उत्तर प्रदेश

भाजपा सपा चुनावी मैदान में,हाथी की चतुर चाल का इंतजार – 

सुलतानपुर:- भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने सुल्तानपुर लोकसभा के चुनावी मैदान में उम्मीदवारों को उतार दिया है।इसके बाद भी सुल्तानपुर की सियासी तस्वीर अधूरी है क्योंकि यहां पर खास खिलाड़ी बहुजन समाज पार्टी ने अभी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।चुनावी आंकड़े पर गौर किया जाए तो बसपा ही यहां समीकरण तय करती है।बसपा विजेता या रनर अप नहीं रहती तो किसी न किसी उम्मीदवार का खेल जरूर बिगाड़ देते हैं।

 

बसपा का गठन 1984 में हुआ था। 1989 में पहली बार बसपा ने सुल्तानपुर से राम शबद को उम्मीदवार बनाया।राम शबद को जीत तो नहीं पाए,लेकिन पहले ही चुनाव में 11.23 वोट हासिल कर राम शबद ने बसपा की मजबूत उपस्थिति दर्ज करा दी। 1991 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने पारस नाथ को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 14.04 हो गया, लेकिन पारस नाथ चौथे नंबर पर रहे। 1996 के लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार मोईद अहमद 18.61 फीसदी वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे,लेकिन मोईद की मजबूत लड़ाई ने दूसरे नंबर पर रहे सपा के कमरुज्जमा फौजी को कमजोर किया।

 1998 में मोईद अहमद 21.09 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे, जिससे सपा उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी चुनाव हार गईं। 1999 में जय भद्र सिंह और 2004 में मोहम्मद ताहिर खान बसपा से जीते। 2009 में फिर ताहिर खान दो लाख से ज्यादा वोट पाकर रनर अप रहे। 2014 में बसपा ने पवन पांडेय को उम्मीदवार बनाया तो वे भी दूसरे नंबर पर रहे। 2019 में बसपा से चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू को पर सबसे ज्यादा वोट मिले,लेकिन मेनका गांधी सीधा से मुकाबला होने की वजह मामूली अंतर से हार गए।

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