साहिबाबाद मंडी से हिन्दू व्यापारी कहां विलुप्त हो गए

दिव्य अग्रवाल
साहिबाबाद में जो गोली चली वह जांच का विषय है मंडी में किन लोगो के पास वैध और किनके पास अवैध हथियार यह भी जांच का विषय है । मंडी में जिन फल व्यापारियों के पास सब्जी एवं फल विक्रय करने का लाइसेंस क्या वह सभी मानकों का पालन कर रहे हैं यह भी जांच का विषय है लेकिन इन सबसे अलग सब्जी और फल मंडियों की स्थिति का अवलोकन भी करना चाहिए । मंडी से धीमे धीमे सभी हिन्दू व्यापारियों का व्यापार समाप्त हो जाना , मंडियों में मजहबी समाज का एकाधिकार होना , जरा जरा सी बात पर ग्राहकों से अभद्र भाषा का उपयोग करना यहाँ तक की यदि ग्राहक महिला हो तो भी शर्म न करना, चलते फिरते फब्तियां कसना क्या यह सब उचित है क्या कारण है की हिन्दू व्यापारियों को साहिबाबाद सब्जी मंडी से पलायन करना पड़ा अनेक प्रकार की असभ्य घटनाएं साहिबाबाद मंडी में होती रहती है पर न तो यह बात चर्चा का विषय बनती है और न ही इन पर कोई कार्यवाही होती है । ठेकेदार प्रथा की ताकत इतनी की चाहे कितना ही बड़ा झगड़ा मंडी के व्यापारियों द्वारा कर लिया जाय पर उन्हें अपने संरक्षक पर पूरा विश्वास रहता है की उन पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होगी और होता भी ऐसा ही है । अब फल, सब्जी जैसे आवश्यक वस्तुओं पर इस प्रकार का मजहबी समाज का एकल कब्जा समान्य नागरिक के लिए तो पीड़ादायक ही है सत्य कहिये तो जो जागरूक और सभ्य समाज का व्यक्ति है वो बढ़ती मजहबी संख्या के आतंक के भय से मंडी जाने से भी भयभीत होता है अब इसका समाधान संवैधानिक रूप से होगा या आक्रोशित जनता के प्रतिकार से यह तो भविष्य पर ही निर्भर है सुनने में तो यहां तक भी आता है की मंडी में जिस स्थान पर मस्जीद बनी है वह जमीन मंडी की सरकारी जमीन है यदि ऐसा है तो गंभीर और चिंताजनक है की सरकारी संसाधनो पर मजहबी कब्ज़ा किसके संरक्षण में हो रहा है ।(लेखक व विचारक)