वाराणसी

“लकीरें” फिल्म के दीवाने हुए लखनऊ वालें – मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील विषयों को प्रभावी रूप से उठाती है फिल्म लकीरें –

लखनऊ :–  वैवाहिक जीवन में पत्नी से उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाना बलात्कार की ही श्रेणी में आता है। घरेलू हिंसा और मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील विषय पर शुक्रवार 3 नवम्बर को लखनऊ के निर्देशक दुर्गेश पाठक के निर्देशन में शूट हुई फिल्म ‘लकीरें रिलीज हो गई। शुक्रवार को लखनऊ में पीवीआर-लुलुमाल, सिनेपोलिस, वेव मॉल, आइनॉक्स-क्राउंन माल, आइनॉक्स मेगा फ्लेक्स में देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे।

यह फिल्म वैवाहिक बलात्कार और विवाह के भीतर सहमति जैसे संवेदनशील विषय पर आधारित है वहीं यह सामाजिक मानदंडों को चुनौती भी देती है। इसमें आशुतोष राणा, बिदिता बाग़, टिया बाजपेयी, गौरव चोपड़ा, राजेश जैस, अमन वर्मा, सहर्ष शुक्ला, मुकेश भट्ट, अनिल रस्तोगी, कासिम विभिन्न किरदारों में नजर आए। इस फिल्म के निर्माता नवल किशोर टंडन, कविता पाठक और दिनेश कुमार हैं। इसकी शूटिंग उत्तर प्रदेश के लखनऊ और अयोध्या सहित अन्य शहरों में हुई हैं। “लकीरें” फिल्म इमेज एंड क्रिएशन, बीटीसी मल्टीमीडिया प्रोडक्शंस और ब्लैक पर्ल मूवीज़ के बैनर तले निर्मित और रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा वितरित की गई है। इसके संगीत निर्देशक विपिन पटवा हैं जबकि गीत निहारिका पाण्डेय ने लिखे हैं। इसका स्क्रीनप्ले और संवाद दिलीप शुक्ला ने लिखे हैं। टिया बाजपेई का जन्म लखनऊ शहर में ही हुआ है। इसके साथ ही टिया, साल 2005 के संगीत टीवी शो “सारेगामापा” की फाइनलिस्ट रह चुकी हैं। 

“लकीरें” फिल्म काव्या और उसके पति विवेक दामोदर अग्निहोत्री के सम्बंधों पर आधारित है। इसमें काव्या का किरदार टिया और विवेक का गौरव चौपड़ा अदा कर रहे हैं। फिल्म के कथानक के अनुसार काव्या, वैवाहिक बलात्कार के भयानक कृत्य के लिए अपने पति के खिलाफ न्याय मांगती है। फिल्म लकीरें में न केवल काव्या बल्कि उसकी नौकरानी नसीमा और उसकी दोस्त अनीता के साथ भी वैवाहिक बलात्कार किया जाता था। अदालत में, एडवोकेट गीता विश्वास की भूमिका बिदिता बाग और एडवोकेट दुधारी सिंह का किरदार आशुतोष राणा अदा करते दिखें। फिल्म में रामबाबू की भूमिका में मुकेश भट्ट, पुरुषोत्तम भारती के किरदार में राजेश जैस जबकि नसीमा का अदिति दीक्षित, अली मोहम्मद का कासिम, रवि वर्मा का अमन वर्मा, अनीता का मीनाक्षी आर्या, एडवोकेट सागर श्रीवास्तव का सहर्ष शुक्ला, नीलू का पूर्णिमा तिवारी, पदम सिंह का डॉ.अनिल रस्तोगी, अल्ताफ भाई का रेहान किदवई, एंकर का समरीन सिद्धीकी और फील्ड रिपोर्टर का आयुषी शर्मा ने चरित्र निभाया है। फिल्म का कथानक जितना प्रभावी लिखा गया है निर्देशक दुर्गेश पाठक ने उसे उतने ही कुशलता पूर्वक फिल्माया भी है। संवाद किरदारों के दर्द और आक्रोश को गागर में सागर की तरह समेटते है वहीं अदालत के विभिन्न दृश्य भी प्रभावी रूप से फिल्माए गए हैं। नारी की दैहिक स्वतंत्रता के प्रति यह फिल्म लोगों को वृहद स्तर पर जागरुक करेगी।“लकीरें” फिल्म के दीवाने हुए लखनऊ वालें 

– मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील विषयों को प्रभावी रूप से उठाती है फिल्म लकीरें

लखनऊ 3 नवम्बर। वैवाहिक जीवन में पत्नी से उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाना बलात्कार की ही श्रेणी में आता है। घरेलू हिंसा और मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील विषय पर शुक्रवार 3 नवम्बर को लखनऊ के निर्देशक दुर्गेश पाठक के निर्देशन में शूट हुई फिल्म ‘लकीरें रिलीज हो गई। शुक्रवार को लखनऊ में पीवीआर-लुलुमाल, सिनेपोलिस, वेव मॉल, आइनॉक्स-क्राउंन माल, आइनॉक्स मेगा फ्लेक्स में देखने बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे।

यह फिल्म वैवाहिक बलात्कार और विवाह के भीतर सहमति जैसे संवेदनशील विषय पर आधारित है वहीं यह सामाजिक मानदंडों को चुनौती भी देती है। इसमें आशुतोष राणा, बिदिता बाग़, टिया बाजपेयी, गौरव चोपड़ा, राजेश जैस, अमन वर्मा, सहर्ष शुक्ला, मुकेश भट्ट, अनिल रस्तोगी, कासिम विभिन्न किरदारों में नजर आए। इस फिल्म के निर्माता नवल किशोर टंडन, कविता पाठक और दिनेश कुमार हैं। इसकी शूटिंग उत्तर प्रदेश के लखनऊ और अयोध्या सहित अन्य शहरों में हुई हैं। “लकीरें” फिल्म इमेज एंड क्रिएशन, बीटीसी मल्टीमीडिया प्रोडक्शंस और ब्लैक पर्ल मूवीज़ के बैनर तले निर्मित और रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा वितरित की गई है। इसके संगीत निर्देशक विपिन पटवा हैं जबकि गीत निहारिका पाण्डेय ने लिखे हैं। इसका स्क्रीनप्ले और संवाद दिलीप शुक्ला ने लिखे हैं। टिया बाजपेई का जन्म लखनऊ शहर में ही हुआ है। इसके साथ ही टिया, साल 2005 के संगीत टीवी शो “सारेगामापा” की फाइनलिस्ट रह चुकी हैं। 

“लकीरें” फिल्म काव्या और उसके पति विवेक दामोदर अग्निहोत्री के सम्बंधों पर आधारित है। इसमें काव्या का किरदार टिया और विवेक का गौरव चौपड़ा अदा कर रहे हैं। फिल्म के कथानक के अनुसार काव्या, वैवाहिक बलात्कार के भयानक कृत्य के लिए अपने पति के खिलाफ न्याय मांगती है। फिल्म लकीरें में न केवल काव्या बल्कि उसकी नौकरानी नसीमा और उसकी दोस्त अनीता के साथ भी वैवाहिक बलात्कार किया जाता था। अदालत में, एडवोकेट गीता विश्वास की भूमिका बिदिता बाग और एडवोकेट दुधारी सिंह का किरदार आशुतोष राणा अदा करते दिखें। फिल्म में रामबाबू की भूमिका में मुकेश भट्ट, पुरुषोत्तम भारती के किरदार में राजेश जैस जबकि नसीमा का अदिति दीक्षित, अली मोहम्मद का कासिम, रवि वर्मा का अमन वर्मा, अनीता का मीनाक्षी आर्या, एडवोकेट सागर श्रीवास्तव का सहर्ष शुक्ला, नीलू का पूर्णिमा तिवारी, पदम सिंह का डॉ.अनिल रस्तोगी, अल्ताफ भाई का रेहान किदवई, एंकर का समरीन सिद्धीकी और फील्ड रिपोर्टर का आयुषी शर्मा ने चरित्र निभाया है। फिल्म का कथानक जितना प्रभावी लिखा गया है निर्देशक दुर्गेश पाठक ने उसे उतने ही कुशलता पूर्वक फिल्माया भी है। संवाद किरदारों के दर्द और आक्रोश को गागर में सागर की तरह समेटते है वहीं अदालत के विभिन्न दृश्य भी प्रभावी रूप से फिल्माए गए हैं। नारी की दैहिक स्वतंत्रता के प्रति यह फिल्म लोगों को वृहद स्तर पर जागरुक करेगी।

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