हादसे की होगी न्यायिक जांच, तीन सदस्यीय कमेटी जांच कर सौंपेगी रिपोर्ट;मिलेगा 25 लाख का मुआवजा –

प्रयागराज:- महाकुंभ में बीती रात हुए 30 श्रद्धालुओं की मौत की घटना की जांच न्यायिक आयोग करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग से जांच कराने का आदेश दिया है। साथ ही, मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का निर्देश भी दिया है। इस दौरान सीएम योगी भावुक भी हो गए।
महाकुम्भ मेला क्षेत्र में हुए हादसे का अपडेट –
बुधवार देर शाम मेलाधिकारी विजय किरण आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण ने मौनी अमावस्या के पर्व पर संगम नोज में हुए हादसे की विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त से पूर्व प्रातः एक बजे से 2 बजे के बीच मेला क्षेत्र में अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ का दबाव बना। भीड़ के दबाव के कारण दूसरी ओर के बैरीकेड्स टूट गए और लोग बैरीकेड्स लांघकर दूसरी तरफ आ गए और ब्रह्म मुहूर्त पर स्नान का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचलना शुरू कर दिया।
शासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य करते हुए भीड़ को हटाया और एंबुलेंस के माध्यम से लगभग 90 घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन इसमें से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई है। इनमें से 25 की पहचान हो चुकी है और शेष की शिनाख्त की जानी बाकी है।
मृतकों में कुछ लोग बाहर के प्रदेशों से हैं, जिसमें कर्नाटक से 4, असम से एक, गुजरात से एक है। कुछ घायलों को परिवार के लोग लेकर चले गए हैं तथा 36 घायलों का इलाज स्थानीय मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला प्रशासन के द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है। इस समय स्थिति सामान्य है।
29 जनवरी को शासन ने सख्त निर्देश दिए थे कि कोई भी वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं होगा। आज मेला प्रशासन ने वीआईपी प्रोटोकॉल इंटरटेन नहीं किया। जो भी मुख्य स्नान पर्व हैं उस पर कोई वीआईपी प्रोटोकॉल लागू नहीं होगा।
वहीं तमाम व्यवस्था के बावजूद घटना होने की वजह से मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार को बृहस्पतिवार को प्रयागराज जाने का निर्देश दिया गया है। दोनों अधिकारी घटना के कारणों की समीक्षा करेंगे और अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंपेंगे। वहीं घटना के बारे में सीएम ने कहा कि यह दुखद और मर्माहत करने वाली है। उन सभी परिजनों के प्रति हमारी पूरी संवेदना है। हम लोग रात से ही लगातार मेला प्राधिकरण, प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के संपर्क में हैं। फिर भी अन्य जितनी भी व्यवस्थाएं हो सकती थीं, उन सबको वहां तैनात किया गया था।