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31मई विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के द्वारा नगरीय स्वास्थ एवं प्रशिक्षण केन्द्र जागरुकता कार्यक्रम आयोजन किया गया –

 

 

लखनऊ:- विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई 2025 के अवसर पर कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के द्वारा नगरीय स्वास्थ एवं प्रशिक्षण केन्द्र उजरियांव में एक जागरुकता कार्यक्रम एवं स्वास्थ्य चर्चा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा आईपीएचए,आईएपीएसएम और आईएपीएसएम यूपी यूके के तत्वावधान से आयोजित किया गया।

डॉ. रा0 म0 लो0 आ0 सं0, लखनऊ के निदेशक प्रो. (डॉ.) सी. एम. सिंह, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) प्रद्युम्न सिंह , डीन, तथा प्रोफेसर (डॉ.) ए.के.सिंह सीएमएस ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया । प्रो. (डॉ.) सी.एम.सिंह ने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 2025 की थीम जो है – “अनमास्किंग द अपील तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना” के विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष, अभियान उन रणनीतियों को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जो तम्बाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिए उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि रणनीतियाँ जैसे तम्बाकू के सेवन को रोकने के लिए परामर्श और सहायता प्रदान करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति पर तम्बाकू उद्योग के प्रभाव को चुनौती देना, युवा-केंद्रित शिक्षा और तम्बाकू निषेध कार्यक्रमों का समर्थन करना, तम्बाकू उद्योग द्वारा उपयोग किए जाने वाले भ्रामक प्रचार, लुभावने स्वाद, आकर्षक पैकेजिंग और अन्य तकनीकों को उजागर करना, जिससे लोगों को इन उत्पादों के जोखिमों के बारे में पता चल सके।

प्रोफेसर (डॉ.) प्रद्युम्न सिंह ,डीन, ने जानकारी दी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कें द्वारा 1987 में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य लोगों, सार्वजनिक स्वास्थ्य, समुदायों और पर्यावरण को तम्बाकू उत्पादों से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। उन्होंने बताया कि भारत में हर साल तम्बाकू के उपयोग से 13 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। यह आंकड़ा कुल मौतों का 9-5% है। यह मृत्यु का एक प्रमुख कारण है और दुनिया में तम्बाकू के सेवन के कारण होने वाली मौतों में भारत सबसे आगे है ।

प्रोफेसर (डॉ.) ए.के.सिंह, सीएमएस, ने जानकारी दी कि तम्बाकू का सेवन रोकने के लिए, कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं -तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना, तम्बाकू के सेवन के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, तम्बाकू के सेवन को छोड़ने में लोगों की मदद करना।

कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर (डॉ.) एस0 डी0 काण्डपाल ने COTPA – सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 के बारे में बतायौं। जिसके प्रावधानों में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध, 18 साल से कम उम्र के लोगों को तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध, और तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध शामिल हैं।

कार्यक्रम में कम्यूनिटी मेडिसिन, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, बाल रोग विभाग,दंत चिकित्सा विभाग, श्वसन चिकित्सा विभाग एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा तम्बाकू सेवन के दुष्परिणाम से संबंधित विभिन्न पहलू पर जानकारी दी गई। आयोजन सचिव, डॉ मनीष कुमार सिंह, ने बताया कि धूम्रपान छोड़ने में मदद के लिए सपोर्ट ग्रुप, काउंसलर और अन्य पेशेवर मदद उपलब्ध है । डॉ. रा0 म0 लो0 आ0 सं0, लखनऊ में तम्बाकू निषेध केंद्र कक्ष संख्या नंबर 2 ग्राउंड फ्लोर ऑन्कोलॉजी भवन में हर शनिवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक उपलब्ध है यदि कोई व्यक्ति तम्बाकू छोड़ना चाहता है तो वहां का लाभ उठा सकता है। डॉ. अनामिका सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग, ने बताया कि भारत में, लगभग 28-6% वयस्क किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 42-4% पुरुष और 14-2% महिलाएं शामिल हैं । 

डॉ रुपिता कुलश्रेष्ठ , असोसिएट प्रोफेसर प्रसूति, एवं स्त्री रोग विभाग ,ने जानकारी दी कि तम्बाकू महिलाओं की प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है । डॉ अशोक कुमार गुप्ता , असिस्टेंट प्रोफेसर बाल, रोग विभाग, ने बताया कि, बच्चों के लिए अप्रत्यक्ष धूम्रपान बहुत हानिकारक हो सकती है। इससे सांस लेने की तकलीफ, बार-बार खांसी, कान के संक्रमण, अस्थमा और अचानक शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. शैली महाजन, दंत चिकित्सा विभाग, विभागाध्यक्ष, ने बताया कि धूम्रपान से मसूड़ों की बीमारी और दांतों का गिरना हो सकता है, मुंह में सफेद या लाल धब्बे या अल्सर पैदा कर सकता है जो बाद में मुंह के कैंसर में बदल सकता है। डॉ. हेमन्त कुमार, श्वसन चिकित्सा विभाग, विभागाध्यक्ष ने लोगो को रूबरू कराया कि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया कि फेफड़े के कैंसर से होने वाली 10 में से 9 मौतों के लिए धूम्रपान जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू के धुएं में 7,000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से कई जहरीले और कैंसर जनक होते हैं।

कार्यक्रम में लगभग 100 लोग शामिल हुए। मंच संचालन जूनियर रेजिडेंट डॉ. सिमरन जयसवाल ने किया । कार्यक्रम में विभाग के जूनियर ग्रेड प्रोफेसर – डॉ अरविंद कुमार सिंह, डॉ. अमित कौशिक , डॉ. रश्मि कुमारी , असिस्टेंट प्रोफेसर – डॉ. अर्शी अंसारी तथा डॉ. शिखर सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट और स्वास्थ्य कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा । कार्यक्रम के अंत में सह आयोजन सचिव एसोसिएट प्रोफेसर – डॉ. मिली सेंगर, ने सभी आए हुए विशेषज्ञों और शामिल जनता का धन्यवाद किया और उन्होंने तम्बाकू छोड़ने में जन भागीदारी का महत्व बताते हुए कार्यक्रम समापन किया। 

मीडिया—पीआर सेल

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