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सरकारें हिन्दू विरोधी हो या हितैषी ,सनातन समाज अब भी अन्धकार में

सरकारें हिन्दू विरोधी हो या हितैषी ,सनातन समाज अब भी अन्धकार में 

दिव्य अग्रवाल

सैकड़ो वर्षो से मजहबी समाज द्वारा हिन्दुओ को काटा भी गया और बांटा भी गया लेकिन निष्कर्ष क्या , समाधान क्या, सैकड़ो वर्ष पूर्व हिन्दू समाज जहाँ खड़ा था आज फिर उसी खाई में जा रहा है । हिन्दू विरोधी और हिन्दू हितैषी दोनों प्रकार की सरकारें भारत के हिन्दू समाज ने देखी परन्तु हिन्दुओ के अस्तित्व और उनके परिवारों के रक्षण हेतु कोई ठोस योजना बन न पायी। जिस सनातन में धर्म गुरुओं की भयानक दुर्गति जिहादियों द्वारा की गई ,वे धर्मगुरु अपने मठ मंदिरो में शंकराचार्य , महामंडलेश्वर आदि के नाम पर वैभव का जीवन व्यततीत कर रहे हैं जबकि उसी सनातन धर्म की बच्चियों के साथ, महिलाओं के साथ,अमानवीय कृत्य किये जा रहे हैं पर धर्म गुरु मौन हैं। इस्लाम के नाम पर मजहबी उपद्रव से हिन्दू समाज प्रतिदिन कमजोर हो रहा है पर सब मौन है। नरसंहार ,दुराचार, निर्मम हत्या चरम पर हैं पर सब मौन हैं। धर्म गुरु से लेकर राजगुरु तक ,जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक समस्याएं सबके समक्ष है पर समाधान पर सब मौन हैं । समस्याएं, भयभीत कर राजनीतिक लाभ अवश्य दे सकती हैं पर समाधान के बिना अस्तित्व राजनीति का भी बचेगा नहीं।

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