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आंबेडकर पर जिस टिप्पणी को लेकर अमित शाह पर हमलावर है विपक्ष, उस पूरे बयान में क्या है ?

 

दिल्ली:- संसद में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चली चर्चा पर जवाब देने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भीमराव आंबेडकर पर की गई एक टिप्पणी से बवाल मच गया।कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। अमित शाह ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके बयान को कांग्रेस ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है। कांग्रेस खुद संविधान, आरक्षण विरोधी पार्टी है। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमित शाह का बचाव करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला था। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी आरोप लगाया कि अमित शाह के 12 सेकंड का वीडियो निकालकर गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर बीजेपी ने साफ किया है कि कांग्रेस ने वीडियो के एक हिस्से को काटकर बयान को तोड़ा-मरोड़ा है, जबकि पूरे भाषण में उस टिप्पणी का मतलब यह नहीं था।

 

आंबेडकर पर अमित शाह का पूरा बयान क्या था?

कांग्रेस ने जो कुछ सेकंड की क्लिप निकालकर अमित शाह पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है, उसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है, ”अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर….। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इसी बयान को लेकर शाह पर हमला बोला है। दरअसल, अपने भाषण के दौरान अमित शाह पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने फैशन वाली बात कही। सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता के बारे अमित शाह ने आगे कहा, ”अच्छी बात है, हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं। आंबेडकर का नाम अभी 100 बार ज्यादा लो, लेकिन आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, यह मैं बताता हूं।”

 

‘पहली कैबिनेट से आंबेडकर ने क्यों दिया इस्तीफा?’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे बताया, ”आंबेडकर जी ने पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया? उन्होंने कई बार कहा कि अनुसूचित जातियों और जन जातियों के साथ हुए व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूं। सरकार की विदेश नीति और आर्टिकल 370 से मैं असहमत हूं, इसलिए वे छोड़ना चाहते थे। उन्हें आश्वासन दिया गया, लेकिन जब पूरा नहीं हुआ तो इग्नोरेंस के चलते इस्तीफा दे दिया। पीसी रॉय ने पत्र लिखा कि आंबेडकर और राजाजी जैसे दो महानुभाव मंत्रिमंडल छोड़ेंगे तो क्या होगा? इस पर नेहरू ने जी ने उन्हें जवाब लिखा कि राजाजी के जाने से थोड़ा-बहुत नुकसान होगा, लेकिन आंबेडकर के जाने से मंत्रिमंडल कमजोर नहीं होता है। मान्यवर यह विचार थे। खरगे जी कह रहे हैं कि क्या आपत्ति है? जिसका विरोध करते हो, उसका वोट के लिए नाम लेना कितना उचित है? आंबेडकर जी को मानने वाले पर्याप्त संख्या में आ गए हैं, इसलिए आप आंबेडकर-आंबेडकर कर रहे हो।”

 

बयान पर सफाई पेश करते हुए अमित शाह ने क्या कहा?

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने राज्यसभा में बाबा साहेब आंबेडकर पर दिए गए उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और कहा कि वह सपने में भी संविधान निर्माता का अपमान नहीं कर सकते हैं। शाह ने यहां भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ”कल से कांग्रेस ने जिस तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर रखने का प्रयास किया है, वह अत्यंत निंदनीय है। मैं इसकी निंदा करना चाहता हूं।” शाह ने कहा कि कांग्रेस ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वक्ताओं ने संविधान पर, संविधान की रचना के मूल्यों पर और जब-जब कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा, तब शासन ने संविधान के मूल्यों का किस तरह से मूल्यांकन, संरक्षण और संवर्धन किया, इस पर तथ्यों और अनेक उदाहरण के साथ भाजपा के वक्ताओं ने विषय रखे। उन्होंने कहा, ”इससे तय हो गया कि कांग्रेस आंबेडकर की विरोधी पार्टी है। कांग्रेस आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने सावरकर का भी अपमान किया। कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान के सारे मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी। नारी सम्मान को भी वर्षों तक दरकिनार किया।”

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