वाराणसी
Trending

शंकराचार्य जी ने कहा सनातनधर्म के प्रमुख प्रतीक गौमाता के कारण टिकी है धरती –

 

 

बिहार:- पूर्णिया,बिहार/ गौमाता के प्राणों की रक्षा व गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने हेतु भगीरथ प्रयास कर रहे परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज बिहार में गौमतदाता संकल्प यात्रा निकालकर सनातनधर्मियों को उनके गौरक्षा के परमधर्म का स्मरण करा रहे हैं।इसी क्रम में आज पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने पूर्णिया में गौमतदाता संकल्प सभा मे उपस्थित हजारों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमूर्त वस्तु अपने प्रतीकों में बसती है जैसे भारत सरकार का अमूर्त स्वरूप को कोई देखना चाहे तो लहलहाते हुए तिरंगे झंडे में और अशोक चिन्ह में देख सकता है।ठीक इसी प्रकार सनातन धर्म को देखना हो तब हमें उसके प्रतीकों को देखना पड़ेगा वो प्रतीक क्या हैं?सनातनधर्म के अनेकों प्रतीकों में मूल प्रतीक गौ माता हैं।सात लोगों आधार पर धरती टिकी हुई है जिसमे पहला आधार गौमाता ही हैं।गौमाता धरती का मूल आधार हैं *धरती की रक्षा के लिए गौमाता की रक्षा करना अपरिहार्य है* भारत माता की जय बोलते समय सवाल उठता है कि ये भारत माता कौन है?वेद में पुराण में किसी परवर्ती सनातन साहित्य में भारत माता का जिक्र है क्या?ये भारत माता कौन है?ये हमारी धरती माता कौन हैं?गौमाता ही धरती व भारत माता हैं।इसलिए अगर भारत माता की और धरती माता की रक्षा करनी है तो हमें गौमाता की रक्षा करनी होगी। 

श्रीशंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि जैसे भगवान विष्णु चल और अचल दो रूप में दर्शन देते हैं।उनका विग्रह अचल व सन्यासी चल स्वरूप है।वैसे ही धरती माता अचल और गौमाता चल स्वरूप है।जब धरती माता असुरों से परेशान होती हैं तो वो गाय का स्वरूप धारण कर भगवान के शरण मे जाती हैं।तुलसी दास कहते है *संग भूमि बेचारी गो तन धारी* इसलिए अगर हम गाय की रक्षा नही करेंगे तो ये धरती भी नष्ट हो जाएगी।गाय की हत्या सुविचारित ढंग से किया जा रहा है,गाय के घी से हवन करने से भगवान संतुष्ट होकर धर्म की रक्षा करते हैं।इसलिए अधर्मी व विधर्मी योजनानुसार गौमाता की हत्या कर रहे हैं।इसलिए हमें योजनाबद्ध होकर गौमाता की रक्षा करनी होगी।और इस कार्य में हमें अब विलंब नही करना चाहिए।

परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि सनातनधर्म द्रोहियों की पहली योजना है कि सनातनधर्मियों को आपस मे लड़ा दो।इसलिए हम ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य व शुद्र चारो भाइयों को आपस मे लड़ाया जा रहा है।शुद्र भाइयों को ब्राम्हणों के प्रति भड़काया जा रहा है।जिसके चलते आपस मे वैमनस्य पनप रहा है।पर इतिहास से पता चलता है कि न जाने कितने शुद्र भाई राजा,मंत्री व विद्वान हुए।हम चारो भाई विरोधियों से लड़ने की स्थान पर आपस मे लड़ रहे हैं।हमारे सनातन समाज मे कोई भेदभाव नही है।हम सब उसी पतमात्मा के संतान हैं सबके कर्म अलग अलग हैं जिसमे न कोई छोटा है न कोई बड़ा है।हम सभी चारो वर्णों के लोगों की उत्तपत्ति उस विराट पुरुष के शरीर से हुई है।उस विराट पुरूष के मुख से ब्राम्हण,भुजा से क्षत्रिय,पेट से वैश्य व पैर से शुद्र की उत्तपत्ति हुई है।शुद्र को नीचा कहने वाले अपना पैर काट कर दिखाएं।झूठे तर्क के आधार पर विकसित विचार अधिक समय तक टिक नही सकता।अब समय आ गया है कि हम चारों वर्णों के भाई आपसे में मिलकर सनातनधर्म व गौमाता की रक्षा करें।

श्रीशंकराचार्य जी ने कहा कि सन्तों को राजनीति में नही आना चाहिए ये कहने वाले राजनीतिज्ञों से क्यों नही कहते हैं कि उन्हें धर्म के क्षेत्र हस्तक्षेप नही करना चाहिए।मंथरा विचार हमें गर्त में ले जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप हमारा अस्तित्व ही संकट में आ गया है।मंथरा विचार कदापि अनुकरणीय नही हो सकता है।

मंच पर ही भक्तों ने शंकराचार्य जी महाराज के चरण पादुका के पूजन के पश्चात शंकराचार्य जी महाराज की आरती उतारी।

मतदाता सभा मे गौमतदाता संकल्प यात्रा के संयोजक स्वामी प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी जी महाराज,श्रीलाल बाबा,श्री नीलमणि जी,सुबोध कुमार चौधरी,देवेंद्र पाण्डेय आदि लोगों ने सम्बोधित किया। 

उक्त जानकारी शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय व शैलेन्द्र योगी के माध्यम से प्राप्त हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page