
लखनऊ:- राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने भारत की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुरमू को पत्र लिखकर भारतीय सेना में जाति एव क्षेत्र आधारित रेजिमेंट्स को समाप्त किए जाने हेतु एक पत्र लिखा है जिसकी प्रतियाँ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तथा सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भी भेजी है।
अनुपम मिश्रा ने पत्र में लिखा है कि भारतीय सेनाएँ व सशस्त्र बल हमारी एकता,अनुशासन,शक्ति,गौरव व पराक्रम की प्रतीक है ऐसे में आज़ादी के 78 वर्षों के पश्चात भी सेना में जाति तथा क्षेत्र आधारित रेजीमेंटस का क्या औचित्य है यह किसी भी शिक्षित एवं सजग नागरिक की समझ से परे है।
क्योंकि यह सर्वविदित है कि ब्रिटिश हुकूमत ने अपने राजनैतिक व आर्थिक स्वार्थों के चलते तथा देश में दीर्घकाल तक अपनी सत्ता स्थापित रखने के उद्देश्य से ‘बाँटो और राज करो’ के सिद्धांत पर सेना में जाति आधारित रेजिमेंट्स का गठन किया था ताकि भारतीय समाज जातीय आधार पर विभाजित रहे किंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि आज़ादी के 78 वर्षों के बाद भी हम उसी प्रणाली को अपनाए हुए हैं जो न केवल हमारी राष्ट्रीय एकता को चुनौती देती है बल्कि संवैधानिक मूल्यों के भी ख़िलाफ़ है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि हमारा संविधान समानता व जातिवाद से मुक्त समाज की बात करता है जबकि जाति आधारित रेजिमेंट्स इस भावना के विपरीत हैं ।
सेनाएँ राष्ट्रीय एकता व अखंडता का प्रतीक होती हैं जहाँ हर धर्म-वर्ग-जाति और क्षेत्र के लोग एक साथ देश की रक्षा हेतु संकल्पित होते हैं और संकट के समय दुश्मन देशों से राष्ट्र की रक्षा करते हैं तभी एक सशक्त राष्ट्र की संप्रभुता को अक्षुण रखा जा सकता है।
अतः आज आयश्यकता इस बात की है कि सेना में से जाति एव क्षेत्र आधारित रेजिमेंट्स को समाप्त कर एक “ऑल इंडिया ऑल क्लास” प्रणाली को लागू किया जाए अनुपम मिश्रा ने भावी ख़तरे से आगाह करते हुए लिखा कि यदि सेना जैसी संस्था में जाति-आधारित रेजिमेंट्स को बनाए रखा जाएगा तो क्या होगा जब एक दिन हर जाति व वर्ग के लोग चाहे वो ब्राह्मण हो,यादव हो,गुर्जर हो,दलित हो या कुर्मी हो अथवा कोई अन्य जाति हो वह भी अपनी-अपनी जाति आधारित रेजिमेंट्स की माँग करने लगेंगे,ऐसी स्थिति देश की एकता अखंडता व आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बनकर उभर सकती है।
उन्होंने सुझाव देते हुए लिखा कि सेना में भर्ती योग्यता,दक्षता व अनुशासन के आधार पर हो और जाति आधारित रेजिमेंट्स को चरणबद्ध ढंग से मिला कर एक समावेशी ढांचा तैयार किया जाए और इन जातीय रेजिमेंट्स के गौरवशाली अतीत को दस्तावेज़ों में संजोया जाए और भविष्य की सेना को जातिवाद से मुक्त किया जाए ।
सेनाएँ राष्ट्रीय एकता व अखंडता का अनुपम प्रतीक होती है जहाँ हर धर्म,हर क्षेत्र,हर वर्ग एवं हर जाति के लोग एक साथ राष्ट्र सेवा हेतु समर्पित रहते हैं ,संकट व ख़तरे की स्थित में देश की सुरक्षा के लिए युद्ध करते हैं तभी एक सशक्त राष्ट्र की संप्रभुता को अक्षुण रखा जा सकता है आज सेना को कुशल नेतृत्व उन्नत तकनीक व व्यवहारिक दक्षता की आवश्यकता है न कि जातीय विभाजन और जातीय पहचान की यदि इन्हें यथाशीघ्र न समाप्त किया गया तो यह जातीय रेजिमेंट्स राष्ट्र की रक्षा करने वाली संस्था के स्थान पर समाज की जाति संरचना का प्रतिबिंब बन जायेंगी।
इससे पहले कि भारतीय सेना में जातिवादी ज़हर फैले इसे तत्काल समाप्त किया जाना राष्ट्र हित में होगा।
यदि हम देश व समाज में एकता -अखंडता चाहते हैं तो जातिवादी संरचना की समाप्ति के लिए सेना से उपयुक्त अन्य कुछ भी नहीं हो सकता।
कल को यदि किसी भी जाति को यह लगता है कि उसे भी सेना में जाना है या उसे उसकी अपनी जाति का प्रतिनिधित्व करना है तो यह प्रतिनिधित्व योग्यता,दक्षता तथा क्षमता के आधार पर होगा ना कि जाति के आधार पर ।