बसपा के मैदान में उतरने से अन्य दलों में खलबली
बसपा के मैदान में उतरने से अन्य दलों में खलबली
बांदा। संसदीय क्षेत्र बांदा-चित्रकूट के बसपा प्रत्याशी मयंक द्विवेदी शुक्रवार को चुनाव प्रचार के दौरान कचेहरी में अधिवक्ताओं से मिले। अधिवक्ताओं ने भी उनकी हौसला आफजाई की। बसपा कार्यकर्ताओं की टोलियां बिना किसी दिखावे के संसदीय क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चलाकर पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं। प्रत्याशी मयंक लगातार जनसंपर्क कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हुए वोट मांग रहे हैं। हालांकि इंडिया गठबंधन की ओर से सपा ने पिछड़ा वर्ग की प्रत्याशी कृष्णा पटेल पत्नी शिवशंकर पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने भी निवर्तमान सांसद आर के सिंह पटेल पर दांव लगाया है। आर के पटेल की जनता के बीच छवि अच्छी नहीं बतायी जा रही है। उल्लेखनीय है कि सवर्ण प्रत्याशी सपा और भाजपा ने नहीं उतारा जिसका लाभ बसपा प्रत्याशी मयंक द्विवेदी को मिलता दिखाई दे रहा है। भाजपा प्रत्याशी का नाम फाइनल होने से पहले पूर्व भाजपा सांसद भैंरव प्रसाद मिश्र ने टिकट के लिए भरसक प्रयास थे कि उन्हें एक बार फिर पार्टी मौका देगी लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें दरकिनार कर आर के पटेल को चुनाव मैदान में उतार दिया। नतीजतन बड़ी संख्या में ब्राम्हण मतदाता भाजपा से दूरियां बनाने लगा और धीरे-धीरे बसपा प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद होने लगा। मृदुभाषी व मिलनसार होने की वजह से बसपा प्रत्याशी को हर वर्ग का समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। लोगों का कहना है कि यदि हांथी की रफ्तार इसी तरह बनी रही तो अन्य दलों के समीकरण बिगड़ने में संशय नही हैं। बसपा प्रत्याशी का कहना है कि यदि लोगों ने उन्हे स्वीकारा तो वह अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए भरसक प्रयास करेंगे। बसपा प्रत्याशी को मिल रहे जनसमर्थन से अन्य दलों के प्रत्याशियों में बेचैनी दिखाई दे रही है। हालांकि सभी दल अपनी जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन मयंक के चुनाव मैदान में उतरने से सबसे अधिक नुकसान भाजपा प्रत्याशी का होता दिखाई दे रहा है। फिलहाल भाजपा, बसपा व सपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।