बुंदेलखंड

फाइलेरिया की दवा खिलाने को घर-घर पहुंच रहे स्वास्थ्यकर्मी

 

बांदा। फाइलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को दवा खिला रहे हैं। जिस तरह आम चुनाव मे मतदान के समय मतदाता की उंगली मे स्याही का निशान लगाया जाता है ठीक इसी तर्ज पर इस बार सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने वाले लाभार्थियों की उंगली पर निशान लगाया जा रहा है। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बीती 10 फरवरी से शुरू इस अभियान मे यह प्रक्रिया इसलिए भी की गयी है ताकि दवा सेवन से कोई भी वंचित न रहे। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया जिसे हांथी पांव भी कहते हैं यह एक गंभीर और लाइलाज बीमारी है। यह मच्छर काटने से होती है और इसके लक्षण दिखाई देने मे 10 से 15 वर्ष लग जाते हैं। यदि आज किसी को संक्रमित मच्छर काटता है तो इसके लक्षण पता चलने मे 10 से 15 वर्ष लग जाएंगे और तब तक बहुत देर हो जाएगी तथा व्यक्ति का लसीका तंत्र(लिंफेटिक सिस्टम) प्रभावित हो चुका होगा। इस बीमारी से बचाव के लिए दवा का सेवन कराया जा रहा है। यह दवा एक वर्ष से छोटे बच्चे, गर्भवती और गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को खिलाई जा रही है। दवा की सही खुराक मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने ही दवा खाना है और दवा का सेवन खाली पेट नही करना है। उन्होने कहा कि फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डब्लू एच ओ से प्रमाणित हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं। इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नही है। यदि किसी को दवा खाने के बाद उल्टी चक्कर खुजली अथवा जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर मे फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं ऐसे लक्षण इन दवाओं के खाने के बाद शरीर मे मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवियों के नष्ट होने के कारण उत्पन्न होते हैं और यह लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। उन्होने लोगों से अपील की, कि सभी इस अभियान को सफल बनाएं। दवा खुद खाएं और दूसरों को भी खाने के लिए प्रेरित करें। बड़ोखर खुर्द ब्लाक के उपकेन्द्र महोखर की एएनएम माया देवी ने बताया कि उनके कई क्षेत्रों मे लोग दवा को लेकर तमाम भ्रांतियां पाले थे और दवा का सेवन नही कर रहे थे लेकिन वहां के ग्राम प्रधान के दवा खाने के बाद लोगों ने दवा खानी शुरू कर दी। कमोवेश यह स्थिति दूर-दराज के गांवों मे देखी जा रही है लेकिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समझाने पर अधिकांश लोग दवा खा रहे हैं।

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