Uncategorized

कई लोगों के लिए ऊपरी कमाई का जरिया बन गए अवैध वेंडर्स, सैकड़ो भर से ज्यादा महिलाएं सक्रिय –

 

सतना:- भारतीय रेलवे जिस अवैध वेंडर्स को गंभीर समस्या मानता है, उसे ही बढ़ावा देने का काम दिन रात सतना जंक्शन रेलवे स्टेशन में किया जाता है। अवैध वेंडर्स कई लोगों के लिए ऊपरी कमाई का जरिया बन गए हैं। बताया जाता है कि खानपान सामग्री सहित खिलौने की बिक्री के लिए वैध वेंडर्स चलने का ठेका जबलपुर मंडल द्वारा दिया जाता है, इसकी आड़ लेकर सैकड़ो की संख्या में अवैध वेंडरों को रेलगाड़ियों में दौड़ने का बड़ा ही सुनियोजित खेल किया जाता है। सतना जंक्शन स्टेशन के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों के खुले संरक्षण में अवैध वेंडरों का खेल अंजाम दिया जाता है। रेल गाड़ियों में सफर करने वाले मुसाफिरों को खान-पान की सामग्री दोगुने दाम पर उपलब्ध कराई जाती है। पोस्ट सूत्रों ने बताया कि दो नंबर का पूरा रैकेट स्थानीय पुलिस की देखरेख में काम कर रहा है। प्रत्येक अवैध वेंडर की कुंडली पुलिस के पास रहती है और उसी के आधार पर मासिक अवैध वसूली को अंजाम दिया जाता है। पुलिस के लिए यह गोरख धंधा ऊपरी कमाई का सबसे बड़ा साधन साबित हुआ है। यहां होने वाले लाखों के कलेक्शन से सबके बीच आसानी से बटवारा हो जाता है। अवैध वेंडर चलाने वाले सतना और मानिकपुर के आधा दर्जन से अधिक ठेकेदारों द्वारा बकायदा हर महीने स्टेशन के अंदर और बाहर मुस्तैद रहने वाली पुलिस को एक मुश्त नजराना पेश किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि अवैध वेंडर से होने वाली सर्वाधिक कमाई से एक बड़ा हिस्सा हेड क्वार्टर जबलपुर में बैठने वाले आका तक पहुंचने की वजह से पूरा खेल उच्च स्तर से ही मैनेज चल रहा है। बड़े अधिकारियों का संरक्षण कहीं ना कहीं रेलवे की चौकस व्यवस्था को बेपर्दा कर रहा है। सतना से मानिकपुर और सतना से कटनी के बीच सैकड़ों अवैध वेंडर्स खुलेआम घूम रहे हैं और उसे रोकने वाली पुलिस ऊपरी कमाई की बहती नदी में गोते लगाने तक सीमित रह गई है। 

 

सीनियर डीसीएम- डीआरएम और रेल महाप्रबंधक की भूमिका पर खड़े होने लगे सवाल?

रेलवे द्वारा अवैध वेंडर्स को रोकने के लिए कानून की धारा बनाई गई है, जिसका पालन पुलिस को करना होता है। लेकिन अफसोस सतना जंक्शन स्टेशन पर ऐसा संभव नहीं हो रहा है। वाणिज्य विभाग और पुलिस से जुड़े इस गंभीर मामले को लेकर सतना जंक्शन में बहती उलटी गंगा जबलपुर मंडल की व्यवस्था पर कालिख पोतने का काम कर रही है। मुख्यालय जबलपुर में पदस्थ सीनियर डीसीएम- डीआरएम और रेल महाप्रबंधक की भूमिका पर सतना स्टेशन के बद्तर हालात गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं? क्या वरिष्ठ अधिकारियों को अवैध वेंडर्स का होने वाला खेल नहीं पता? क्या सतना स्टेशन प्रबंधन और पुलिस मुख्यालय को गुमराह कर रही है? यदि बड़े पदों पर विराजमान जिम्मेदारों को सब कुछ पता है तो फिर सवाल उठता है कि किसी तरह की कार्यवाही क्यों नहीं हुई? दिखावे के लिए 10 -20 अवैध वेंडर्स के केस बनाकर पुलिस बड़े खेल को सुरक्षित करने का काम बराबर पूरी ईमानदारी से कर रही है? यदि बड़े रेलवे अधिकारी ही तमाशबीन बन जाएंगे तो फिर रेलवे कानून का पालन आखिर कौन करवाएगा.?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page