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थर्ड विंग की नाट्य प्रस्तुति में सुदामा नाटक ने दिया भक्ति, ज्ञान और कर्मयोग का संदेश –

 

लखनऊ:- थर्ड विंग की नवीनतम प्रस्तुति भक्ति, ज्ञान और कर्म योग पर आधारित नाटक सुदामा का मंचन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम में पुनीत अस्थाना और केशव पंडित के कुशल निर्देशन में शुक्रवार को किया गया। इसका मनभावन नृत्य निर्देशन आकांक्षा श्रीवास्तव ने किया जबकि इसकी प्रस्तुतकर्ता सरोज अग्रवाल ने ही इसका प्रभावी लेखन और संगीत परिकल्पना भी की। यह नाट्य मंचन श्री राम कथा के प्रथम सोपान के रूप में आयोजित किया गया। द्वितीय और मुख्य सोपान के रूप में वृंदावन धाम के परम पूज्य विजय कौशल महाराज द्वारा राम कथा का अमृतपान आगंतुकों को करवाया जाएगा। 

यह अनुष्ठान 4 से 9 अक्टूबर तक शाम चार से सात बजे तक गोमती नगर स्थित संत गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम में होगा।   

“सुदामा” नाट्य प्रस्तुति के अनुसार सुदामा की कथा, केवल सुदामा की ही नहीं, कृष्ण और सुदामा दो ऐसे मित्रों की कथा है जिनके व्यक्तित्व में पूर्ण विरोधाभास है। श्रीकृष्ण महानायक महान राजनीतिज्ञ और अतुलित वैभवशाली थे। 

इसके बिलकुल विपरीत, सुदामा भौतिक और आर्थिक संकटों से घिरे एक असाधारण पुरुष थे। एक और नीलमणि की कान्ति वाले पीताम्बरधारी, सम्पूर्ण आर्यावर्त में वन्दित और पूजित, द्वारिकापति कृष्ण और दूसरी ओर महल के महा द्धार पर, जीर्ण-शीर्ण काया वाले, धूल-धूसरित वस्त्रों में खाली पैर, सुदामा नाम का एक भिक्षुक।

अद्भुत प्रसंग के तहत द्वारिकाधीश अपने परम मित्र सुदामा का नाम सुनते ही, उनका सत्कार करने नंगे पांव ही दौड़ पड़े थे। नाटक ने यह संदेश भी दिया कि “कामना के साथ यदि कर्म नहीं होगा तो केवल भक्ति उस कामना को पूर्ण नहीं कर सकती है। ठीक उसी तरह जैसे कि एक विद्यार्थी विद्वान बनने के लिए घंटों देव मूर्तियों के सामने बैठकर अपनी सफलता की प्रार्थना करे पर विद्या का अभ्यास न करे तो केवल भक्ति, उसे विद्वान नहीं बना सकती है। इस नाटक की एक और विशेषता यह रही कि इसमें सभी पुरुष पात्रों का अभिनय भी महिलाओं द्वारा ही किया गया। यह सभी महिलाएं व्यावसायिक कलाकार न हो कर सामान्य गृहणियां या सेवारत महिलाएं रहीं।

नाटक में सूत्रधार की भूमिका केशव पंडित, सुदामा की आनन्दी अग्रवाल, कृष्ण की अलका सिंह, धनीराम की शालिनी अग्रवाल, आत्मा की रत्नांगी पंडित, बाबा की निविधा अग्रवाल, सुशीला की नंदिता पंडित, रुक्मणी की रोमा कपूर, सत्यभामा की अंजलि सचान, ज्ञान की अधिराज अग्रवाल, विवेक की कैरा सिंह, द्वारपाल की लावन्या सिंह, नृत्य एवं परिचारिका की भूमिका प्रिशा अग्रवाल और पावनी अग्रवाल ने बखूबी निभायी।

मंच पार्श्व दृश्यबंध परिकल्पना का आनंद अस्थाना, दृश्यबंध निर्माण का शकील ब्रदर्स, रूप सज्जा का शईर अहमद, वेशभूषा दीपा भार्गव और स्तुति अग्रवाल, प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन का मोहम्मद हफीज, वीडियोग्राफी का आशुतोष विश्वकर्मा, गायन का जतिन निगम ने दायित्व अदा कर नाट्य आकर्षण को बढ़ाया। सहयोगी मंडल में विष्णु अग्रवाल और विनम्र अग्रवाल सहित अन्य शामिल रहे।

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