लखनऊ

उत्तर प्रदेश के सभी जगह पर थाने में लंबे समय से जमे सिपाही;सिस्टम से या कुछ और वजह – 

 

 

लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में नियम कानून से हटकर कुछ पुलिसकर्मी खास विशेष जो विशेष पावर रखते हैं उनके कार्यकाल की लिमिट एक थाने पर 3 साल से अधिक होने के बाद भी वह डेट रहते हैं कारण जो भी हो लेकिन चर्चा का विषय तो रहता ही बनारस में देख लीजिए अधिकांश स्थानों पर 4 साल से अधिक लोग टिके हुए हैं लखनऊ हो या बनारस या उत्तर प्रदेश का कोई भी जिला लगभग सभी जगह ऐसे पुलिसकर्मी मिल जाएंगे जो 4 साल से टिके हुए हैं कभी इस पर अखबार की सुर्खियां बनती ही नहीं है उनके साथ ही पुलिसकर्मी प्रार्थना करते हैं चर्चा करते हैं की भैया कर खास महोदय दूसरे थाने अगर चले जाए तो हम लाइन पर आ जाएं तो कुछ सैलरी से अलग सिस्टम बन जाए एक थाने पर अगर 200 सिपाही हैं तो उसमें 10% ऐसे भी सिपाही हैं जो कारखास के लिए परेशान रहते हैं।

थाना सुशांत गोल्फ सिटी में अपने 3 से 4 साल पूरे कर चुके कई सिपाही अपने 1 ही थाने में सिस्टम से जमे थाने पर थाने के इंस्पेक्टर को पता होता है लेकिन आशीर्वाद प्राप्त होता है।

थाने लगभग आधा दर्जन से जादा सिपाही है जो जमे थाने में काफ़ी लंबे समय से सिस्टम से खेल रहे हैं और उन्हें विशेष सम्मान भी मिलता है कुछ तो ऐसे भी सिपाही हैं कई कई महीने वर्दी नहीं दिखती उनके ऊपर वह खुद को स्पेशल क्राइम ब्रांच मानते हैं। 

अधिकारियों की मेहरबानी या सिपाहियों का सिस्टम यह दोनों को पता होगा लेकिन साथ ही सिपाही को सब पता रहता है और इंतजार करता है।

मगर नियम विरुद्ध 1 थाने में तैनात सोचने का विषय कभी चौकी इंचार्ज को 3 साल रहने का मौका नहीं मिलता है किसी भी चौकी पर लेकिन सिपाही को मिलता रहता है। 

सूत्रो का यह भी कहना, इसमे कई ऐसे सिपाही है रात के अँधेरे में कुछ थाने अंतर्गत हो रही अवैध गतिविधियों में शामिल है इसी लिए सब मेहरबान है अब थानेदार साहब तो हर जगह जाएंगे नहीं तो सिपाही जाएगा और सिस्टम को फॉलो करेगा। शासन – प्रशासन में आला अधिकारियों को इसकी भनक होती है, मगर मामला दबा दिया जाता है। जिम्मेदारों को इस मामलें पर संज्ञान जरूर लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश पुलिस और भी सशक्त बने। 

उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग में पदोन्नति का दौर जारी है। 79 निरीक्षकों को पीपीएस संवर्ग में प्रोन्नति मिलने की संभावना है। विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक में इस पर विचार हुआ जहाँ नागरिक और शस्त्र पुलिस के निरीक्षकों को पुलिस उपाधीक्षक बनाने पर सहमति बनी। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद गृह विभाग आदेश जारी करेगा। 

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