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समर्पण का यह निश्चल भाव ही समाज को शक्ति प्रदान करता है – दिव्य अग्रवाल

समर्पण का यह निश्चल भाव ही समाज को शक्ति प्रदान करता है – दिव्य अग्रवाल

एक राजनेता से अलग , राज परिवार की छवि से अलग जब इस प्रकार के दृश्य देखने को मिलते हैं तो प्रतीत होता है की भारत के लोगो में कितनी आत्मीयता और प्रेम है । भदरी रियासत के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया का यह चित्र जिसमे आम जनमानस की एक वृद्ध महिला राजा को अपने पुत्रवत स्नेह कर रही है और राजा भी अपने परिवार जन की तरह सम्मान कर रहे हैं यह दर्शाता है की किसी भी समाज को संगठित रखने का यह सबसे उचित मार्ग है । जहां जनता और जन प्रतिनधि में कोई भेद न हो , पारस्परिक संबंध ऐसा की खुले मन से वार्तालाप की जा सकती हो । सनातन समाज की यह प्राचीन सभ्यता और संस्कार हैं जिसका अनुसरण अब कुछ ही लोग कर पाते हैं । धर्म हो या समाज मजबूत तभी होता है जब संवाद , समर्पण , सहयोग और साथ देने की भावना निश्चल और शुद्ध हो ।

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