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लाल किले से लेकर बर्फीली वादियों और समंदर तक अनोखे अंदाज में मना आजादी का जश्न –

दिल्ली:-  देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस मौके पर लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया  और अपने देश 140 करोड़ परिवारजनों को संबोधित किया। पीएम ने अपने संबोधन में कई बड़ी बातें भी कहीं, जिससे उन्होंने अपने आगे के विकास मॉडल की रूपरेखा बताई।

78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन विकसित व आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में सरकार के संकल्प का प्रतिबिंब है।

रिन्यूएबल एनर्जी से आत्मनिर्भरता, One Nation – One Election, UCC, मेडिकल शिक्षा का विस्तार, इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग और ‘डिजाइन इन इंडिया’ और SHG से नारी सशक्तीकरण, जैसे विषयों पर प्रकाश डालता मोदी जी का यह उद्बोधन बीते 10 सालों की सफलताओं से प्रेरित होकर देश को आगे ले जाने की प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है।

मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि इस संबोधन को सुन एक मजबूत भारत के निर्माण का संकल्प लें।

पीएम ने अपने संबोधन मे कहा – आज वो शुभ घड़ी है, जब हम देश के लिए मर मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी की तख्त पर चढ़कर भारत माता की जय का नारा लगाने वाले अनगिनत वीरों को हम नमन कर रहे हैं।

आजादी के दीवानों ने हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश उनका ऋणी है। ऐसा हर महापुरुष के प्रति हम अपना श्रद्धाभाव व्यक्त करते हैं।

आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं… 

वो हमारे किसान हैं, हमारे जवान हैं, हमारे नौजवानों के हौसले हैं, हमारी माताओं-बहनों का योगदान है, दलित-शोषित-वंचित-पीड़ित हैं। 

 

जरा आजादी से पहले के वो दिन याद करें।

सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों… वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे।

इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी।

वो एक समय था, जब लोग देश के लिए मर-मिटने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली थी।

आज का समय, देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का है।

अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है, तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता ‘समृद्ध भारत’ भी बना सकती है।

विकसित भारत-2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं।

इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है, देश के कोटि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और मुझे प्रसन्नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने ‘विकसित भारत-2047’ के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं।

मेरे देश के सामान्य नागरिकों ने हमें अमूल्य सुझाव दिए हैं।

मैं समझता हूं, जब देशवासियों की इतनी विशाल सोच हो, उनके इतने बड़े सपने हों, देशवासियों की बातों में जब संकल्प झलकते हों, तब हमारे भीतर एक नया दृढ़ संकल्प बन जाता है, हमारे मन में आत्मविश्वास नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है।

हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे हैं। गरीब हो, मध्यम वर्ग हो, वंचित हो, हमारे नौजवानों के संकल्प और सपने हों या हमारी बढ़ती हुई शहरी आबादी हो, इन सभी के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का मार्ग चुना।

इसलिए मैं आज कह सकता हूं कि रिफार्म का हमारा मार्ग आज ग्रोथ का ब्लूप्रिंट बना हुआ है।

हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए अनेक रिफॉर्म किए।

आज उसके कारण हमारे बैंक विश्व के अग्रणी बैंकों में अपना स्थान बना चुके हैं।

जब बैंक मजबूत होते हैं, तो फॉर्मल इकोनॉमी की ताकत भी बढ़ती है

दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो।

लेकिन हमने गवर्नेंस के इस मॉडल को बदला। आज सरकार खुद लाभार्थी के पास जाती है।

आज सरकार खुद उसके घर तक गैस का चूल्हा, पानी, बिजली और आर्थिक मदद पहुंचाती है।

आज सरकार खुद नौजवानों के skill development के लिए अनेक कदम उठा रही है।

हमारा एक ही संकल्प होता है ‘Nation First’.

मेरा भारत महान बने, इसी संकल्प को लेकर हम कदम उठाते हैं।

हम सदियों की बेड़ियों को तोड़कर निकले हैं।

आज पर्यटन क्षेत्र हो, MSMEs सेक्टर हो, शिक्षा हो, ट्रांसपोर्ट सेक्टर हो, खेल सेक्टर हो या खेती-किसानी का सेक्टर हो, हर क्षेत्र में एक नया आधुनिक सिस्टम बन रहा है।

हमारे सारे अवरोध हटें, हमारी बंदिशें दूर हों, हम पूरे सामर्थ्य के साथ चल पड़ें, खिल उठें, सपनों को पाकर रहे, सिद्धि को अपने निकट देखें और उसे आत्मसात करने की दिशा में हम चलें।

अब हमने SHGs को 10 लाख से 20 लाख रुपये देने का निर्णय किया है।

अब तक 9 लाख करोड़ रुपये बैंकों के माध्यम से हमारे इन women SHGs को मिले हैं।

जिसकी मदद से वो अपने अनेक वित्तीय कामों को बढ़ा रहे हैं।

जब नीति सही होती है, नीयत सही होती है और पूर्ण समर्पण के साथ राष्ट्र कल्याण का मंत्र होता है, तो निश्चित परिणाम हम प्राप्त करके रहते हैं।

आज देश में नए अवसर बने हैं, तो मैं कह सकता हूं कि 2 चीजें और हुई हैं, जिन्होंने विकास को एक नई गति दी है, वो हैं – 

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण – हमने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की दिशा में बहुत बड़े कदम उठाए हैं।

दूसरी तरफ ease of living के हमारे सपने पर भी हमने उतना ही बल दिया है।

लोगों के जीवन में सरकार का दखल कम हो, इस दिशा में भी हमने काम किया है।

हमने देशवासियों के लिए 1,500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया, ताकि कानूनों के जंजाल में देशवासियों को फंसना न पड़े।

जब लाल किले से कहा जाता है, देश के 18,000 गांव में समय सीमा में बिजली पहुंचाएंगे..

और वो काम हो जाता है, तो (लोगों का) भरोसा और मजबूत हो जाता है। 

सदियों से हमारे पास जो criminal law थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं।

इसके मूल में ‘दंड नहीं, नागरिक को न्याय’ के भाव को हमने प्रबल बनाया है।

मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ease of living के लिए कदम उठाने चाहिए। 

आज देश में करीब 3 लाख संस्थाएं काम कर रही हैं।

मैं अपनी इन 3 लाख इकाइयों से आह्वान करता हूं कि आप साल में अपने स्तर पर सामान्य मानवी के लिए 2 रिफॉर्म करें और उसको जमीन पर उतारें।

आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ है।

हमारे देश का नौजवान नई सिद्धियों को चूमना चाहता है, नए-नए शिखरों पर कदम रखना चाहता है।

इसलिए हमारी कोशिश है कि हर सेक्टर में हो रहे कार्य को हम तेज गति दें और उसके द्वारा पहले हम नए अवसर पैदा करें।

मुझे विश्वास है कि भारत की दिशा सही है, भारत की गति तेज है और भारत के सपनों में सामर्थ्य है।

लेकिन इन सबके साथ संवेदनशीलता का हमारा मार्ग हमारे लिए ऊर्जामय नई चेतना भरता है।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत हम देश में ऐसी शिक्षा व्यवस्था विकसित करना चाहते हैं कि मेरे देश के नौजवानों को विदेश न जाना पड़े, मध्यमवर्गीय परिवारों को लाखों-करोड़ रुपये खर्च न करने पड़ें।

हम यहां ऐसे संस्थानों का निर्माण करना चाहते हैं जहां विदेशों से लोग भारत आएं। 

अभी-अभी हमने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया है। नालंदा विश्वविद्यालय ने फिर एक बार काम करना शुरू कर दिया है।

लेकिम हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर एक बार सदियों पुराने उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, हमें उस नालंदा स्पिरिट को लेकर बड़े विश्वास के साथ विश्व के ज्ञान की परंपराओं को नई चेतना देने का काम करना होगा

हमारी कृषि व्यवस्था को transform करना समय की मांग है और ये बहुत जरूरी भी है।

हमारे किसानों को इसके लिए हम मदद भी दे रहे हैं।

किसानों को आसान ऋण दे रहे हैं, टेक्नोलॉजी की मदद दे रहे हैं, किसान जो पैदावार करता है उसके value addition का काम भी हम कर रहे हैं।

इस बार बजट में हमने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बहुत बड़ी योजनाओं के साथ बहुत बड़ा प्रावधान किया है।

आज विश्व के लिए ऑर्गेनिक फूड का अगर कोई फूड बास्केट बन सकता है, तो वो मेरा देश बन सकता है, जिसे हमारे किसान बना सकते हैं।

बीते वर्षों में women led development मॉडल पर हमने काम किया है।

Innovation हो, Entrepreneurship हो, हर क्षेत्र में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं, महिलाएं नेतृत्व दे रही हैं।

हमारी वायुसेना हो, आर्मी हो, नौसेना हो या हमारा स्पेस सेक्टर हो, हर जगह हम महिलाओं का दमखम देख रहे हैं।

मैं आज लाल किले से अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं।

हमें गंभीरता से सोचना होगा। हमारी माताओं, बहनों, बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति जन सामान्य का आक्रोश है। इसे देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा। 

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, ये समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।

दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो।

हमने governance के इस मॉडल को बदला है। आज सरकार खुद लाभार्थियों के पास जाती है।

हमारी आदत हो गई थी कि रक्षा बजट कितना ही क्यों न हो, लेकिन कभी कोई ये नहीं सोचता था कि ये जाता कहां है? रक्षा बजट विदेशों से खरीदी में चला जाता था।

अब हम चाहते हैं कि हम आत्मनिर्भर बने।

चुनौतियां हैं, भीतर भी हैं और बाहर भी हैं।

मैं ऐसी शक्तियों को कहना चाहता हूं कि भारत का विकास किसी के लिए संकट लेकर नहीं आता।

जब हम विश्व में समृद्ध थे, तब भी हमने विश्व को कभी युद्ध में नहीं झोंका। हम बुद्ध का देश हैं, युद्ध हमारी राह नहीं है।

हमारा हर देशवासी भ्रष्टाचार के दीमक से परेशान रहा है, इसलिए हमने व्यापक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ी है।

मैं जानता हूं, इसकी कीमत मुझे और मेरी प्रतिष्ठा को चुकानी पड़ती है। लेकिन राष्ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्ठा नहीं हो सकती और राष्ट्र के सपनों से बड़ा मेरा सपना नहीं हो सकता।इसलिए ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी।

हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार UCC को लेकर चर्चा की है, अनेक बार आदेश दिए हैं।

अब देश की मांग है कि देश में secular civil code हो।

बार-बार चुनाव इस देश की प्रगति में रुकावट बन रहे हैं, गतिरोध पैदा कर रहे हैं।

भारत की प्रगति के लिए जरूरी है 𝐎𝐧𝐞 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐎𝐧𝐞 𝐄𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧.

पीएम ने अपने संबोधन के बाद लाल किले पर आए स्कूली बच्चों से मुलाकात की। लाल किला ही नहीं, देश के हर कोने में आज आजादी का ये महोत्सव मनाया जा रहा है। आइए तस्वीरों के जरिए देखें देश में कैसे मनाया गया स्वतंत्रता दिवस…

 

पीएम मोदी ने गांधी जी को दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने सबसे पहले आज राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि दी।

इसके बाद पीएम मोदी ने लाल किले पर ध्वजारोहण किया। 

जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद पीएम मोदी तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लगातार 11वीं भार भाषण दिया है। नेहरू को 17 बार, जबकि इंदिरा गांधी को 16 बार ये सम्मान मिल चुका है।पीएम मोदी ने लगभग 97 मिनट तक भाषण दिया है। आजादी के बाद किसी प्रधानमंत्री का ये सबसे लंबा भाषण है। साल 1947 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 72 मिनट तक भाषण दिया था।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हुए।

नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर 97 मिनट का भाषण देकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। उन्होंने 2016 में 94 मिनट का भाषण देकर रिकॉर्ड बनाया था, जिसे उन्होंने इस साल तोड़ दिया।पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड टूटा –

 

मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ दिया है। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 के दौरान लाल किले की प्राचीर से 10 बार तिरंगा फहराया था। इस मामले में मोदी पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

पीएम ने लाल किले पर अपने संबोधन के बाद वहां मौजूद छोटे बच्चों से मुलाकात भी की। 

लाल किले पर हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितित गडकरी और कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

 

वहीं, जम्मू-कश्मीर के लाल चौक से पाकिस्तान से लगे अटारी बॉर्डर तक देश ने स्वतंत्रता दिवस मनाया और झंडा फहराया।

आजादी का ये महोत्सव सिर्फ जमीन ही नहीं, पहाड़ों और समंदर में भी मनाया गया। सेना ने जहां 14 हजार किमी की ऊंची पहाड़ियों पर झंडा फहराया तो वहीं नौसेना ने अपने वार्शिप पर तिरंगा फहराया।

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