वाराणसी

रविन्द्रपुरी से कबीरनगर तक संरक्षित नीलगायों का आतंक और भाजपा का ढहता गढ़ –

वाराणसी:- बनारस का शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र किसी समय में भाजपा का अभेद गढ़ हुआ करता था। पूर्व विधायक श्यामदेव राय चौधरी के सादगी की मिसाल दी जाती थी। कभी साईकल के डंडे या साईकल के पीछे के कैरियर पर बैठ कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते अक्सर देखा जाता था।

श्यामदेव राय चौधरी को बड़े भाई यानी दादा के नाम से आज भी लोग पुकारते हैं। ऐसे शख्स जो एक एक कार्यकर्ता को नाम से व्यक्तिगत रूप से जानते और पहचानते थे। फिर एक दिन शहर में आँधी आयी और एक नीलगाय भटक कर विधायक बनने पार्टी दफ्तर पहुँच गयी।

नीलगाय के चचिया ससुर ने नीलगाय के लिए एक सहज चारागाह का प्रबंध किया। फिर क्या था तय ये हुआ कि सुन्दर वन का शहर दक्षिणी ही वह अभेद किला है जिसमें कोई दिक्कत परेशानी नही होगी। अन्ततोगत्वा सुन्दरवन के दक्षिणी क्षेत्र के माली को हटा कर इस क्षेत्र को नीलगाय के सुपुर्द कर दिया गया।

नीलगाय को मऊर मुकुट पहना कर मंत्री भी बना दिया गया।
काशी विश्वनाथ कोरिडोर जो सुन्दरवन के दक्षिणी क्षेत्र का हिस्सा है उसका जिम्मा भी नीलगाय की निगरानी में ही था। लिहाजा अपनी चरागाह और आमदनी से हरियाली युक्त चारा फिर चरने और जुगाली करने अलावा बचा ही क्या था।

मछोदरी पर टैम्पू की वसूली से आगे बढ़ कर एक बड़े एरिया में चरने की छूट ने जहां दुबले पतले नीलगाय को सांड़ में बदल दिया वही पार्टी के गढ़ शहर दक्षिणी की नींव को खोखला करना शुरू कर दिया है। इस बार नीलगाय के साथ नगर के निगम बकरा बकरी भी चरने खाने में सहयोगी हैं। नगर के निगम के एक बकरे ने कबीर नगर में टोटो माफिया बनने के बावजूद अपनी क्षुधापूर्ति हेतु विकास के नाम पर खनाई, खोदाई, कब्जा, वसूली जैसे कई लघु कुटीर उद्योग लगा रखे हैं।

पहले कार्यकाल में नीलगाय ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि का उपयोग करके गंगा जी के दूसरे छोर पर “स्वेज नहर” की योजना को मूर्त रूप देना शुरू किया।

हर साल भादो कुवार में आने वाली बाढ़ को ध्यान में रख कर जेठ में काम शुरू हुआ और बड़ी बड़ी मशीने लगा दी गई। कागज पर कुछ सामान भी गिराया गया जो दो महीने बाद अर्थात सावन बीतते बीतते बाढ़ के पानी से गीला हो गया। जो पैसा बच गया उसे नील गाय ने चर लिया।

2017 से 2022 तक की अनवरत चराई से जब गढ़ की दीवारें ढहने के कगार पर आ गई तब पार्टी के मुखिया को भी अपनी भूल का एहसास हुआ लेकिन कर क्या सकते थे। सारा खेल परशेप्सन का है। 2022 में दूसरा कोई चेहरा ला भी नही सकते थे, सो जैसे तैसे नीलगाय को ही धो पोंछ कर दौड़ में शामिल करना पड़ा। प्रशासनिक रहमोकरम से हारी हुई बाजी पर जीत सुनिश्चित की गई। नीलगाय अगर पीछे हो जाती तो वही होता जो इस बार अयोध्या में हुआ और दुनिया भर में किरकिरी हुई। विश्वनाथ जी का श्राप पार्टी शीर्षस्थ के माथे लगता और 2024 में लगा भी। लेकिन कहा जाता है न कि एक गलत निर्णय व्यक्ति या संगठन की दशा और दिशा दोनो बदल देता है। यद्यपि इस गलती का आंशिक परिमार्जन मंत्री पद का मऊर छीनकर 2022 में ही कर लिया गया था लेकिन शायद सुन्दरवन की जनता की दृष्टि से यह पर्याप्त न था और इसका नजारा 2024 में जीत के कम होते अंतर में स्पष्ट देखने को मिला।

चलिए ये सब पुरानी बाते हैं। नीलगाय की नयी चारागाह के बारे जानते हैं। रविन्द्रपुरी मार्ग जो बाबा कीनाराम आश्रम तक जाती है उस सड़क पर नये नये प्रयोग किए जा रहे हैं। स्वेज नहर से प्राप्त प्रेरणा के आधार पर पहले इस सड़क को डेढ़ दो फीट ऊँचा कर दिया गया। बाद में इसके बाई प्रोडक्ट के रूप में हर घर के दालान में एक तरणताल ने जन्म लिया। गालियां पड़ीं तो पुनः रोड़ को नोच बकोट के अफगानिस्तान की सड़को के सदृश्य बना दिया गया।
वर्षों से खुदाई चल रही है। ऐसा लगता है कोई विशेष तत्व वहाँ गड़ा है जिसका गूढ़ तत्व निकालने के लिए पुरातत्व विभाग में काम आने वाले औजारों से निकाला जा रहा है।

ऐसा ही एक तत्वान्वेषण कबीर नगर कालोनी में भी चल रहा है। भाजपा का नीलगाय प्रयोग कितना प्रभावी है यह 2027 की दौड़ में स्पष्ट होगा लेकिन इस दौरान संरक्षित नीलगाय का वीभत्स और विध्वंसक आतंक क्या क्या गुल खिलायेगा नही मालूम।

सारांशतः यह स्पष्ट है कि नीलगाय ने श्यामदेव राय चौधरी सरीखे लोगों के खून पसीने से सने हुए इस अभेद्य किले को जर्जर कर दिया है। आकाश मार्ग से पार्टी में अवतरित नीलगाय ने सुन्दरवन के दक्षिणी क्षेत्र के भाजपा के गढ़ को चर के तहस नहस कर दिया है।

हाल ही में श्यामदेव राय चौधरी से सपा नेता माता प्रसाद पाण्डेय जी और ओम प्रकाश सिंह जी का मिलना क्या रंग लायेगा यह विषय देखने लायक होगा।
लेकिन पार्टी के कर्मठ सिपाहियों की उपेक्षा करके टम्पो स्टैण्ड पर अवैध वसूली के जगलर पर भाजपा का दाँव लगाना भाजपा के अस्ताचल का ही संकेत दे रहा है।

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