विश्वविद्यालय के अन्याय व संवेदनहीनता के विरुद्ध पूर्वांचल गांधी डॉ० संपूर्णानंद मल्ल का आमरण अनशन दूसरे दिन भी जारी –

गोरखपुर :- दीदउ विवि गोरखपुर के कुलपति के कारित अपराध के विरुद्ध मेरा आमरण अनशन 15 जुलाई से दोपहर 12:30 से प्रारंभ हुआ,‘विश्वविद्यालय की ऑटोनॉमी’कुलपति की मनमानी’से भिन्न है’
पोस्टमाॅडर्नाइज्म’और फसिस्म”सत्य’को असत्य’और ‘असत्य’ को सत्य’स्वीकार करने के विचार.
यूजीसी पत्र 28.8.2008 को तत्काल लागू करें मुझे नियुक्ति पत्र अभिलंब जारी करें
यूजीसी नेट को अयोग्य स्वीकार मानने वाली वी.सी प्रो पूनम टंडन तत्काल हटाई जांय.
“महोदया परम सम्मान देते हुए”
पूर्वांचल का ऑक्सफोर्ड गोविवि की VC पूनम टंडन, प्रथम श्रेणी PG’ यूजीसी नेट’ को अयोग्य स्वीकार करती हैं, क्या ऐसे VC यूनिवर्सिटी में मेधा’महफूज’ रख पाएंगे? यूजीसी नेट रेगुलेशन की हत्या करने वाले,यूनिवर्सिटी में,कुलपति क्यों? सत्र 2007-8 में एक फ्राॅडूलेंट’कार्यवाहक’वीसी ए.के मित्तल ने लिखा बी ए में मेरा 33% अंक है जबकि प्रवक्ता के लिए UG में 50% अंक होना चाहिए इसलिए आप अयोग्य है और अगस्त 2003 में योग्यता(‘NET) एवं प्रक्रियागत( समन्वयक द्वारा प्रो के सी लाल द्वारा संस्तुति’यशस्वी कुलपति प्रो आर आर पांडे द्वारा अनुमोदित’कुलसचिव द्वारा जारी नियुक्ति पत्र’) मानदेय नियुक्ति’एवं भुगतान’निरस्त कर दिया। या तो उक्त तीनों अयोग्य थे जिन्होंने आयोग्य की नियुक्ति की थी या फ्राॅडूलेंट पीएचडी’फ्राॅडूलेंट नियुक्ति’वी सी एके मित्तल फ्राॅडूलेंट था जो माननीय उच्च न्यायालय में दोषी पाया गया और राज्यपाल ने उसको बर्खास्त कर उसके पीएफ पेंशन सब जप्त कर लिए. लगता ही नहीं है वह फ्राॅडूलेंट यूजीसी रेगुलेशन एवं नेट एडवरटाइजमेंट अपनी आंखों से देखा हो ‘PG यूनतम 55% अंको से उत्तीर्ण कोई भी प्रवक्ता पद के लिए ‘राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा’में सम्मिलित हो सकता है उत्तीर्ण होने पर यूनिवर्सिटीज कॉलेजेस में प्रवक्ता पद के लिए योग्य होता है”UG में उसने 33% अंक हासिल किए हैं या 99% इससे यूजीसी नेट का कोई संदर्भ नहीं है।इस फ्राॅडूलेंट को यह भी पता नहीं कि ‘मानविकी के विषयों’में प्रवक्ता पद की योग्यता PG होती है UG नहीं।गुड एकेडमिक रिकॉर्ड’अलग है जो यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार ‘”PG न्यूनतम 55% अंकों में उत्तीर्ण एवं नेट’से बनेगा”परंतु रेगुलेशन अनुसार राज्यों को ‘उक्त के अतिरिक्त’ उत्तम उत्तम शैक्षिक अभिलेख तय करने की छूट दी गई इसका अर्थ यह नहीं कि यूजीसी नेट रेगुलेशन की ही हत्या कर दें
जहां तक मेरी’योग्यता’का प्रश्न है मैं PG प्रथम श्रेणी यूजीसी नेट हूं.जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी में प्रवेश 2013 लिया तब मैं अयोग्य नहीं था, प्रथम श्रेणी PG यूजीसी नेट के आधार पर ही पीएचडी में प्रवेश हुआ तब में योग्य था, 2015 फरवरी में किरोड़ीमल कॉलेज DU में सहा प्रो.के लिए इंटरव्यू दिया था तब मैं केवल योग्य था वरन API स्कोर 85% से अधिक था। विधिक’ यह है 1988 में प्रवक्ता पद के लिए PG प्रथम श्रेणी योग्यता थी 1988 में मैं इसी विश्वविद्यालय से MA प्रथम श्रेणी ‘प्योर आर्कियोलॉजी’में उत्तीर्ण हुआ. मेरे साथ राजवंत राव भी थे जों सर्वोच्च अंकों के साथ पास हुए थे और आज विवि के डीन ऑफ़ आर्ट है, उसी वर्ष विदाउट नेट’ विदाउट पीएच.डी’ प्रवक्ता नियुक्त हुए M A प्रथम श्रेणी के आधार पर ही पीएचडी में मेरा एनरोलमेंट हुआ और देश की प्रतिष्ठित आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की JRF मिली.
वीसी गोविवि एवं राज्यपाल जो विवि की चांसलर भी है को दो दर्जन से अधिक पत्र ज्ञापन सितंबर 24 से अब तक लिख चुका.कि मैं योग्य हूं, और यदि PG प्रथम श्रेणी’ यूजीसी नेट योग्य नहीं तो इस विश्वविद्यालय के 300 आचार्य में योग्य कौन?
इंडोलॉजी’आर्कियोलॉजी’हिस्ट्री विषय में मुझसे उत्तम शैक्षिक अभिलेख’एवं रिसर्च एबिलिटी किस आचार्य के पास? कोठी हयात’ जिसे आज राज्यपाल भवन कहा जाता है,में या तो पत्र/ज्ञापन पढ़े नहीं जाते या पढ़ने वालों में मनुष्यता है ही नहीं.आज का गवर्नर हाउस अंग्रेजी जमाने से भी क्रूर है एक मेधा’एवं योग्यता’ के जीवन’जीविका के आधार’उसके सम्मान को 18 वर्षों से कुचला जा रहा है और इन हवेलियों में हिंदी गवर्नर बैठ रहे हैं विगत 20 वर्षों में इस विवि में जो कुलपति आए,जुगाड़’चाटुकारिता’ पद खरीद कर’ कोई कांग्रेसी’और अब संघी भाजपाई’नियुक्त हुए हैं,ये इतने बेशर्म’ बेवकूफ’हैं कि शासनादेश से रेगुलेशन की हत्या करते हैं ऑटोनॉमी’को मनमानी”स्वीकार करते हैं,ज्ञापन/पत्रों में यही मांग की थी कि विवि में प्रोफेसर पद पर मेरी नियुक्ति 30 अगस्त 2003 से वरिष्ठतानुसार कर दी जाए,
यूजीसी पत्र दिनांक 28 – 8 – 2008 जो VC गोविवि को निर्गत है,जो मेरे अनुमोदन एवं भुगतान से संबंधित है, तत्काल लागू कर दें 17 वर्षों से पत्र का संज्ञान क्यों नहीं लिया गया? मुझे जवाब क्यों नहीं दिया गया? विवि ने जानबूझकर पत्र का संज्ञान नहीं लिया विवी की इस संवेदनहीनता’एवं क्रूरता’ का कूअसर मेरे परिवार एवं मेरे बच्चों पर पड़ा’मेरे बच्चों का जीवन दफन होता रहा. रेगुलेशन एवं यूजीसी नेट की हत्या करने वालों पर अपराध का अभियोग पंजीकृत किया जाए वीसी प्रोफेसर पूनम टंडन को यहां से तत्काल हटाइये,इनके पास संवेदना एवं मनुष्यता दोनों नही। यदि मेरे पत्रों को पढ़ी होतीं तो मेरी नियुक्ति हुई होती ? नियुक्ति पाना मेरा अधिकार है, मेरी योग्यता वीसी की मर्सी’शासनादेश की व्याख्या’ का विषय नहीं है वरन मेरे कठोर श्रम के पसीने से की गई मेरी निजी खेती है राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर हासिल की गई है। मुझे महामहिम राज्यपाल,राष्ट्रपति भी मेरे जीवन काल तक अयोग्य नहीं ठहरा सकते.दर्जनों पत्र ज्ञापन का जवाब न मिलने के कारण मेरी मानसिक स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। कुलपति को मैंने 30 मार्च को फोन मिलाया था इनका फोन नहीं उठा। कुलपति रस्तोगी को फोन मिलाया उनका फोन उठा उन्होंने कुछ बात की उन्होंने यह भी पूछा कि नवीन एडवर्टाइजमेंट में आपने अप्लाई किया है’? डीन ऑफ़ आर्ट ‘राजवंत राव जो मेरे सहपाठी है फोन किया यह पूछने के लिए की आपने डिपार्टमेंट से मेरे नाम का कंसेंट भेजा या नहीं उन्होंने कहा”आपके नाम पर वह भड़क जा रही हैं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है’मैंने कहा मैंने आपसे प्रो. शीतला प्रसाद से और प्रो दिग्विजय नाथ से अपने नाम का कंसेंट भेजने का निवेदन किया था ‘मेथडोलॉजी रहित ‘प्लेगिरिज्म की पीएचडी आचार्य संकल्पित है कि मुझे विश्वविद्यालय में घुसने नहीं देना है.
कल दिनांक 15 जुलाई 12:30 p.m से अनशन पर हूं यूजीसी का पत्र 28.08.2008 लागू कर दिया जाए मुझे नियुक्ति पत्र दे दिया जाए यूजीसी रेगुलेशन एवं नेट को अस्वीकार करने वाली कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन को कुलपति पद से तत्काल हटाया जाए।
राज्यपाल, एचआरडी मंत्री’ अध्यक्ष यूजीसी’ मा.कुलपति ‘आयुक्त’ गोरखपुर मंडल,जिलाधिकारी एसएसपी गोरखपुर।
डॉ संपूर्णानंद मल्ल पूर्वांचल गांधी
PG प्रथम श्रेणी’ यूजीसी नेट ‘जेआरएफ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया’पीएच.डी इन आर्कियोलॉजी’ हिस्ट्री डिपार्टमेंट’फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंसेज’ दिल्ली यूनिवर्सिटी