
दिल्ली:- अवध ओझा को मिल सकती है मनीष सिसोदिया की सीट, क्यों पटपड़गंज से चुनाव लड़ाने की चर्चा मशहूर शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा ने ‘राजनीति की क्लास’ में प्रवेश कर लिया है। उन्होंने सोमवार को दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सदस्यता ली। आप के मुखिया अरविंद केरीवाल और दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में ‘आप’ का दामन थामने वाले अवध ओझा का दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अवध ओझा ने चुनाव लड़ने ना लड़ने का फैसला भले ही ‘आप’ पर छोड़ा, लेकिन सूत्रों की मानें तो ना सिर्फ उन्हें टिकट मिलना पक्का है, बल्कि सीट भी फाइनल हो चुकी है। ओझा को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीट ‘पटपड़गंज’ से चुनाव लड़ाया जा सकता। मनीष सिसोदिया को इस बार किसी दूसरी सीट से उतारा जा सकता है। हालांकि, आम आदमी पार्टी की ओर से अभी इस पर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।
दरअसल, 10 साल की एंटी इंकंबेंसी से निपटने के लिए ‘आप’ इस बार कई विधायकों के टिकट काट सकती है तो कई बड़े नेताओं की सीटों में बदलाव किया जा सकता है। कथित शराब घोटाल में गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया को भी लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उनकी विधानसभा क्षेत्र में भी कामकाज प्रभावित हुआ। उनकी गैर-मौजूदगी का फायदा भाजपा ने उठाने की भरसक कोशिश की है।
सूत्रों के मुताबिक, तीन बार के विधायक सिसोदिया के लिए इस बार यह सीट बहुत सुरक्षित नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उनकी जीत का मार्जिन काफी कम था। भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी ने सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी। 2020 में सिसोदिया महज 3 हजार वोट से जीत हासिल कर पाए थे। पटपड़गंज सीट पर पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोगों की अच्छी आबादी है, जिनके बीच भाजपा की पकड़ भी काफी मजबूत है। इसलिए पार्टी ने इस बार उत्तर प्रदेश के गोंडा से आने वाले अवध ओझा को चेहरा बनाने का फैसला किया है।
अवध ओझा की एक शिक्षक के तौर पर अच्छी लोकप्रियता है। वह युवाओं के बीच काफी मशहूर हैं। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि वह पटपड़गंज सीट पर पूर्वांचली और युवा वोटर्स को अपने पाले में लाकर जीत हासिल कर सकते हैं।
अभी यह साफ नहीं है कि सिसोदिया को किस सीट से उतारा जाएगा। पार्टी उन्हें किसी दूसरी सीट से उतार सकती है। सिसोदिया के अलावा कुछ और बड़े नेताओं की सीट भी बदली जा सकती है। पार्टी के कई ऐसे नेता हैं, जो लगातार तीन बार अपनी सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसी सीटों पर माहौल को पार्टी खासतौर पर भांपने में जुटी है।