भारत देश के 13 राज्यों के 80 जिलों से गुजरने वाली भगतसिंह जन अधिकार यात्रा 27वे दिन पहुंची प्रयागराज –
प्रयागराज:– 10 दिसंबर से कर्नाटक से शुरू हुई भगतसिंह जनअधिकार यात्रा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश से होते हुए 27वें दिन 5 जनवरी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में दस्तक दे चुकी है। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI), दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा और बिगुल मजदूर दस्ता समेत विभिन्न प्रगतिशील संगठनों की ओर से निकाली जा रही यह यात्रा 5 जनवरी से 8 जनवरी तक यात्रा इलाहाबाद के विभिन्न हिस्सों में लोगों को शिक्षा, रोज़गार, महँगाई, स्वास्थ्य, साम्प्रदायिकता आदि मुद्दों पर जागरूक, संगठित और लामबन्द करेगी। उत्तरप्रदेश के विभिन्न ज़िलों में यात्रा चलने के बाद बिहार, उत्तराखण्ड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, चण्डीगढ़ आदि राज्यों से होते हुए दिल्ली पहुँचेगी, जहाँ 3 मार्च को दूसरे चरण का समापन होगा। यात्रा इन 85 दिनों में लगभग 8500 किमी का सफ़र तय करेगी और 13 राज्यों के लगभग 80 ज़िलों से गुजरेगी।
प्रयागराज में आज पहले दिन चन्द्रशेखर आज़ाद प्रतिमा, आज़ाद पार्क से शुरू हुई और कटरा, विश्वविद्यालय, बैंक रोड़, लक्ष्मी चौराहा, कचहरी, सिविल लाइंस, एजी ऑफिस, हाइकोर्ट होते हुए पत्थर गिरिजा पहुँची। दूसरे पहर यह यात्रा छात्र बहुल छोटा बघाड़ा, दारागंज, अल्लापुर, टैगोर टाउन से होते हुए एलेनगंज चौराहे पर ख़त्म हुई। इस दौरान इलाकों में जगह-जगह सभाएं की गई और यात्रा से परिचित कराते हुए पर्चा और पुस्तिका वितरित की गई।
इस यात्रा में उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
दिशा छात्र संगठन के अविनाश ने कहा कि सबको समान व निःशुल्क शिक्षा के हक को लेकर भगतसिंह जन अधिकार यात्रा जनता के बीच जा रही है। हम इस यात्रा का समर्थन करते हैं क्योंकि नई शिक्षा नीति 2020 लागू करके आम गरीब घरों से आने वाले छात्रों से शिक्षा दूर की जा रही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, बीएचयू, दिल्ली विश्वविद्यालय आदि ज्यादातर विश्वविद्यालयों की फीस बढ़ाई गई है। सरकार ने विश्विद्यालयों को अनुदान देने वाली संस्था को कर्ज़ देने वाली संस्था में बदल दिया। एफवाईयूपी, सीबीसीएस लागू करके शिक्षा व्यवस्था को चौपट किया जा रहा है। उदारीकरण निजीकरण की नीतियों के तहत सरकारी विभागों को बेचा जा रहा है जिससे नौकरियों का संकट गहराता जा रहा है। बेरोजगारी ने 10 सालों में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सीएमआईई की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अक्टूबर 2023 में बेरोजगारी दर 10.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। आए दिन छात्रों की आत्महत्या की ख़बरें देश के किसी न किसी कोने से आती है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले एक साल में 1 लाख 39 हज़ार छात्रों ने आत्महत्या की है।
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी की नीशू ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने 10 साल के राज में जनता पर महंगाई का पहाड़ लादकर उसकी कमर तोड़ दी है। 2014 में 450 रुपये का गैस सिलिण्डर अब 1000 रुपये में, 55 रुपये का पेट्रोल 100 रुपये से ऊपर में मिल रहा है। खाने-पीने से लेकर आम आदमी के ज़रूरत की हर चीज़ की क़ीमत में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इस महंगाई की मुख्य वजह यह है कि मोदी सरकार जनता की ज़रूरत की हर चीज़ पर कई-कई गुना टैक्स वसूल रही है। वहीं दूसरी तरफ बड़े बड़े उद्योगपतियों से लिया जाने वाला टैक्स कम होता जा रहा है। 2017 से पहले करों से होने वाले कुल सरकारी कर राजस्व का 32 प्रतिशत धन्नासेठों से लिये जाने वाले कारपोरेट टैक्स से आता था। 2023 आते-आते यह 24 प्रतिशत से भी कम हो गया है, जबकि इन धन्नासेठों के मुनाफ़े में इसी बीच भारी इज़ाफ़ा हुआ है।
नौजवान भारत सभा के शिवा ने कहा कि लोग अपने असली सवालों पर संगठित ना हो सकें, इसके लिए लोगों को साम्प्रदायिक नफ़रत की आग में झोंका जा रहा है। मंदिर-मस्ज़िद, लव जिहाद, गौ रक्षा के नाम पर लगातार एक साम्प्रदायिक उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है ताकि भाजपा सरकार साम्प्रदायिक नफ़रत की आग पर अपनी चुनावी रोटियां सेंक सके। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि लोगों को उनके असली सवालों पर संगठित और लामबन्द किया जाये और इस साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति का मुंहतोड़ ज़वाब दिया जाये।