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हिन्दूवादी संगठनों द्वारा भाजपा का विरोध स्वभाविक है या कोई षड्यंत्र – दिव्य अग्रवाल

 

एक समय था जब देश में बम धमाके रुकते नहीं थे । महानगरों ने तो यह स्वीकार कर लिया था की परिवार का पालन पोषण करने वाले घर के मुख्या को मार्ग में, सार्वजनिक स्थल पर, सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट में , कभी भी कुछ भी हो सकता है । प्राकृतिक आपदाओं में भी देशवाशियों को यह संतोष करना पड़ता था जो बच गया वह परिवार का भाग्य जो मृत्यु को प्राप्त हो गया वह ईश्वर का निर्णय । मजहबी आतंकवाद चरम पर था प्रतिदिन देश में कोई न कोई घटना अखबारों में छप ही जाती थी । मजहबी तुष्टिकरण की राजनीति इतनी प्रबल थी की सनातनी समाज के लोगो की निर्मम हत्या, बलात्कार , अपहरण , लूटआदि पर शासन और प्रशासन दोनों मौन रहते थे । कभी मंदिरों पर हमला तो कभी हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों पर मजहबी हमला आम बात हो चली थी । सनातनी प्रहरियों ,धर्म गुरुओं पर मुकदमों का अंबार,अपमानित करने का षड्यंत्र ,यह प्रचलन में था । सार्वजनिक रूप से यह भी घोषित कर दिया गया था की सनातनी समाज टैक्स की भारी भरकम रकम देकर देश के लिए नए नए संसाधन तो उत्पन्न करता रहे परन्तु उन संसाधनों पर सनातनी समाज का अधिकार अंतिम था। इतना सब कुछ झेलने पर भी किसी भी हिन्दूवादी संगठन, बुद्धिजीवी, धर्मगुरु, शैक्षणिक संस्थान, आदि को सत्यता की रक्षा करने हेतु विरोध करने तक का अधिकार नहीं था। जिन व्यक्तियों ने आवाज उठाने की प्रयास  किया  उनके परिवार दुर्गम व्यवस्थाओं में जीवन व्यापन करने को कर दिए गए  । तत्पश्चात विरोध की चिंगारी ने अग्नि का प्रचंड रूप धारण किया , सत्ता परिवर्तन हुआ, भाजपा को राष्ट्र चलाने का अवसर मिला । सब कुछ बदल गया यह कहना तो गलत होगा परन्तु बहुत कुछ बदला यह बिलकुल कहा जा सकता है। राष्ट्र की जनता को मजहबी तुष्टिकरण की राजनीति से कुछ राहत मिली, सुरक्षा का भाव प्रबल हुआ, राष्ट्र विरोधी ताकतों को उनके घर में घुसकर मारने की प्रथा का शुभारम्भ हुआ, मजहबी कट्टरवादियों की अमानवीय कृत्यों वाली योजनाओं पर भी अंकुश लगा परन्तु इन सबके बीच कुछ हिन्दूवादी  लोग नाराज हुए , कुछ हिन्दू संगठन इस प्रयास में लग गए की भाजपा को भी हिन्दू विरोधी राजनीतिक दल घोषित किया जाए, इसका क्या कारण है क्या उन संगठनों की , प्रबुद्ध लोगों की कुछ निजी महत्वाकांक्षा हैं जो भाजपा सरकार में पूरी नहीं हो सकी या कोई राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र है अन्यथा क्या कारण हो सकता है की सनातनी हिन्दुओ के हित का विचार रखने वाले लोग ही उस सरकार का विरोध कर रहे हैं,जिसको सत्ता ही हिन्दुओ की रक्षार्थ हेतु सौंपी गयी हो   । इसका निर्णय देश की जनता को पूर्व की सरकारों और पिछले १० वर्ष की सरकार के क्रियाकलापों का आकलन करके करना चाहिए ।

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