लखनऊ:- संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ,नई दिल्ली के सहयोग से उमंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित बसंत महोत्सव गुरुवार 26 सितंबर 2024 सांय 6:30 से वाल्मीकि रंगशाला उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी परिसर गोमती नगर,लखनऊ में आयोजित हुआ संस्था के सचिव राहुल शर्मा ने कार्यकर्म के बारे मे बताया की बसंत उत्सव-बसंत ऋतु का स्वागत करने और सर्दियों को अलविदा कहने के लिए मनाया जाने वाला एक त्योहार है।यह त्योहार प्रकृति के प्रति प्रेम के साथ मनाया जाता है।इस दिन लोग वसंती वस्त्र पहनते हैं और गायन, वाद्य, और नृत्य करते हैं। बसंत उत्सव के दिन लोग एक-दूसरे को अबीर लगाकर बधाई देते हैं. इस दिन से होली और धमार का गाना भी शुरू हो जाता है. बसंत उत्सव के दिन लोग पतंग भी उड़ाते हैं।
बसंत ऋतु में फसलें लहलहा उठती हैं, खेतों में फूल खिलते हैं और हर जगह हरियाली के रूप में खुशहाली नजर आती है. इस दिन से शीत ऋतु का समापन होता है।धार्मिक मान्यता है कि इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती प्रकट हुई थी,इसलिए बसंत पंचमी के दिन सभी जगह विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
त्योंहारों के समय खुशी और उत्साह महसूस करने के पीछे मुख्य वजह हमारे दिमाग की कंडिशनिंग भी है। मतलब यह कि बचपन से हमें बताया गया है कि
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और तभी से इस वरदान के फलस्वरूप भारत देश में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। बसंत ऋतु का स्वागत लोकगीत लोकेश पांडे द्वारा मंगल गीत से शुरू हुआ जिनका साथ पवन,राजवीर,देवानंद ने दिया वही कार्यक्रम को आगे भावना गुप्ता सरस्वती बंधना और गणेश बंधना से शुरू करी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कृष्ण की बाल लीला को दिखाते हुए फूलो की होली के साथ रंग बिखेरा जिनका साथ लोकनृत्य के माध्यम से हुआ जिसमें साथ आद्या,भूमिका,दीपिका,द्वारा गया।