
दिल्ली:- एशिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 ने दस्तक दे दी है. भारत में भी इसके काफी मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोविड के कितने वैरिएंट अब तक सामने आ चुके हैं? इनमें JN.1 वैरिएंट कितना खतरनाक है? आइए इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।
दुनिया में सबसे पहले कब आया कोरोना?
कोविड-19 महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई थी. SARS-CoV-2 वायरस अब तक कई बार अपने स्वरूप बदल चुका है. दरअसल, इस वायरस के म्यूटेशन की प्रक्रिया ने कई नए वैरिएंट्स को जन्म दिया, जिनमें से कुछ ने ग्लोबल हेल्थ पर गंभीर प्रभाव डाला. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने इन वैरिएंट्स को वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOCs) और वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOIs) में कैटेगराइज किया है, जिससे उनकी निगरानी और जांच प्रमुखता से की जा सके. इनमें JN.1 वैरिएंट इस वक्त कई देशों में फैल रहा है. आइए जानते हैं कि कोविड का यह वैरिएंट कितना खतरनाक है?
कोविड-19 के अब तक कितने वैरिएंट्स आए सामने?
SARS-CoV-2 वायरस समय के साथ म्यूटेट होता रहता है. अधिकांश म्यूटेटेड वायरस एक जैसे ही होते हैं, लेकिन कुछ बदलाव इसे ज्यादा इंफेक्टेड, गंभीर और वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधी बना सकते हैं. WHO और सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने जनवरी 2020 से अब तक सैकड़ों वैरिएंट्स की पहचान की है. हालांकि, इनमें से केवल कुछ ही वैरिएंट्स को ग्लोबल हेल्थ के लिए अहम माना गया है.
अब तक ये वैरिएंट्स आए सामने
WHO ने अब तक कई वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOCs) को नाम दिया है. इनमें सबसे पहले अल्फा (B.1.1.7) सितंबर 2020 में यूनाइटेड किंगडम में पाया गया. यह 50-70% अधिक संक्रामक था. बीटा (B.1.351) की पहचान दिसंबर 2020 के दौरान दक्षिण अफ्रीका में हुई. यह वैक्सीन और प्राकृतिक प्रतिरक्षा को आंशिक रूप से चकमा देने में सक्षम था. जनवरी 2021 के दौरान ब्राजील में गामा P.1 वैरिएंट मिला, जो प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता रखता था. डेल्टा B.1.617.2 की पहचान अप्रैल 2021 के दौरान भारत में हुई, जो अत्यधिक संक्रामक और गंभीर बीमारी का कारण बना.
इन वैरिएंट्स की भी हुई पहचान –
ओमिक्रॉन B.1.1.529 वैरिएंट की पहचान नवंबर 2021 के दौरान दक्षिण अफ्रीका में हुई. यह वैरिएंट अपनी अत्यधिक संक्रामकता और कई सब-वैरिएंट्स के कारण सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुआ. ओमिक्रॉन के बाद इसके कई सब-वैरिएंट्स सामने आए, जिनमें BA.1, BA.2, BA.5, XBB, और हाल ही में JN.1 शामिल हैं. सितंबर 2024 तक WHO ने BA.2.86 और JN.1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) के रूप में कैटेगराइज किया था. वहीं, JN.1.7, KP.2, KP.3, KP.3.1.1, JN.1.18, LB.1, और XEC को वैरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग (VUMs) के रूप में लिस्टेड किया.
कितना खतरनाक वैरिएंट है JN.1?
JN.1 वैरिएंट की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च संक्रामकता है. यह BA.2.86 से भी ज्यादा तेजी से फैलता है, क्योंकि इसमें एक्स्ट्रा म्यूटेशन हैं, जो इसे कोशिकाओं में प्रवेश करने और प्रतिरक्षा को चकमा देने में मदद करते हैं. JN.1 अन्य ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता. इसके लक्षण सामान्य कोविड-19 लक्षणों जैसे बुखार, खांसी, थकान, स्वाद या गंध की हानि और सांस लेने में कठिनाई से मिलते-जुलते हैं।