भंडारी देवी धाम अहरौरा मिर्जापुर, कैसे हुई भंडारी मां की उत्पत्ति –

*माँ भंडारी देवी*
भंडारी देवी धाम अहरौरा मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
विजयगढ़ किला के इतिहास से जुड़ा हुआ है मां भंडारी की कहानी
कैसे हुई भंडारी मां की उत्पत्ति
माता अंनदेहीया भीलनी को जब राजा धर्मदेव दाता ने अपने राज्य से बाहर निकल जाने को कहां तब अनंदेहिया भीलनी 3 दिन की बेटी को लेकर विजयगढ़ राज्य से चली गई जाते जाते लखनिया दरी के जंगलों में जा पहुंची और पेड़ के नीचे बैठे गई उधर से अहरौरा के महाराजा करपाल सिंह शिकार खेलते खेलते लखनिया दरी के जंगलों में पहुंच गए जहां देखते हैं की पेड़ के नीचे अनदेहिया मां की मृत्यु हो गई उसके पास 3 दिन की बेटी रहती है जिसे राजा करपाल गोद लेते हैं अनंदेहीया को उसी स्थान पर चिता मे आग लगाकर अपने राज्य चले जाते हैं और ज्योतिषी को बुलाते हैं ज्योतिषी बोलते हैं यह लड़की के बारे में कुछ भविष्यवाणी बताओ तब ज्योतिषी ने कहा की यह कोई मामूली लड़की नहीं है बल्कि दुर्गा मां की अवतार है फिर राजा उसे अपना बहन मान लेते है समय बीतता गया मां की अवतार भंडारी देवी 15 वर्ष की हो जाती है तभी मां दुर्गा बोलती है कि विजयगढ़ के राजा तुम्हारी मां का बहुत अत्याचार किया है इसका तुम्हें बदला लेना है और वह समय आ गया तब भंडारी मां #विजयगढ़ पर चढ़ाई कर देती है राजा धर्म देव को मारकर अपनी मां को इंसाफ दिलाती है शेरवा भुइली के दानव भंडवा सुर को जब मालूम हुआ कि अहरौरा कि राजा करपाल सिंह की बहन बहुत सुंदर हैं तब राजा करपाल सिंह को वह दानव चेतावनी भरा खत लिखता है उस खत में #भंडारी देवी से शादी करने की बात कहता है तब राजा क्रोध में आकर शादी करने से इंकार कर देता है तब दानव भंडवा सुर ने अहरौरा पर आक्रमण कर देता है युद्ध 4 दिन 4रात चलता है अहरौरा के राजा युद्ध हारने के कगार पर हो गए तभी मां दुर्गा को याद करते हैं तब उनकी बहन भंडारी मां काली के रूप मेंआई उस राक्षस से 7 दिन 7 रात युद्ध चलता रहा फिर भडवा सुर का अतं किया तभी से भंडारी मां के नाम से जाना जाता और आज भी अरोड़ा पहाड़ पर मां भंडारी देवी विराजमान है वहां जाने पर उनके पद चिन्ह और छोटी सी पोखरा ह एक गुफा है जिसमें मां भंडारी मां निवास करती है और सब की मनोकामना पूरी करती है।