दिल्ली:–सीजेआई चंद्रचूड़ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए पास किया और कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की. जून 1998 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था. उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया. सीजेआई चंद्रचूड़ ने पिछले महीने अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी. जस्टिस खन्ना 11 नवंबर देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे.
देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर दो साल के कार्यकाल के बाद, सीजेआई डीवाई धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट के जजों, वकीलों और उनके सहयोगियों ने विदाई समारोह में उनके कार्यकाल को याद किया और कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
मैं इस विश्वास से सर्वोच्च न्यायालय छोड़ रहा हूं –
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय को इस दृढ़ विश्वास के साथ छोड़ रहा हूं कि यह न्यायालय न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के ठोस, स्थिर और विद्वान हाथों में है। मुझे पता है कि सर्वोच्च न्यायालय का भविष्य उज्ज्वल है।” बता दें कि दो साल के लंबे कार्यकाल के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ 65 वर्ष के होने पर 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 11 नवंबर से 51वें सीजेआई के रूप में अपना कार्यभार संभालेंगे।
ट्रोल करने वाले बेरोजगार हो जाएंगे –
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि शायद मैं पूरे सिस्टम में सबसे अधिक ट्रोल किए जाने वाले न्यायाधीशों में से एक हूं। आप सभी जानते हैं कि मुझे कितनी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा है। मैं सोच रहा हूं कि सोमवार से क्या होगा ? क्योंकि मुझे ट्रोल करने वाले सभी लोग बेरोजगार हो जाएंगे! आगे सीजेआई चंद्रचूड़ बशीर बद्र की लिखी दो पंक्तियां पढ़ते हैं- मुखालिफत से मिरी शख्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं।
जब विशाल पेड़ पीछे हटता है –
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के विदाई समारोह का आयोजन किया था। सोमवार को चीफ जस्टिस डीवीआई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा, “जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपना गीत बंद कर देते हैं। हवा भी अलग तरह से चलने लगती है। बाकी पेड़ उस खाली जगह को भरने की कोशिश करते हैं। मगर जंगल कभी वैसा नहीं होगा… जैसा पहले था।”
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने आगे कहा, “सोमवार से हम बदलाव को गहराई से महसूस करेंगे। इस अदालत के बलुआ पत्थर के स्तंभों के माध्यम से खालीपन गुजेगा और बेंच के सदस्यों के दिलों में एक शांत प्रतिध्वनि होगी।” उन्होंने कहा कि चीफ, आप न केवल एक शानदार वक्ता हैं, बल्कि लिखित शब्दों पर भी आपकी उतनी ही महारत है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की 370, समलैंगिक विवाह और चुनावी बांड जैसे जटिल मुद्दों से निपटने इच्छा सराहना की और कहा कि ऐसे मुद्दों से पिछले सीजेआई बचते रहे थे
कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायालय का निर्माण इसकी दीवारों या इसकी इमारतों के मेहराबों से नहीं होता। बल्कि इसके न्यायाधीशों द्वारा अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए किए गए काम से होता है। आखिरकार किसी भी न्यायाधीश की विरासत इस बात से मापी जाती है कि उसने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कैसे की है और इस संबंध में यह सभी संदेह से परे है कि मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कुछ अभूतपूर्व निर्णय दिए हैं। आपका कार्यकाल बहुत समृद्ध और सृजनात्मक रहा।
उन्हें पहली बार 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 से 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत होने तक, इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीजेआई के रूप में भी कार्य किया है.
समारोह के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा – कि पिछले दो वर्षों में 1,11,000 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान 5,33,000 मामले सूचीबद्ध किए गए और 1,07,000 मामलों का निपटारा किया गया. उन्होंने कहा, ‘आपने शायद कहीं पढ़ा होगा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 82,000 हो गई है. मैं आपको मोटा-मोटी आंकड़े बताना चाहता हूं. नवंबर 2022 से पहले, अपंजीकृत/दोषपूर्ण मामलों को कभी भी सार्वजनिक डोमेन में नहीं रखा गया और उनका हिसाब नहीं रखा गया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उन्होंने नवंबर 2022 में मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला, तो उन्होंने पाया कि रजिस्ट्रार की अलमारी में लगभग 1,500 फाइलें बंद पड़ी थीं. उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा कि इसे बदलना होगा. सिस्टम में आने वाले हर मामले को एक नंबर के साथ टैग किया जाना चाहिए. हमने सभी लंबित मामलों का डेटा सार्वजनिक डोमेन में डालने का फैसला किया, चाहे वह पंजीकृत हो या अपंजीकृत. लंबित मामलों की संख्या 1 जनवरी 2020 को 79,000 थी, जिनमें वे मामले भी शामिल हैं जिन्हें अब हम दोषपूर्ण मामले कहते हैं. यह संख्या 1 जनवरी 2022 को 93,000 तक पहुंच गई. इसके बाद 1 जनवरी 2024 को घटकर 82,000 रह गई. इसलिए इसमें पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों तरह के मामले शामिल हैं और दो वर्षों में संख्या में 11,000 की कमी आई है.’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामलों के दाखिल होने की संख्या दोगुनी हो गई है और पिछले दो वर्षों में 21,000 जमानत याचिकाएं दायर की गईं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा 21,358 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया गया. अपने साथी जजों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके प्रत्येक सहयोगी ने कर्तव्य की सीमा से आगे जाकर काम किया और मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा दिए गए कार्य को स्वीकार किया।