
लखनऊ :- मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से गरीब असहाय मरीजों को मिलने वाले इलाज में लखनऊ लोहिया संस्थान में खूब धांधली की गई। मर चुके मरीजों के नाम पर लाखों रुपए की दवाएं निकालकर उन्हें बाजार में बेच दिया गया। लंबे समय से संस्थान के स्थायी फार्मासिस्टों, कुछ डॉक्टरों की मिलीभगत से यह काला कारनामा चलता रहा। कुछ मृतकों के पीड़ित परिवारीजनों ने खुद ही लोहिया संस्थान के अफसरों को दवा निकालने की शिकायत तक की। लोहिया के कुछ आला अफसर भी इस खेल में शामिल दिख रहे हैं। यही वजह है कि वह कार्रवाई से सीधे तौर पर बच रहे हैं। चार से पांच दिन में निकाली 1500 से अधिक गोलियां कई मृतक मरीजों के नाम पर मुख्यमंत्री राहत कोष से लाखों रुपए दवाओं के नाम पर लोहिया संस्थान को आवंटित कर दिए गए।।
सूत्रों के अनुसार – मरीजों की मृत्यु के बाद उनके खातों में रुपए बचे रहे। उन रुपयों से मरीजों के मरने के बाद फार्मासिस्टों ने दवाएं चोरी करने का सिलसिला जारी रखा। एक-एक मरीज के नाम पर चार से पांच दिन में ही 500 से 1500 गोलियां आदि दवाएं लाखों रुपए की निकाली जाती रहीं। जैसे पारा के चंद्रोदय नगर निवासी नीलम के पति व हाईकोर्ट के वकील रहे शिव प्रसन्ना सिंह का इलाज लोहिया में चला। पत्नी के मुताबिक पति का का निधन 15फरवरी 2024 को हो गया। मृत्यु प्रमाण पत्र भी है। उनके नाम से 28 अगस्त से 13 सितंबर 2024 तक मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से एक लाख 17 हजार की दवाओं के नाम से चोरी हुईं यानी पैसा काटा जाता रहा। ऐसे बहुत से मामले सामने आए है।