वाराणसी
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काशी विद्यापीठ हिन्दी विभाग में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न –

 

✍️नवीन तिवारी

वाराणसी:-  हिन्दी और अन्य भारतीय भाषा विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में VC द्वारा नार्वे से जुड़े डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल जी ने

नार्वे में प्रकाशित होने वाली पत्रिका में हिन्दी का विश्व स्तर पर महत्व बताया और भाषा के महत्व से जुड़े पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये, प्रसिद्ध कवित्री और लेखिका डॉ. सुशील टाक भौरे, (महाराष्ट्र) ने हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि पर अपने विचार प्रस्तुत किये और कहा हिन्दी भाषा के लिए जैसे देवनागरी लिपि जरूरी है वैसे ही हिन्दी पत्रकारिता के लिए हिन्दी भाषा भी जरूरी है। प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विजय कुमार रंजन के द्वारा किया गया। और संचालन का दायित्व डॉक्टर अमित कुमार ने संभाला। द्वितीय सत्र में अध्यापक, शोधार्थी और छात्र–छात्राओं ने काव्य पाठ कर हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि की विशेषताओं पर चर्चा की जिसमें हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. श्रद्धानंद जी और पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र प्रताप जी ने

संगोष्ठी के विषय के बारे में विस्तार में जानकारी साझा की। शोधार्थी शिवम चौबे ने काव्य पाठ किया जिसका शीर्षक ‘सपने,बोगी’,शोधार्थी हनुमान राम – 

ने अपने कविता और गीत प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक ‘बचपन’और परास्नातक के छात्र आशीष मिश्रा ने

‘भाषाघर’ पत्रिका की जानकारी देते हुए काव्य पाठ प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था

‘मैं वह हूं..’। द्वितीय सत्र में आरती तिवारी ने संचालन का दायित्व संभाला और हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजमुनि –

ने विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि किस प्रकार नागरी लिपि, भाषा, पत्रकारिता, शिक्षा और समाज का संबंध होता है और यह सब एक चैन का काम करता एक कड़ी के टूटने से सारी चीजें बिखर जाती है और साथ ही दो दिवसीय संगोष्ठी में देश–विदेश से जुड़ने वाले सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों, अन्य विद्वानों, शोधार्थियों और विद्यार्थीयों एवं समस्त विद्यापीठ परिवार का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में प्रो. रामाश्रय सिंह ने संयोजक, प्रो.अनुकूल चंद राय ने सह संयोजक, डॉ.प्रीति आयोजन सचिव की भूमिका का निर्वहन किया। कार्यक्रम में प्रो.अनुराग कुमार संकायाध्यक्ष मानविकी संकाय और प्रो.निरंजन सहाय, डॉ.अविनाश कुमार सिंह, डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह भी मौजूद रहे। हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. श्रद्धानंद –

 भी मौजूद रहें,साथ ही पत्रकारिता विभाग अध्यक्ष डॉ. नागेंद्र सिंह समेत समस्त अध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी भी मौजूद रहें। देश–दुनिया के विभिन्न कोनों से भी ऑनलाइन माध्यम के द्वारा शिक्षकों एवं शोधार्थियों की उपस्थिति बरकरार रही।

विश्व हिंदी दिवस पर शोधार्थी गजेंद्र यादव ने अपना वक्तव्य साझा किया –

प्रो. रामाश्रय सिंह का हिंदी दिवस पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए बताया कि चिंता करो ‘ष’ की, किसी तरह से बचा सको तो बचाओ ‘ड’ को, देखो कौन चुरा कर लिए जा रहा है खड़े ‘।’ (पाई) को, और देवनागरी के सारे अंक जाने कहां चले गए बारीकियों का “ऋ’, यह बढ़ने का समय है जो भी अच्छा हो उसे सजों लेना।

आगे कहा – संघर्ष से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए इससे अपने अंदर जुनून पैदा होगा जिससे आपके जीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा। अगर गरीबों को रोटी मिलेगी तो मेरी जान सस्ती है।

जो हिंदी नहीं बोलेगा अपनी नागरिकता को खो देगा।

संपूर्ण विश्व को देवनागरी लिपि की बहुत जरूरत है,खुद को अनमोल बनाने के लिए महज एक तरीका है आप अलग काम करिए, मेरे पीछे मत चलिए शायद मैं नेतृत्व ना कर सकूं मेरे आगे न चलिए शायद मैं पीछा करने में सफल न रहूं,पसंद के रास्ते पर चलिए क्योंकि एक छोटा सा कदम बड़ा लक्ष्य हासिल कर देता है।

पहले अन्वेषण तभी पर्यवेक्षण होगा। 

 

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