उत्तर प्रदेश

सोनिया गांधी के सामने दूसरे नंबर के लिए लड़े विरोधी पार्टियों के दिग्गज,प्रियंका की उम्मीदवारी पर लग रहा कयास –

रायबरेली:- रायबरेली के लोगों ने जब भी किसी पार्टी का साथ दिया खुलकर दिया।गांधी परिवार को हमेशा सिर आंखों पर बिठाया,लेकिन 2004 में सोनिया गांधी को लेकर इस कदर लहर दिखी कि विपक्षी पार्टियों को दूसरे नंबर पर रहने के ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा।पिछले पांच लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा और सपा के दो-दो और बसपा के एक दिग्गज की सोनिया गांधी से मुकाबला हुआ।भाजपा और बसपा प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाने के लिए नाकों चने चबाने पड़े,लेकिन अधिकतर चुनाव में बसपा टॉप-3 दिग्गजों में शामिल रही।पांच चुनाव में सिर्फ दो बार ही भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहे।

 

बसपा के दिग्गजों ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपनी जमानत बचाई,लेकिन भाजपा ने रास्ते में रोड़ा बनकर पछाड़ने का प्रयास जरूर किया। इसी का नतीजा रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा तो भाजपा प्रत्याशी को 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में दूने से भी अधिक वोट मिल गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अजय अग्रवाल को 1,73,721 वोट मिले थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 वोट मिले। 80 प्रत्याशियों में मात्र चार दिग्गज लाज बचा सके।

 

लाभ के पद का आरोप लगने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ने इस्तीफा दे दिया था। 2006 में उप चुनाव हुआ था।सोनिया गांधी के लिए यह ऐतिहासिक चुनाव रहा। गांधी परिवार के पक्ष में ऐसी लहर चली की सोनिया गांधी को छोड़कर भाजपा के विनय कटियार और सपा के राजकुमार सहित सभी 14 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अयोध्या से कई बार सांसद रहे विनय कटियार की जमानत 2006 के लोकसभा चुनाव में नहीं बची।विनय कटियार को 19657 वोट ही मिल सके थे।इस चुनाव में सोनिया गांधी को 80 प्रतिशत से भी अधिक वोट मिले थे।

 

1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से अशोक सिंह ने 163390 वोटों से जीत दर्ज की।इस चुनाव में कांग्रेस से विक्रम कौल 25457 वोटों पर सिमट गए। सपा से अशोक सिंह दूसरे और बसपा से बाबू लाल लोधी तीसरे पर रहे। 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से अशोक सिंह 237204 वोटों से दूसरी बार जीते। इस चुनाव में कांग्रेस से दीपा कौल को 49615 वोट मिले थे। सपा से सुरेंद्र सिंह दूसरे और बसपा के रमेश मौर्या तीसरे पर थे। दीपा कौल की जमानत जब्त हो गई थी। दोनों चुनाव में कांग्रेस चौथे स्थान पर ही रही।

 

2006 में हुए उप चुनाव में 80 प्रतिशत से अधिक वोट पाकर सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करने वाली सोनिया गांधी 2024 के लोकसभा के चुनावी में मैदान में नहीं होंगी, क्योंकि सोनिया गांधी राज्यसभा में चली गई हैं।अगर प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरती हैं तो उनके सामने मां सोनिया के 2006 के रिकॉर्ड को तोड़ने का बड़ा टास्क होगा। बरहाल कांग्रेस के गिरे ग्राफ के सामने ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा। फिर भी यह चुनाव है, वोटर कोई भी गुल खिला सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page