो उसे बनाया तो गया है लेकिन वह कितना कमजोर है वह आपको आने वाले कुछ समय में पता ही चल जाएगा! रोड की नींव तो कमजोर है ही, फाउंडेशन को इस तरीके से बनाया गया है कि यदि अगर रोड ध्वस्त होती है तो उसका सारा मिट्टी का ढेर पंप हाउस में आएगा। चूंकि यह रोड और यह पंप हाउस नाले की नींव पर बना हुआ है, इसमें नगर निगम भी कहीं हद तक लापरवाह है। दिए हुए समय पर न बनने पर नगर निगम को पैसा देने का वादा जो LDA का था वह तो उन्होंने पूरा कर दिया, लेकिन खराब फाउंडेशन बनाकर और रोड के निर्माण को कमजोरी बनाकर एलडीए ने कितने करोड़ों रुपए का गपन किया होगा इसका आप अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं। रात्रि में लाइट ना जलने का क्या कारण है यह आज तक एलडीए ने कभी बताया ही नहीं, LDA के मुताबिक लाइट और निर्माण बहुत ही अच्छा है जिसको कोई झांकने भी नहीं आता फिर भी वह अच्छा है कागजों में।

    आपको बता दें रोड के निर्माण, लाइट की समस्या, नीचे उतारते हुए रास्तों एवं चौड़ाई से संबंधित मामलों को लेकर मंडल आयुक्त डॉ रोशन जैकब, एलडीए वीसी व सचिव तक की शिकायत की गई। पर परिणाम जीरो बटा सन्नाटा, ऐसा क्यों?, 

    आने वाले समय में यह रोड कब तक टिकी रहेगी इसमें भी संदेह है। ऐसा क्यों उसका एक मुख्य वजह यह है कि रोड निर्माण में बहुत घपला हुआ है। कंपनी ने घपला अकेले ही नहीं किया है, जरूर LDA के कुछ अधिकारियों के मिलीभगत के भेट चढ़ा है। आपको बता दें एलडीए ने रिटायर्ड जेइ ए.के.सेंगर को इसकी जिम्मेदारी सौंप थी मुख्य अभियंता के रूप में बना कर। इस प्रोजेक्ट का ऐसा मुख्य अभियंता जिनको नॉलेज होना चाहिए, बारीकी से कार्य कराना चाहिए, तो जिम्मेदार मुख्य अभियंता झांकने तक नहीं जाते थे और झांकने जब जाते थे तो उसे समय कंपनी का हर एक बंदा मौजूद हो जाता था। जब वह चले जाते थे तो कंपनी का हर एक बंदा अपने अपने ढंग में ही ढल जाता था। अगर कहा जाए कि इस प्रोजेक्ट के मुख्य अभियंता ए.के.सेंगर से शिकायत ना की गई हो तो यह भी गलत होगा। उनसे भी शिकायत की गई थी, तो उनकी अभद्रता तो ऐसी थी कि वह पत्रकारों को कुछ समझते नहीं हैं और जो शिकायत करने आए, उसे उल्टा भगा देते हैं। क्योंकि उन्हें अपने आगे किसी की सुनना नहीं है और ना ही अपने आगे किसी को कुछ समझते हैं। इस मामले को लेकर भी LDA सचिव विवेक श्रीवास्तव से भी जिक्र किया गया था और शिकायत भी दी गई, पर परिणाम जांच के अंधेरे में छोड़ दिया गया। जिसका परिणाम आज तक नहीं आया। 

    उत्तर प्रदेश सरकार की यह करोड़ों की सौगात पर LDA चुना तो लगा रही है। ग्रीन कॉरिडोर में हो रहे करोड़ों के घोटाले व पार्क में हो रहे करोड़ों के घोटाले में अगर प्रशासन संज्ञान में नहीं ले रहा है, तो आने वाले समय में यह ग्रीन कॉरिडोर लोगों की जान से भी खिलवाड़ कर सकता है। इसका कारण रोड का निर्माण है। आए दिन दुर्घटना होने का कारण रोड की लाइट है जो की रात में जलते ही नहीं है। जनरेटर, पावर हाउस सब कुछ दिखावे के तौर पर सामने रख दिया गया, पर यदि अगर वहां के लोगों से पूछा जाए, तो उनका एक ही जवाब होगा, “हमने तो कभी लाइट जलते हुए देखा ही नहीं और देखा भी तभी है जब किसी अधिकारी को आना होगा।” 

    मंडल आयुक्त डॉक्टर रोशन जैकब से इसकी लिखित शिकायत भी की गई है, एलडीए वीसी को भी लिखित शिकायत की गई, एलडीए सचिव को भी लिखित शिकायत की गई, पर मामले को दबाना के तौर पर कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया जा रहा है, क्या इससे आने वाले समय में होने वाली क्षति को आप रोक सकेंगे। निर्माण में इतनी कमियां होने के बावजूद यदि अगर निर्माण को वैसे ही छोड़ दिया गया, तो आने वाले समय में रोड तो ध्वस्त होगी ही, मिट्टी बैठने के कारण, आसपास के क्षेत्रों का क्या हाल होगा, वह आने वाला वक्त ही बताएगा? रोड के किनारे बने पिलर कमजोर पड़ रहे हैं दरारें आ रही हैं, अभी से ये हाल है आगे आने वाले समय में क्या होगा यह तो समय ही बताएगा? नगर निगम का सर कटा नाला पंप हाउस के पास बना पिलर तो अभी से ही दरारें आने लगी गई हैं, एलडीए के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान छुपा दिया गया, पर आने वाले समय में उसके उससे होने वाली हानि होगी, वो आगे आने वाला वक्त ही बताएगा? उत्तर प्रदेश सरकार की यह करोड़ की सौगात कहीं आने वाले समय में लोगों की जान का खिलवाड़ ना बन जाए?

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