वाराणसी

श्री राम जन्मभूमि प्राणप्रतिष्ठा के आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन; उनका मणिकर्णिका घाट पर होगा दाह संस्कार –

 ✍️ नवीन तिवारी – 

वाराणसी:-  काशी मे महान् परम् विद्वान्,वेद,वेदांग,सकल शास्त्र निष्णात, श्रौत,स्मार्त प्रवर,ऋषि कल्प वेदज्ञ तपस्वी “श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित गुरु” जी नही रहे।ऐसे “महान मनीषी” का जाना इस धरा को स्तब्ध कर गया।

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. आज सुबह 6:45 पर आखरी सांस ली।

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे. काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला. उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.

लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा समेत कई नेताओं ने भी शोक जताया है. सीएम योगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का गोलोक गमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में आचार्य दीक्षित के द्वारा काशी के 121 ब्राह्मणों ने भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी थी. आचार्य दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती हैं

लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे। लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है, बताया जाता है की 17वीं शताब्दी के काशी के प्रतिष्ठित विद्वान गागा भट्ट के वंशज थे जिन्होंने लगभग 350 वर्ष पूर्व 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का नेतृत्व किया था।

 

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