लखनऊ
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हमारे पौराणिक काव्य जैसे रामायण और महाभारत में भी सभी जनजातियों का उत्कृष्ट समावेशन किया गया है – प्राचार्य प्रो०मंजुला

 

लखनऊ:- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं नव युग कन्या महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में जनजाति गौरव दिवस भगवान बिरसा मुंडा के जन्म जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया इसके उपरांत कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभाविप अवध प्रांत की अध्यक्ष प्रो० नीतू सिंह एवं विशिष्ट वक्ता प्रो० सुषमा त्रिवेदी इतिहास विभाग नवयुग कन्या महाविद्यालय एवं प्राचार्य प्रो० मंजुला उपाध्याय को स्मृति चिन्ह, पुष्प तथा पौध द्वारा सम्मानित करने के साथ किया गया. 

कार्यक्रम की विशिष्ट वक्ता इतिहास विभाग की प्रोफेसर सुषमा त्रिवेदी ने जनजातीय नेता भगवान बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने जन संरचना परिवर्तन में बहुत बड़ा योगदान दिया था , इन्होंने 15 वर्ष की लघु उम्र से ही अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू की और मात्र 25 वर्ष में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए शहीद हुए,उन्होंने पर्यावरण संरक्षण तथा सांस्कृतिक संरक्षण जैसे मुद्दे उठाए क्योंकि जनजातीय संस्कृति का अंग्रेजी शासन के कारण क्षरण हो रहा था,जबकि अंग्रेजी शासन ने उनके द्वारा किए गए प्रयासों को उनके प्रति भ्रांतियां फैलाने में किया | प्रो० त्रिवेदी ने सभी को बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया और कहा कि ऐसे जननायको को पुनः समाज में स्थापित करना हमारा कर्तव्य है।

 कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, प्रो० नीतू सिंह ने अपने उद्बोधन में बिरसा मुंडा के जनजातीय आंदोलन में महान योगदान पर प्रकाश डाला और कहा की सतत विकास की वास्तविक अवधारणा जनजातीय सोच से जुड़ी हुई है l उन्होंने कहा किस तरह से अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति को अपनाते हुए भारतीय संस्कृति का खंडन किया। आज की सरकार इन जनजातियों के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है| उन्होंने कहा की आदिवासी सभ्यता में महिलाओं का विशेष स्थान एवं योगदान है इसलिए हमें इस विचारधारा को अपनाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। 

महाविद्यालय प्राचार्य प्रो०मंजुला उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में सभी मुख्य वक्ताओं को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में यह आवश्यक है कि हम जनजातीय संस्कृति को सहेजते हुए समावेशीय विकास की अवधारणा को लेकर चलें क्योंकि हमारे पौराणिक काव्य जैसे रामायण और महाभारत में भी सभी जनजातियों का उत्कृष्ट समावेशन किया गया है ।आज जबकि हम आजादी के अमृत काल में हैं तो भी हमें घर वापसी की बात करनी पड़ रही है । इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम बिरसा मुंडा जैसे जननायकों को समाज में पुन स्थापित करें और उनके जीवन से आने वाली पीढियां को प्रेरित करें। 

    इस अवसर पर नवयुग कन्या महाविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में “जनजातीय गौरव दिवस” के उपलक्ष्य में भाषण प्रतियोगिता, स्लोगन प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का आयोजन शिक्षाशास्त्र की विभागाध्यक्ष एवं सदस्य, प्रांत कार्यकारिणी विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान अवध प्रांत ऐश्वर्या सिंह के द्वारा किया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्यों में हिंदी के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर मंजुला यादव समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ विनीता सिंह, संस्कृत विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर वंदना द्विवेदी शामिल रहीं। प्रतियोगिता का परिणाम इस प्रकार है-

 

भाषण प्रतियोगिता –

 

प्रथम पुरस्कार- मुस्कान, बीए प्रथम सेमेस्टर।

द्वितीय पुरस्कार- अंजलि जायसवाल एवं अमीषा द्विवेदी, बीए तृतीय सेमेस्टर।

तृतीय पुरस्कार- आस्था त्रिपाठी, बीए प्रथम सेमेस्टर।

सांत्वना पुरस्कार- शांभवी गुप्ता, बीए प्रथम सेमेस्टर।

 

पोस्टर प्रतियोगिता-

 

प्रथम पुरस्कार- महिमा सिंह, बीएससी तृतीय सेमेस्टर।

द्वितीय पुरस्कार- सिमरन, बीए पंचम सेमेस्टर।

तृतीय पुरस्कार- प्रियंका यादव, B.Ed प्रथम सेमेस्टर।

तृतीय पुरस्कार- भूमि कुमारी बीए पंचम सेमेस्टर।

 

स्लोगन प्रतियोगिता- 

प्रथम पुरस्कार- दीक्षा वर्मा, बी.एड. प्रथम सेमेस्टर। 

द्वितीय पुरस्कार- रिचा यादव, बीएससी पंचम सेमेस्टर। 

तृतीय पुरस्कार- रिया घई, बीए प्रथम सेमेस्टर। 

सांत्वना पुरस्कार- सिमरन, बीए पंचम सेमेस्टर।

   कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

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