बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मधुबन में सुदामा प्रसाद पांडेय धूमिल की जयंती मनाई गई –
वाराणसी:- बनारस में खेवली गांव में 1936 में जन्मे जनकवि एक बेहद साधारण परिवार से रहे । 13 वर्ष की कम आयु में शादी हुई और 15 वर्ष की आयु में आपके पिता की असमय मृत्यु हो गयी। परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी अत्यंत अल्पायु में इनके ऊपर आ गयी। आप आईटीआई में कार्य किए और साथ ही साथ कविता रचना में लगे रहे।
धूमिल के चित्र पर पुष्प अर्पित करके छात्रों ने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अभिव्यक्त की। उनकी कविता का पाठ किया गया और उनके भाव पर चर्चा की गई।
धूमिल की कविता को हिंदी साहित्य के विद्वानों ने ‘ अकविता ‘ कहा। धूमिल एंटी स्टैब्लिशमेंट के रचनाधर्मी रहे। उन्होंने प्रजातंत्र पर समाजवाद पर सवाल उठाया और उतने ही शिद्दत से जनता की जड़ सोच पर भी प्रहार किया। धूमिल की रचना को न गद्य की परिभाषा में रख सकते हैं न पद्य में।
शोध छात्र उमेश ने कहा कि वस्तुतः धूमिल कवि नही है अपितु ‘ चेतना ‘ हैं।
सभा में NSUI अध्यक्ष सुमन आनंद, AISA प्रतिनिधि रौशन, गुमटी व्यवसायी नेता चिन्तामणि सेठ, डॉ धनञ्जय , डॉ इंदु, शान्तनु , अभिषेक त्रिपाठी, आईना, उमेश यादव, कपीश्वर , अभिनव, शशिकांत, जय मौर्य, प्रियदर्शन मीना, बाबू सोनकर, प्रेम सोनकर, अर्पित तिवारी, ऋषभ, धीरेंद्र आदि शामिल रहे।