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“सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली जमानत –

✍️ प्रकाश मेहरा –

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने ये ज़मानत शराब नीति से जुड़ी सीबीआई की एफआईआर मामले में दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केजरीवाल को 10 लाख का मुचलका भरना होगा। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और उज्जवल भुयन की बेंच ने की थी और पांच सितंबर को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं. इसमें एक याचिका ज़मानत ना दिए जाने के ख़िलाफ़ थी. दूसरी याचिका इस केस में सीबीआई की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ दायर की गई थी।

 

ईडी की हिरासत के दौरान सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ़्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसे वैध बताया। ईडी की हिरासत के दौरान सीबीआई की ओर से गिरफ़्तार किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में है तो उसे जांच के लिए गिरफ़्तार करने में कोई दिक़्क़त नहीं है। 

 

दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने केजरीवाल को ज़मानत मिलने पर कहा- “सत्यमेव जयते. सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।”

 

‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने क्या कहा –

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से बातचीत में कहा “झुकते हैं तानाशाह, झुकाने वाला चाहिए” अरविंद जी ने तानाशाह को झुकाने का काम किया है। BJP और मोदी सरकार ने झूठ का पहाड़ खड़ा करके आम आदमी पार्टी और केजरीवाल जी को ख़त्म करने की कोशिश की लेकिन वह भूल गये कि सच की जीत होती है और अन्याय का अंत होता है।आज केजरीवाल जी बाहर आएंगे। अब हम हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मज़बूती से जुटेंगे। केंद्र की तानाशाही सरकार का अंत नज़दीक आ चुका है।”

 

आप नेता गोपाल राय क्या बोले ?

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से कहा “दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जी बाहर आ रहे हैं। लोगों में खुशी का माहौल है।इस फ़ैसले ने दिल्ली और पूरे देश को एक संदेश दिया है कि तानाशाही कितनी भी मज़बूत क्यों ना हो, वह एक दिन हार जाती है।”

ईडी की टीम ने केजरीवाल को गिरफ़्तार किया था –

मार्च 2024 में केजरीवाल को ईडी की टीम ने गिरफ़्तार किया था। 12 जुलाई को ईडी के मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई थी। मगर इस ज़मानत मिलने से पहले ही जून महीने में सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लिया था. इस कारण तब केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ सके थे। लोकसभा चुनावों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को चुनाव प्रचार के लिए अरविंद केजरीवाल को 21 दिनों यानी दो जून तक के लिए अंतरिम ज़मानत भी दी थी। बीते दिनों दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी इस मामले में ज़मानत मिली थी. सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आ सके थे।इससे पहले संजय सिंह ज़मानत पर बाहर आ गए थे.

आम आदमी पार्टी का आरोप रहा है कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर झूठे आरोपों में विपक्षी नेताओं को फँसा रही है. बीजेपी ऐसे आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहती रही है कि क़ानून की नज़र में सब बराबर हैं

 

दिल्ली आबकारी नीति से जुड़ा विवाद क्या है ?

नई आबकारी नीति लागू करने के बाद दिल्ली का शराब कारोबार निजी हाथों में आ गया था।दिल्ली सरकार ने इसका तर्क दिया था कि इससे इस कारोबार से मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। दिल्ली सरकार की यह नीति शुरू से ही विवादों में रही. लेकिन जब यह विवाद बहुत बढ़ गया तो नई नीति को ख़ारिज करते हुए दिल्ली सरकार ने जुलाई 2022 में एक बार फिर पुरानी नीति को ही लागू कर दिया था.

 

मामले की शुरुआत दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, आर्थिक अपराध शाखा नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को भेजी गई रिपोर्ट से हुई। यह रिपोर्ट 8 जुलाई 2022 को भेजी गई थी। इसमें आबकारी विभाग के प्रभारी होने के नाते सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंज़ूरी के बिना नई आबकारी नीति के ज़रिए फ़र्ज़ी तरीक़े से राजस्व कमाने के आरोप लगाए गए। रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनियों को लाइसेंस फ़ीस में 144.36 करोड़ की छूट दी गई थी.

 

लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ मिला –

रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना के समय शराब विक्रेताओं ने लाइसेंस शुल्क माफ़ी के लिए दिल्ली सरकार से संपर्क किया। सरकार ने 28 दिसंबर से 27 जनवरी तक लाइसेंस शुल्क में 24.02 प्रतिशत की छूट दे दी। रिपोर्ट के मुताबिक़ इससे लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ पहुंचा, जबकि सरकारी ख़ज़ाने को लगभग 144.36 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ। जबकि अधिकारियों के मुताबिक़, लागू हो चुकी नीति में किसी भी बदलाव से पूर्व आबकारी विभाग को पहले कैबिनेट और फिर उप-राज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेजना होता है. कैबिनेट और उप-राज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया कोई भी बदलाव ग़ैर-क़ानूनी कहलाएगा। रिपोर्ट सीबीआई को भेजी गई जिसके आधार पर बीते साल मनीष सिसोदिया को गिरफ़्तार किया गया था।

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