
वाराणसी:- आज (रविवार, 4 अगस्त) सावन मास अमावस्या है, इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। सावन शिव जी का प्रिय माह है और इस माह की अमावस्या प्रकृति का आभार मानने का पर्व है। हरियाली अमावस्या पर ऐसे कर्म करें, जिनकी वजह से प्रकृति को लाभ होता है। शिव पूजा के साथ ही मंदिर या पार्क जैसी सार्वजनिक जगहों पर पौधे लगाएं, साफ-सफाई का ध्यान रखें।
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य आनन्द शास्त्री मुताबिक, इस अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय गंगा, यमुना, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों का ध्यान करें। ऐसा करने से घर पर ही तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
अमावस्या पर ऐसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान –
घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है और पितर देवता ही अमावस्या तिथि के स्वामी हैं। अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करना चाहिए।
दोपहर में करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। इस दौरान पितर देवता का ध्यान करते रहना चाहिए। धूप देने के बाद हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों के नाम से जल जमीन पर छोड़ दें।
हरियाली अमावस्या कर सकते हैं इन चीजों का दान –
इस अमावस्या पर पितरों के नाम पर जल दान, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल, कपड़े, खाना, छाता, चावल, दालें, मिठाई, मौसमी फल भी दान कर सकते हैं।