पराली जलाने पर देना होगा किसानों को जुर्माना

बांदा। जिले मे पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए इन सीटू योजना के तहत पराली व फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार मे किया गया। उप कृषि निदेशक विजय कुमार की अध्यक्षता मे आयोजित जागरूकता कार्यक्रम मे किसानों, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों, जिला कृषि अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी एवं भूमि संरक्षण अधिकारियों ने भाग लिया। उप कृषि निदेशक ने किसानों को बताया कि पराली, फसल अवशेष को न जलाएं। इसके जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है तथा लाभकारी जीवाणुओं की संख्या मे कमी आती है। इसके साथ ही पराली जलाने से हानिकारक गैसें कार्बन डाई आक्साइड एवं कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा वातावरण मे बढ़ने से लोगों के स्वास्थ्य मे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इस वजह से स्वांस संबंधी बीमारियों मे वृद्धि होती है। शासन ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अक्टूबर से नवंबर तक सैटेलाइट के जरिए 24 घण्टे निगरानी की जा रही है। पराली जलाने की घटनाएं होने पर तत्काल सूचना भेजी जाती है इसके बाद पराली जलाने वालों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गये हैं। दो एकड़ से कम पर 2500 रुपये, दो एकड़ से पांच एकड़ तक 5000 रुपये एवं पांच एकड़ से अधिक पर 15000 रुपये तक का जुर्माना पर्यावरण कंपनसेशन के रूप मे वसूली की जाएगी। उप कृषि निदेशक ने किसानों से कहा कि पराली एकत्र कर गौशालाओं को दान करें, कम्पोस्ट के रूप मे उपयोग मे लाएं। पराली फसल अवशेष को बेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से खाद बनाने की विधि बताई गयी। इस वर्ष पराली दो खाद लो कार्यक्रम को जिले मे संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है। गौशालावार कितनी खाद उपलब्ध है इसकी सूचना मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मे मांगी गई है। वैज्ञानिक डॉ चंचल सिंह ने पराली को पशुशाला मे बिछावन के रूप मे प्रयोग करने, कम्पोस्ट खाद बनाने की सलाह दी। कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ श्याम सिंह ने किसानों से अपील की, कि हम जो जमीन से लेते हैं उसे लौटाने के लिए कम से कम फसल अवशेष को कम्पोस्ट खाद आदि बनाकर उसे वापस करें ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहे। जिला पंचायत राज अधिकारी अजय आनंद सरोज ने किसानों को सलाह दी कि पराली एकत्र करें एवं खेत से गौशाला तक धुलाई मे होने वाले खर्च का भुगतान पंचायत राज विभाग करेगा। उन्होने कहा कि कर्मचारियो, प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों व जिला पंचायत सदस्यों के जरिए पराली जलने की घटनाओं पर रोक के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर इसे रोकने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन जिला कृषि अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने किया।