राहुल गांधी का रायबरेली में अमेठी जैसा न हो हाल,रायबरेली हर हाल में जीतने के लिए कांग्रेस करेगी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल –
रायबरेली:- देश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट रायबरेली से इस बार राहुल गांधी चुनावी मैदान में है।राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने गढ़ अमेठी में स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे।रायबरेली हर हाल में जीतने के लिए राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने रायबरेली में डटी हैं।
हर संसाधन से मजबूत कांग्रेस रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी को कोई भी मौका नहीं देना चाहती है।रायबरेली लोकसभा पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने अब अपने ब्रह्मस्त्र का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। सूत्रों के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में सोनिया गांधी रायबरेली में अपने बेटे राहुल गांधी का प्रचार करती हुई नजर आएंगी। बता दें कि अपनी सेहत की वजह से सोनिया गांधी लंबे समय से चुनाव में प्रचार से दूर हैं।सोनिया गांधी अपने डॉक्टर्स की सलाह पर बड़ी सभाएं करने से बचती हैं।
बताते चलें कि सोनिया गांधी बीते दिनों विपक्ष की संयुक्त पब्लिक मीटिंग में नजर आई थीं। सोनिया गांधी ने कर्नाटक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण में भी हिस्सा लिया था। सोनिया गांधी रायबरेली लोकसभा से राहुल गांधी के नामांकन में भी शामिल हुई थीं। रायबरेली और अमेठी लोकसभा में बीस मई को पांचवें चरण में मतदान होगा।
*रायबरेली में क्या है माहौल*
रायबरेली लोकसभा में 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी ने जीत दर्ज जरूर की थी,लेकिन हार और जीत का अंतर काफी कम हो गया था।भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह स्थानीय लोगों के बीच आसानी से उपलब्ध हैं। दिनेश प्रताप सिंह योगी सरकार में मंत्री भी हैं।इसलिए रायबरेली में एक वर्ग दिनेश प्रताप सिंह के पक्ष में है,लेकिन यहां एक तबका ऐसा भी है जो कहता है कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री हो सकते हैं। सरकार बनने पर गांधी परिवार रायबरेली का खास ख्याल रखेगा।
*कांग्रेस रायबरेली में क्यों मजबूत*
कांग्रेस रायबरेली में बीस लोकसभा चुनाव में 17 बार जीती है।फिरोज गांधी,इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी रायबरेली से रह सांसद रह चुके हैं। रायबरेली के लोगों का यह भी मानना है कि कांग्रेस को वोट देकर वो पीएम या पीएम पद का दावेदार चुनते हैं।
रायबरेली के जातीय आंकड़े –
रायबरेली के जातीय आंकड़ों की बात करें तो सबसे अधिक संख्या दलित मतदाताओं की है। 34 प्रतिशत दलित मतदाता हैं, 11 प्रतिशत ब्रहाम्ण, 9 प्रतिशत ठाकुर और 7 प्रतिशत यादव मतदाता है।लगभग 4 प्रतिशत कुर्मी मतदाता है। 6 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं।