बांदा जनपद की संक्षिप्त खबरें…..

ब्लैकमेलर की पुलिस मे शिकायत, जांच शुरू
बांदा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कमासिन में कार्यरत संगिनी सानू सिंह, मऊ शोभा देवी, सुशीला सांडा सानी, किरन मऊ, शिव देवी उपकेंद्र सतन्याव, विजमा कमासिन सहित दर्जन भर आशाओं ने थाने में तहरीर देकर कहा है कि अज्ञात शोहदा मोबाइल नंबर 7043 89 2140 से गंदी-गंदी बातें करता है और अमर्यादित टिप्पणी के साथ व्हाट्सएप के प्रोफाइल फोटो को एडिट करके गन्दी ऑडियो डालकर ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है। उसकी बात न मानने पर दांपत्य जीवन को तबाह करने की धमकी देता है। परेशान महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी हेमंत बिसेन के साथ कमासिन थाने जाकर शोहदे के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए तहरीर दी है। प्रभारी निरीक्षक ऋषि देव सिंह ने बताया कि तहरीर मिली है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। शोहदे के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
टैªक्टर की टक्कर से युवक की मौत
बांदा। कस्बा बबेरू के अतर्रा रोड स्थित डिग्री कालेज मोड़ के पास युवक को अज्ञात ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी जिससे उसकी अस्पताल मे मृत्यु हो गयी। मौत की खबर सुनकर परिवार में कोहराम मच गया। बबेरू कोतवाली क्षेत्र के कोर्रम गांव निवासी देवदत्त यादव पुत्र कामता प्रसाद यादव 18 बीते सोमवार की शाम गांव के दोस्तों के साथ घूमने के लिए गया था। अतर्रा रोड हनुमान मंदिर डिग्री कॉलेज मोड़ के पास अज्ञात ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी जिससे गंभीर रूप से घायल हो गया। लोगों ने घायल अवस्था मे युवक को बबेरू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे भर्ती कराया लेकिन उसकी मृत्यु हो गयी। डॉक्टर की सूचना पर मौके पर पहुंची बबेरू पुलिस ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से परिजनों को मौत की सूचना दी। जैसे ही परिजनों ने मौत की खबर सुनी कोहराम मच गया। पुलिस में शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज बांदा भेज दिया। मृतक तीन बहनो मे एक मात्र भाई था।
गौवंशों को संरक्षित करने की बजाय तैनात हों चरवाहे
नही होगी गौवंश की मौत
बांदा। जिला प्रशासन ने गौवंशों को भले ही संरक्षित कर खाना-पानी की पर्याप्त व्यवस्था मुहैया कराई है। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए गौवंशों को स्थाई एवं अस्थाई गौशालाओं मे रखा गया है। लेकिन बुंदेलखण्ड की गर्मी के चलते गौशालाओं की अधिकांश टीन शेडों मे गौवंशों की मृत्यु होना स्वाभाविक है। पर्याप्त व्यवस्थाओं के बावजूद इन्हे पुरातन काल से ही कैद नही किया जाता था बल्कि चरवाहे इन्हे जंगलों और फसल कटे खेतों मे ले जाकर चराते थे। पेयजल के लिए नदी, ताल, पोखरों मे पानी पिलाते थे। कुरौली गांव के 85 वर्षीय बुजुर्ग किसान प्रेम नारायण द्विवेदी, महोखर गांव के माधव यादव 70, जमालपुर गांव के सूर्य यादव 70, छेदुवां यादव 72, शिवपाल बाजपेयी 70, कमलेश बाजपेयी 75, सुखलाल वर्मा 72 आदि कहते हैं कि गौवंश, भैंस व बैल कभी भी कैद नही किए गये। इन्हे कैद कर भले ही चारा पानी की बेहतर व्यवस्था की जाए तब भी यह खुशहाल नही रहते। उन्होने कहा कि अन्ना गौवंशों को गौशालाओं मे संरक्षित करने की बजाय जिला प्रशसन पर्याप्त चरवाहों की तैनाती कर इन्हे दिन के समय बाहर निकालकर जंगल मे चराया जाए। चरवाहों के साथ मे रहने की वजह से अन्ना पशु न तो किसानों की फसलों का नुकसान करेंगे और हो रही मौतों से भी निजात मिलेगी। गांव के लोगो का कहना है कि स्थाई व अस्थाई गौशालाओं मे संरक्षित अन्ना पशुओं को उदरपूर्ति के लिए खर्च हो रही धनराशि का कुछ फीसदी ही खर्च कर कई चरवाहे रखे जाएं तो शायद बड़े पैमाने पर खर्च हो रही धनराशि को कम करने के साथ ही भीषण गर्मी से हो रही मौतों को भी रोका जा सकता है।