मिर्ज़ापुर

होलिका दहन के दिन थर्रा उठा था यह गांव,रातभर तड़तड़ाती रहीं गोलियां,मारे गए थे 16 नक्सली –

मिर्जापुर:-  होलिका दहन के दिन पुलिस और नक्सलियों में भीषण मुठभेड़ हुई थी। नक्सलियों का एक गुट गांव में होली मनाने आया हुआ था। नक्सली एक कच्चे मकान में ठहरे थे।इस मकान में नक्सलियों के लिए खाना बन रहा था।नक्सलियों के आने की खबर पुलिस को मिल गई।कई दिनों से नक्सलियों को पकड़ने के लिए इंतजार में बैठी पुलिस ने पूरे गांव को चारों तरफ से घेर लिया। इसके बाद पुलिस ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने लिए कहा।आत्मसमर्पण करने के बजाय नक्सली गांव में जाकर छिप गए।होलिका दहन के दिन पूरी रात पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ चली।इस मुठभेड़ में 16 नक्सली मारे गए थे।आज भी लोगों को मन में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती रहती है। बरहाल आज पूरे गांव की तस्वीर बदल चुकी है।

 

बता दें कि मिर्जापुर जिले के भवानीपुर गांव में 9 मार्च 2001 को होलिका दहन के दिन लगभग 12 बजे नक्सली भगवानदास के घर पर पहुंच गए।नक्सलियों ने भगवानदास से खाना बनाने के लिए कहा।भगवानदास की पत्नी धनापत्ती ने नक्सलियों के लिए दाल, चावल, लौकी की सब्जी और रोटी बनाई थी।नक्सलियों के आने की खबर पुलिस को मिल गई। पुलिस ने पूरी तैयारी के साथ भवानीपुर गांव को चारों तरफ से घेर लिया। नक्सली खाना खा ही रहे थे कि तब तक पुलिस पहुंच गई।पुलिस की तरफ से आत्मसमर्पण के लिए कहने के बाद भी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया।नक्सली भवानीपुर गांव के घरों में जाकर छिप गए।पुलिस नक्सलियों को पकड़ने के लिए गांव में एक-एक घर की तलाशी करने लगी। 

 

भवानीपुर गांव के लाल बहादुर ने बताया कि जिस दिन नक्सली आए थे, उस दिन हमारे घर पर मांगलिक कार्यक्रम हो रहा था।पुलिस नक्सलियों की तलाश में हमारे पर पहुंच गई। लालबहादुर ने बताया कि बाहर से रिश्तेदारों के आने की वजह से पुलिस को संदेह हुआ। पुलिस ने सभी को बाहर निकलने के लिए कहा।घर से निकलते समय हमारे नाती कल्लू की पैंट नीचे खिसक गई।कल्लू जैसे ही पैंट को ऊपर करने के लिए नीचे झुका कि उसको गोली लग गई।लाल बहादुर बताया कि पुलिस नक्सलियों से मुठभेड़ करने के लिए पूरी तैयारी करके आई थी।नक्सलियों द्वारा सरेंडर नहीं करने पर पुलिस से मुठभेड़ हुई।

 

भगवानदास की पत्नी धनापत्ती ने बताया कि घर पर पुलिस आने के बाद नक्सली भाग गए।पुलिस गांव के सभी घरों पर जाकर पहले सभी ग्रामीणों को प्रधान के घर पर भेज दिया।इसके बाद पुलिस और नक्सालियों के बीच मुठभेड़ शुरु हुई। धनापत्ती ने बताया कि पूरी रात गोलियों की तड़तड़ाहट गांव में गूंजती रही।इसमें 16 नक्सली मारे गए।हम लोगों को अगली सुबह घर पर बुलाया गया।

बताते चलें कि भवानीपुर गांव कभी नक्सलियों का गढ़ था, लेकिन अब भवानीपुर गांव की तस्वीर अब बदल चुकी है। हथियार की जगह बच्चों के हाथों में किताब है।अब नक्सलियों की बातें कहानी बन गई है।गांव के स्कूल को मॉर्डन बनाया गया है।इसके साथ ही गांव की सड़़के अच्छी बन गई हैं। बरहाल आज भी पुलिस होली पर सतर्क रहती है।

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