सनातन संस्कृति का अनुसरण करती भदरी रियासत – दिव्य अग्रवाल

किसी राष्ट्र या समाज को समाप्त करना हो तो उसकी संस्कृति को ख़त्म कर दो बाकी सब स्वतः ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते कुप्रभाव में सबसे बड़ी चुनौती है अपने समाज , परिवार , संबंधियों को सनातन संस्कृति से बांधे रखना । आर्थिक रूप से उच्च कोटि के परिवार पाश्चात्य संस्कृति की नग्नता को आधुनिकता मानते हैं और मध्यम स्तर का परिवार इसी नग्नता को अपनाकर उच्च स्तर का परिवार बनने की दौड़ में लगा हुआ है परन्तु जब सामर्थ्यवान परिवार सनातन संस्कृति का अनुसरण करते हैं तब इस विचार को बल मिलता है की यदि समाज अपनी धार्मिक मान्यताओं से बंधा हुआ है तो षड्यंत्रकारी किसी भी समाज का पतन नहीं कर सकते । भदरी रियासत राजा भैया का परिवार राजनितिक,आर्थिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत होते हुए सनातन संस्कृति का पालन अपने दैनिक जीवन में करता है यह सुखद भी है और समाज के लिए प्रेरणादायक भी है । अभी बसंत पंचमी के पर्व पर राजा भैया ने अपने बच्चो के साथ प्रयागराज संगम पर स्नान किया , आश्रम में जाकर सेवा की , साधु ,संतों का आशीर्वाद लिया तत्पश्चात अपने निज निवास स्थान बेंती में राजस्थान से आये हुए संगीतकारों के साथ जानकीनाथ प्रभु श्री रामचंद्र भगवान के भक्ति भाव से ओत प्रोत भजनों के श्रवण से आत्मसंतोष प्राप्त किया । अपनी संतान एवं क्षेत्रीय जनता को सनातन संस्कृति से बांधे रखना प्रत्येक पिता एवं जनप्रतिनिधि का प्रथम कर्तव्य है जिसके लिए भदरी रियासत एवं कुंडा विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह साधुवाद के पात्र हैं ।