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वाराणसी में चाइनीज मांझा पर लगी धारा 144, काट रहे इंसानों – पक्षियों का गला, मशीनों को भी खतरा –

✍️नवीन तिवारी

वाराणसी :– बनारस में आसमान में उड़ रही ऊंची पतंगों को देखकर मन जितना रोमांचित होता है, उतना ही उस पतंग से बंधी डोर को देखकर भयभीत हो जाता है। काशी में कई कत्ल कर चुके चाइनीज मांझे ने एक बार फिर इंसानों के गले को रेतना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले सिगरा थाना क्षेत्र के महमूरगंज इलाके में जमुना यादव का गला चाइनीज मांझे से कट गया। आननफानन में लोग उन्हें समीप के अस्पताल ले गए और उनकी जान बच गई। चार दिन पहले भी लहरतारा और पांडेयपुर फ्लाईओवर पर दो वाहन सवारों का गला कट चुका है।

 

पुलिस कमिश्नरेट ने किया पाबंद –

अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था एस चिनप्पा ने भारत में बैन चाइनीज मांझे पर धारा 144 लगा दी है। अब कोई व्यक्ति चाइनीज मांझे के साथ पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। एस चिनप्पा ने कहा कि जिले के सभी थानों की फिर को इसके लिए सूचना दे दी गई है। गोपनीय तरीके से पुलिस की टीम अलग अलग संभावित स्थानों पर नजर बनाए है।

 

नो काईट जोन नहीं बना तो मुसीबत –

वाराणसी में कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक रोप-वे का निर्माण चल रहा है। चाइनीज मांझा रोप-वे के लिए सबसे अधिक खतरा बना है। निर्माण कार्य में लगी एजेंसी से जुड़े मनोज कुमार ने बताया कि केबल में चाइनीज मांझे से संचालन प्रभावित हो सकता है। रोप-वे में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे कि कोई दिक्कत न हो।

 

कैंट से गोदौलिया तक चाइनीज मांझे से पतंग नहीं उड़ाने को लेकर लगातार इलाके में विकास प्राधिकरण अनाउंसमेट करवा रहा है। कार्य के दौरान आमजन से भी अपील की जा रही कि वह चाइनीज मांझे का उपयोग नहीं करें। परीक्षण के दौरान पता चलेगा कि चाइनीज मांझे को लेकर क्या दिक्कत आ रही है।

 

सजी दुकानें, गोदामों में पहुंचा प्रतिबंधित मांझा –

वाराणसी में एक बार फिर प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की बिक्री धड़ल्ले से शुरू हो गई है। दालमंडी से लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में चाइनीज मांझे आसानी से उपलब्ध है। सूत्रों की माने तो काशी के बाजारों में 10 करोड़ से अधिक मूल्य का चाइनीज मांझा बिक्री के लिए गोदामों में डंप हो चुका है। दालमंडी के कुंजीगढ़ टोला, लोहता, शिवपुर, चेतगंज, हरतीरथ, आदमपुर समेत अन्य इलाकों में चाइनीज मांझा में थोक से लेकर फुटकर तक उपलब्ध है। एक किलो चाइनीज मांझा की कीमत इस समय बाजार में आठ से नौ सौ रुपए किलो तक बिक रहा है। चाइनीज मांझा पर लगाम कसने के लिए भारत सरकार की तरफ से बैन लगने के बाद वाराणसी जिला प्रशासन, पुलिस कई बार निषेधाज्ञा जारी कर चुका है। समय समय पर पुलिस प्रशासन की छापेमारी में कई क्विंटल चाइनीज मांझा भी बरामद हो चुका है लेकिन कठोर कार्रवाई नहीं होने से आज भी बनारस की गलियों से लेकर चौक – चौराहे तक चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बिक रहा है।

 

*मासूम समेत कईयों की हो चुकी दर्दनाक मौत*

 

वाराणसी में पुलिस प्रशासन की लापरवाही के चलते चाइनीज मांझा से सात साल की मासूम कृतिका समेत कई लोग दर्दनाक तरीके से असमय काल के गाल में समा चुके हैं।

 

29 अगस्त 2020 को चार साल पहले नदेसर निवासी संदीप अपनी सात साल की बेटी के साथ दवा लेकर स्कूटी से घर जाने को निकले। पांडेयपुर फ्लाईओवर पर चढ़ते ही स्कूटी में आगे खड़ी कृतिका का गले में चाइनीज मांझा फंस गया। कृतिका का गला कट गया और संदीप की अंगुली कट गई। लहुलुहान बेटी को लेकर संदीप अस्पताल भागे लेकिन उसे बचा नहीं सके।

 

05 जून 2021 को चौकाघाट फ्लाईओवर पर चीनी मांझे से भदोही जिला निवासी बाइक सवार मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव आकाश शुक्ला 30 वर्ष का गला कट गया था। उपचार के दौरान युवक ने अत्यधिक खून बहने के कारण दम तोड़ दिया था।

 

वर्ष 2018 में चाइनीज मांझे के कारण दो लोगों ने दम तोड़ दिया था।

 

मकर संक्रांति से एक सप्ताह पूर्व 8 जनवरी 2018 को बिजली विभाग के रिटायर्ड एसडीओ ओवेस अंसारी का गला चाइनीज मांझे से कट गया। किसी तरह उनकी जान बची लेकिन वह इस हादसे से इतना सहम गए कि एक सप्ताह बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। इसी साल 28 सितंबर को सिगरा थाना क्षेत्र निवासी मुन्ना विल्सन की भी चाइनीज मांझा से गला कटने के कारण मौत हो गई थी। वह बाइक से चौकाघाट से जा रहे थे कि गले में मांझा फंस गए। अस्पताल पहुंचने से पहले ही अधिक खून बहने के कारण उनकी सांस थम गई।

 

इंसानों के साथ पशु – पक्षियों का भी हत्यारा है चाइनीज मांझा –

बीते दो दिसंबर को पांडेयपुर इलाके का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक कबूतर फ्लाईओवर के पास चाइनीज मांझे में फंसकर छटपटा रहा था, मौके पर मौजूद एक सिपाही ने बस की छत पर चढ़कर उस बेजुबान की जान बचाई। उसकी जान तो बच गई लेकिन बीते कुछ सालों में उसके सैकड़ों साथी आसमान में उड़ते हुए चाइनीज मांझे की गिरफ्त में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।

 

आखिर क्यों है जानलेवा ये चीन का मांझा –

 

भारत में धागे से पतंग की डोर तैयार होती है लेकिन चीन में नायलान के साथ मेटेलिक पाउडर का उपयोग होता है। इसमें कांच और लोहे के चूरे को भी लगाया जाता है ताकि धार और तेज हो। नायलान के धागे के कारण जब पेच लड़ता है तो खिंचाव के कारण चाइनीज मांझा कटता नहीं है। कांच और लोहे का चूर्ण से तैयार ये चाइनीज मांझा गला रेतने के लिए काफी है।

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